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अग्निपथ योजना के विरोध से सबक लेकर सरकार को करना चाहिए प्रदर्शनकारियों से बात: मुकेश सहनी - मुकेश सहनी का अग्निपथ योजना पर बयान

वीआईपी चीफ मुकेश सहनी ने अग्निपथ योजना के विरोध को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि विरोध बताता है कि योजना में कहीं ना कहीं गड़बड़ी है. इसलिए सरकार को प्रदर्शनकारियों से बात करनी चाहिए. पढ़ें पूरी खबर-

वीआईपी चीफ मुकेश सहनी
वीआईपी चीफ मुकेश सहनी
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Published : Jun 16, 2022, 6:45 PM IST

पटना: विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के प्रमुख और बिहार के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी ने सेना भर्ती की अग्निपथ योजना के विरोध में राज्यभर में हो रहे हिंसक प्रदर्शन को लेकर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि अगर योजना का विरोध हो रहा है तो सरकार को प्रदर्शनकारियों से बातचीत करना चाहिए. इस योजना का विरोध बताता है कि इसमें कोई ना कोई कमी जरूर है.

ये भी पढ़ें: अग्निपथ योजना को लेकर नवादा में बवाल, उपद्रवियों ने BJP कार्यालय को फूंका

मुकेश सहनी ने कहा कि सरकार को इन युवाओं को यह विश्वास दिलाना चाहिए कि चार साल के बाद जब वे अवकाश प्राप्त कर लेंगे तो फिर उन्हें रोजगार मिल सकेगा. कोई भी व्यक्ति कड़ी मेहनत कर सेना में भर्ती होता है और चार साल में फिर से अवकाश प्राप्त करना कोई नहीं चाहेगा. मुकेश सहनी ने कहा कि अब लोकसभा चुनाव को सामने देखकर सरकार अब रोजगार की बात कर रही है.

मोदी सरकार ने हर साल दो करोड़ नौकरियों का वादा किया था. इस तरह से 2024 तक बीस करोड़ नौकरियां युवाओं को मिल जानी चाहिए थीं, लेकिन अब यह सरकार 2024 के चुनावों से पहले महज दस लाख रिक्तियों को भरने की बात कर रही है. उन्होंने कहा कि केंद्र की सरकार कृषि कानून के नाम पर किसानों में लड़ाई पैदा कर दी. अब अग्निपथ के बहाने में पूरे देश में छात्रों और युवाओं में फूट डालना चाहती है. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की नीति प्रारंभ से ही फूट डालो और शासन चलाने की रही है.

बता दें कि बिहार के विभिन्न जिलों में सेना भर्ती में अग्निपथ योजना का विरोध (Agnipath Scheme Protest in Bihar) दूसरे दिन गुरुवार को भी जारी है. बक्सर, छपरा, कैमूर, आरा, नवादा और जहानाबाद सहित कई जिलों में छात्र इस योजना के विरोध में रेलवे ट्रैक और सड़कों पर उतरे और हंगामा किया. इस दौरान यातायात बाधित रही. सेना में भर्ती के लिए लाई गई 'अग्निपथ योजना' के विरोध में बिहार के छपरा और कैमूर में प्रदर्शनकारियों ने ट्रेन की बोगियों को आग के हवाले (Students Set Fire To Train In Kaimur) कर दिया. बसों और बाजारों में तोड़फोड़ की गई.

'अंग्निपथ स्कीम' से क्यों नाराज है छात्र : दरअसल, 2020 से आर्मी अभ्यर्थियों की कई परीक्षाएं हुई थी. किसी का मेडिकल बाकी था तो किसी का रिटेन. ऐसे सभी अभ्यर्थियों की योग्यता एक झटके में रद्द कर दी गई. पहले ये नौकरी स्थाई हुआ करती थी. मतलब सरकारी नौकरी का ख्वाब इससे नौजवान पूरा करते थे. नई स्कीम की तहत बताया गया कि अब चार साल की नौकरी होगी. इसमें सिर्फ 25 प्रतिशत अग्निवीरों को स्थाई किया जाएगा. 75 प्रतिशत चार साल बाद रिटायर हो जाएंगे. उनको पेंशन समेत बाकी सुविधाएं नहीं मिलेंगी. बिहार जैसे राज्य में जहां ज्यादातर युवाओं का एक ही लक्ष्य कह लीजिए या सपना सरकारी नौकरी होता है, ऐसे में सपना टूटता देख छात्र सड़कों पर उतर गए.

क्या है 'अग्निपथ' योजना : केंद्र की अग्निपथ योजना के तहत इस साल 46 हजार युवाओं को सहस्त्र बलों में शामिल किया जाना है. योजना के मुताबिक युवाओं की भर्ती चार साल के लिए होगी और उन्हें ‘अग्निवीर’ कहा जाएगा. अग्निवीरों की उम्र 17 से 21 वर्ष के बीच होगी और 30-40 हजार प्रतिमाह वेतन मिलेगा. योजना के मुताबिक भर्ती हुए 25 फीसदी युवाओं को सेना में आगे मौका मिलेगा और बाकी 75 फीसदी को नौकरी छोड़नी पड़ेगी.

ये भी पढ़ें: VIDEO: 'अग्निपथ' के विरोध में कैमूर में बवाल, छात्रों ने ट्रेन को फूंका

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ये भी पढ़ें:बिहार में अग्निपथ स्कीम के विरोध का असर: इन ट्रेनों का परिचालन रद्द, देखें पूरी लिस्ट

पटना: विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के प्रमुख और बिहार के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी ने सेना भर्ती की अग्निपथ योजना के विरोध में राज्यभर में हो रहे हिंसक प्रदर्शन को लेकर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि अगर योजना का विरोध हो रहा है तो सरकार को प्रदर्शनकारियों से बातचीत करना चाहिए. इस योजना का विरोध बताता है कि इसमें कोई ना कोई कमी जरूर है.

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मुकेश सहनी ने कहा कि सरकार को इन युवाओं को यह विश्वास दिलाना चाहिए कि चार साल के बाद जब वे अवकाश प्राप्त कर लेंगे तो फिर उन्हें रोजगार मिल सकेगा. कोई भी व्यक्ति कड़ी मेहनत कर सेना में भर्ती होता है और चार साल में फिर से अवकाश प्राप्त करना कोई नहीं चाहेगा. मुकेश सहनी ने कहा कि अब लोकसभा चुनाव को सामने देखकर सरकार अब रोजगार की बात कर रही है.

मोदी सरकार ने हर साल दो करोड़ नौकरियों का वादा किया था. इस तरह से 2024 तक बीस करोड़ नौकरियां युवाओं को मिल जानी चाहिए थीं, लेकिन अब यह सरकार 2024 के चुनावों से पहले महज दस लाख रिक्तियों को भरने की बात कर रही है. उन्होंने कहा कि केंद्र की सरकार कृषि कानून के नाम पर किसानों में लड़ाई पैदा कर दी. अब अग्निपथ के बहाने में पूरे देश में छात्रों और युवाओं में फूट डालना चाहती है. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की नीति प्रारंभ से ही फूट डालो और शासन चलाने की रही है.

बता दें कि बिहार के विभिन्न जिलों में सेना भर्ती में अग्निपथ योजना का विरोध (Agnipath Scheme Protest in Bihar) दूसरे दिन गुरुवार को भी जारी है. बक्सर, छपरा, कैमूर, आरा, नवादा और जहानाबाद सहित कई जिलों में छात्र इस योजना के विरोध में रेलवे ट्रैक और सड़कों पर उतरे और हंगामा किया. इस दौरान यातायात बाधित रही. सेना में भर्ती के लिए लाई गई 'अग्निपथ योजना' के विरोध में बिहार के छपरा और कैमूर में प्रदर्शनकारियों ने ट्रेन की बोगियों को आग के हवाले (Students Set Fire To Train In Kaimur) कर दिया. बसों और बाजारों में तोड़फोड़ की गई.

'अंग्निपथ स्कीम' से क्यों नाराज है छात्र : दरअसल, 2020 से आर्मी अभ्यर्थियों की कई परीक्षाएं हुई थी. किसी का मेडिकल बाकी था तो किसी का रिटेन. ऐसे सभी अभ्यर्थियों की योग्यता एक झटके में रद्द कर दी गई. पहले ये नौकरी स्थाई हुआ करती थी. मतलब सरकारी नौकरी का ख्वाब इससे नौजवान पूरा करते थे. नई स्कीम की तहत बताया गया कि अब चार साल की नौकरी होगी. इसमें सिर्फ 25 प्रतिशत अग्निवीरों को स्थाई किया जाएगा. 75 प्रतिशत चार साल बाद रिटायर हो जाएंगे. उनको पेंशन समेत बाकी सुविधाएं नहीं मिलेंगी. बिहार जैसे राज्य में जहां ज्यादातर युवाओं का एक ही लक्ष्य कह लीजिए या सपना सरकारी नौकरी होता है, ऐसे में सपना टूटता देख छात्र सड़कों पर उतर गए.

क्या है 'अग्निपथ' योजना : केंद्र की अग्निपथ योजना के तहत इस साल 46 हजार युवाओं को सहस्त्र बलों में शामिल किया जाना है. योजना के मुताबिक युवाओं की भर्ती चार साल के लिए होगी और उन्हें ‘अग्निवीर’ कहा जाएगा. अग्निवीरों की उम्र 17 से 21 वर्ष के बीच होगी और 30-40 हजार प्रतिमाह वेतन मिलेगा. योजना के मुताबिक भर्ती हुए 25 फीसदी युवाओं को सेना में आगे मौका मिलेगा और बाकी 75 फीसदी को नौकरी छोड़नी पड़ेगी.

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