ETV Bharat / state

पटना में वायरल फ्लू का अटैक, सोमवार को PMCH पहुंचे 200 से ज्यादा संक्रमित बच्चे

पटना में वायरल फ्लू (Viral flu) के मामले बढ़ने लगे हैं और बच्चे इससे ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं. सोमवार को वायरल फ्लू से संक्रमित 200 से अधिक बच्चे इलाज के लिए पीएमसीएच (PMCH) पहुंचे. जानिए वायरल फ्लू के लक्षण और इससे बचाव के तरीके..

पटना
पटना
author img

By

Published : Sep 6, 2021, 9:46 PM IST

पटना: बिहार में वायरल फ्लू (Viral flu) के मामले बढ़ने लगे हैं और बच्चे इससे ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं. वायरल फ्लू में बच्चों की स्थिति गंभीर हो रही है. ऐसे में सोमवार के दिन पीएमसीएच (PMCH) में वायरल फ्लू से गंभीर रूप से संक्रमित 200 से अधिक बच्चे पहुंचे. पीएमसीएच में ओपीडी आवर के बाद भी कई परिजन अपने बच्चों को लेकर डॉक्टर से दिखाने के लिए शिशु विभाग के ओपीडी के बाहर नजर आए, लेकिन समय खत्म होने की वजह से वो दिखा नहीं पाए.

ये भी पढ़ें- बच्चों में बढ़ा मल्टीपल इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम का खतरा, जानिए इसके लक्षण और बचाव के तरीके

कई परिजन शिशु विभाग के बाहर नजर आए. उन्होंने बताया कि उनके बच्चे को वायरल फ्लू हो गया है और इस बार का फ्लू सामान्य से अलग है. बच्चे की तबीयत में कई दिनों से सुधार होता नजर नहीं आ रहा है. ओपीडी का समय खत्म होने के बाद भी ओपीडी काउंटर पर काफी संख्या में बच्चों को लेकर परिजन खड़े नजर आए.

देखें रिपोर्ट

पीएमसीएच में अपने 6 साल के बच्चे का इलाज करा रहे राजीव कुमार ने बताया कि वो इस माह 1 तारीख को बच्चे को अस्पताल में एडमिट कराया है और अब उसकी तबीयत में सुधार हो रहा है. वो वैशाली जिले से आए हुए हैं और 1 सप्ताह जब बच्चे की तबीयत में सुधार होता नजर नहीं आया, तब जाकर वो पीएमसीएच पहुंचे.

ये भी पढ़ें- बिहार में अब 'MIS-C' बीमारी की दस्तक, बच्चों को खतरा ज्यादा, जानें इसके लक्षण और बचाव के तरीके

''बुखार के साथ-साथ बच्चे को लीवर के अलावा शरीर में अन्य जगह प्रॉब्लम शुरू होने लगे. 1 सितंबर को डॉक्टर ने देखने के बाद कई जांच कराई, जिसमें एक हेपेटाइटिस का भी था और सभी की जांच रिपोर्ट आ गई है. मगर हेपेटाइटिस की रिपोर्ट अब तक नहीं आई है. 4 तारीख को ही रिपोर्ट देने की बात कही गई थी, मगर उस दिन नहीं दी गई और सोमवार के दिन भी रिपोर्ट नहीं मिल रही है.''- राजीव कुमार, बच्चे के परिजन

सिवान से अपने दो बेटियों को दिखाने पहुंची सुनीता कुमारी ने बताया कि उनकी बड़ी बेटी जो 8 साल की है उसे 1 महीने से बुखार है. दवा दी जाती है तो ठीक हो जाती है और फिर से बुखार चढ़ जाता है. बुखार 102 के ऊपर हमेशा रह रहा है और कई बार यह 104 तक पहुंच जा रहा है.

ये भी पढ़ें- थर्ड वेव से बच्चों को बचाने के लिए पटना एम्स के डॉक्टर ने इजाद किया VHIT एंड MAAP फार्मूला, जानें...

''बीते 1 सप्ताह से मेरी छोटी बेटी को भी बुखार शुरू हो गया है और उसे बुखार के साथ सर्दी और खांसी भी है. दोनों बेटियों को अब भूख भी नहीं लग रही है और दोनों काफी कमजोर हो गई है.''- सुनीता कुमारी, बच्चे के परिजन

''मेरे 6 माह के पोते को 1 सप्ताह से बुखार रह रहा है, ऐसे में पीएमसीएच में उसे दिखाने पहुंचे हैं. डॉक्टर ने इलाज किया है मगर अभी बेड नहीं मिला है. डॉक्टर ने बेड उपलब्ध कराने की बात कही है. ऐसे में वो शिशु विभाग के बाहर इंतजार में बैठे हुए हैं. बुखार से बच्चा काफी कमजोर हो गया है.''- इंद्रदेव यादव, बच्चे के परिजन

ये भी पढ़ें- पटना में बढ़ रहे हैं वायरल फ्लू और इन्फ्लूएंजा के मामले, लक्षण आने पर तुरंत कराएं कोरोना जांच

पटना के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने कहा कि अभी का महीना वायरल फ्लू का होता है, क्योंकि इस मौसम में ह्यूमिडिटी बहुत अधिक रहती है. इस बार वायरल फ्लू की संख्या में काफी इजाफा देखने को मिला है और बच्चे इसमें काफी संक्रमित हो रहे हैं और उनकी स्थिति गंभीर भी हो रही है. बच्चों के अलावा वयस्क भी संक्रमित हो रहे हैं. मगर बच्चों में सीवियर मामले बढ़ रहे हैं.

''वातावरण में ह्यूमिडिटी होने और तापमान अधिक होने की वजह से इनफ्लुएंजा ए बी सी डी जितने भी वायरस है, वो ज्यादा एक्टिव रहते हैं. ऐसे में वायरल फ्लू से बचाव का भी वही इलाज है जो कोरोना का है. कोविड-19 प्रोटोकॉल जैसे कि हैंड हाइजीन, चेहरे पर मास्क और संक्रमित व्यक्ति का अन्य लोगों से दूरी काफी कारगर है. अगर बच्चे को सामान्य बुखार के अलावा डायरिया या डिसेंट्री होता है या फिर बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है, तो तुरंत उसे नजदीकी अस्पताल में ले जाएं, क्योंकि ऐसे केसेस में एडमिट करने की आवश्यकता पड़ती है.''- डॉ. दिवाकर तेजस्वी, वरिष्ठ चिकित्सक, पटना

डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने कहा कि अगर घर में कोई सदस्य संक्रमित होता है तो उसे आइसोलेट किया जाए और तुरंत वायरल फ्लू का जो इलाज है, वह शुरू किया जाए. इसके अलावा घर के बाकी सदस्य वायरल फ्लू से प्रीवेंटिव मेडिसिन लेना शुरू कर दें, ताकि वो फ्लू से बच सकें. फ्लू से बचाव के लिए हर साल डब्ल्यूएचओ द्वारा टीका और टेबलेट एडवाइस किए जाते हैं. ऐसे में जो फ्लू से हाई रिस्क के होते हैं जैसे कि बच्चे, बुजुर्ग और कोमोरबिड वह इस टीका या टेबलेट का उपयोग करें.

उन्होंने कहा कि अभी के समय जो फ्लू से संक्रमित बच्चे अस्पताल में एडमिट हो रहे हैं, उनका कोरोना का एंटीबॉडी टेस्ट भी किया जाना चाहिए, क्योंकि अभी के समय मल्टी सिस्टमैटिक इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम के मामले भी काफी संख्या में आए हैं और इस बीमारी के कई बच्चे अस्पताल में एडमिट हुए हैं और उनमें से 4-5 बच्चों की जान भी गई है. एमआईएस के केस में एंटीबॉडी बहुत अधिक हाई हो जाती है. ऐसे में एंटीबॉडी मार्कर्स जो होते हैं, उसका भी पता लगाना जरूरी है, क्योंकि इस केस में गहन एप्रोप्रियेट ट्रीटमेंट करने की आवश्यकता पड़ती है.

पटना: बिहार में वायरल फ्लू (Viral flu) के मामले बढ़ने लगे हैं और बच्चे इससे ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं. वायरल फ्लू में बच्चों की स्थिति गंभीर हो रही है. ऐसे में सोमवार के दिन पीएमसीएच (PMCH) में वायरल फ्लू से गंभीर रूप से संक्रमित 200 से अधिक बच्चे पहुंचे. पीएमसीएच में ओपीडी आवर के बाद भी कई परिजन अपने बच्चों को लेकर डॉक्टर से दिखाने के लिए शिशु विभाग के ओपीडी के बाहर नजर आए, लेकिन समय खत्म होने की वजह से वो दिखा नहीं पाए.

ये भी पढ़ें- बच्चों में बढ़ा मल्टीपल इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम का खतरा, जानिए इसके लक्षण और बचाव के तरीके

कई परिजन शिशु विभाग के बाहर नजर आए. उन्होंने बताया कि उनके बच्चे को वायरल फ्लू हो गया है और इस बार का फ्लू सामान्य से अलग है. बच्चे की तबीयत में कई दिनों से सुधार होता नजर नहीं आ रहा है. ओपीडी का समय खत्म होने के बाद भी ओपीडी काउंटर पर काफी संख्या में बच्चों को लेकर परिजन खड़े नजर आए.

देखें रिपोर्ट

पीएमसीएच में अपने 6 साल के बच्चे का इलाज करा रहे राजीव कुमार ने बताया कि वो इस माह 1 तारीख को बच्चे को अस्पताल में एडमिट कराया है और अब उसकी तबीयत में सुधार हो रहा है. वो वैशाली जिले से आए हुए हैं और 1 सप्ताह जब बच्चे की तबीयत में सुधार होता नजर नहीं आया, तब जाकर वो पीएमसीएच पहुंचे.

ये भी पढ़ें- बिहार में अब 'MIS-C' बीमारी की दस्तक, बच्चों को खतरा ज्यादा, जानें इसके लक्षण और बचाव के तरीके

''बुखार के साथ-साथ बच्चे को लीवर के अलावा शरीर में अन्य जगह प्रॉब्लम शुरू होने लगे. 1 सितंबर को डॉक्टर ने देखने के बाद कई जांच कराई, जिसमें एक हेपेटाइटिस का भी था और सभी की जांच रिपोर्ट आ गई है. मगर हेपेटाइटिस की रिपोर्ट अब तक नहीं आई है. 4 तारीख को ही रिपोर्ट देने की बात कही गई थी, मगर उस दिन नहीं दी गई और सोमवार के दिन भी रिपोर्ट नहीं मिल रही है.''- राजीव कुमार, बच्चे के परिजन

सिवान से अपने दो बेटियों को दिखाने पहुंची सुनीता कुमारी ने बताया कि उनकी बड़ी बेटी जो 8 साल की है उसे 1 महीने से बुखार है. दवा दी जाती है तो ठीक हो जाती है और फिर से बुखार चढ़ जाता है. बुखार 102 के ऊपर हमेशा रह रहा है और कई बार यह 104 तक पहुंच जा रहा है.

ये भी पढ़ें- थर्ड वेव से बच्चों को बचाने के लिए पटना एम्स के डॉक्टर ने इजाद किया VHIT एंड MAAP फार्मूला, जानें...

''बीते 1 सप्ताह से मेरी छोटी बेटी को भी बुखार शुरू हो गया है और उसे बुखार के साथ सर्दी और खांसी भी है. दोनों बेटियों को अब भूख भी नहीं लग रही है और दोनों काफी कमजोर हो गई है.''- सुनीता कुमारी, बच्चे के परिजन

''मेरे 6 माह के पोते को 1 सप्ताह से बुखार रह रहा है, ऐसे में पीएमसीएच में उसे दिखाने पहुंचे हैं. डॉक्टर ने इलाज किया है मगर अभी बेड नहीं मिला है. डॉक्टर ने बेड उपलब्ध कराने की बात कही है. ऐसे में वो शिशु विभाग के बाहर इंतजार में बैठे हुए हैं. बुखार से बच्चा काफी कमजोर हो गया है.''- इंद्रदेव यादव, बच्चे के परिजन

ये भी पढ़ें- पटना में बढ़ रहे हैं वायरल फ्लू और इन्फ्लूएंजा के मामले, लक्षण आने पर तुरंत कराएं कोरोना जांच

पटना के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने कहा कि अभी का महीना वायरल फ्लू का होता है, क्योंकि इस मौसम में ह्यूमिडिटी बहुत अधिक रहती है. इस बार वायरल फ्लू की संख्या में काफी इजाफा देखने को मिला है और बच्चे इसमें काफी संक्रमित हो रहे हैं और उनकी स्थिति गंभीर भी हो रही है. बच्चों के अलावा वयस्क भी संक्रमित हो रहे हैं. मगर बच्चों में सीवियर मामले बढ़ रहे हैं.

''वातावरण में ह्यूमिडिटी होने और तापमान अधिक होने की वजह से इनफ्लुएंजा ए बी सी डी जितने भी वायरस है, वो ज्यादा एक्टिव रहते हैं. ऐसे में वायरल फ्लू से बचाव का भी वही इलाज है जो कोरोना का है. कोविड-19 प्रोटोकॉल जैसे कि हैंड हाइजीन, चेहरे पर मास्क और संक्रमित व्यक्ति का अन्य लोगों से दूरी काफी कारगर है. अगर बच्चे को सामान्य बुखार के अलावा डायरिया या डिसेंट्री होता है या फिर बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है, तो तुरंत उसे नजदीकी अस्पताल में ले जाएं, क्योंकि ऐसे केसेस में एडमिट करने की आवश्यकता पड़ती है.''- डॉ. दिवाकर तेजस्वी, वरिष्ठ चिकित्सक, पटना

डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने कहा कि अगर घर में कोई सदस्य संक्रमित होता है तो उसे आइसोलेट किया जाए और तुरंत वायरल फ्लू का जो इलाज है, वह शुरू किया जाए. इसके अलावा घर के बाकी सदस्य वायरल फ्लू से प्रीवेंटिव मेडिसिन लेना शुरू कर दें, ताकि वो फ्लू से बच सकें. फ्लू से बचाव के लिए हर साल डब्ल्यूएचओ द्वारा टीका और टेबलेट एडवाइस किए जाते हैं. ऐसे में जो फ्लू से हाई रिस्क के होते हैं जैसे कि बच्चे, बुजुर्ग और कोमोरबिड वह इस टीका या टेबलेट का उपयोग करें.

उन्होंने कहा कि अभी के समय जो फ्लू से संक्रमित बच्चे अस्पताल में एडमिट हो रहे हैं, उनका कोरोना का एंटीबॉडी टेस्ट भी किया जाना चाहिए, क्योंकि अभी के समय मल्टी सिस्टमैटिक इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम के मामले भी काफी संख्या में आए हैं और इस बीमारी के कई बच्चे अस्पताल में एडमिट हुए हैं और उनमें से 4-5 बच्चों की जान भी गई है. एमआईएस के केस में एंटीबॉडी बहुत अधिक हाई हो जाती है. ऐसे में एंटीबॉडी मार्कर्स जो होते हैं, उसका भी पता लगाना जरूरी है, क्योंकि इस केस में गहन एप्रोप्रियेट ट्रीटमेंट करने की आवश्यकता पड़ती है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.