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Bihar Health System: स्कूल के कमरे में खुला था मॉडल स्वास्थ्य उपकेंद्र, लेकिन 10 साल से हर वक्त लटका रहता है ताला!

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Published : Mar 9, 2023, 8:37 AM IST

बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव भले ही सूबे में स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर करने का दावा करते हों लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है. दूसरी जगह को तो छोड़ दें, राजधानी पटना की तस्वीर ही दावों की पोल खोलती है. जहां एक मॉडल स्वास्थ्य उपकेंद्र पर पिछले 10 सालों से ताला लटका है. आलम ये है कि लोगों को इलाज के लिए शहर की ओर रुख करना पड़ता है.

मुखदुमपुर मॉडल स्वास्थ्य उपकेंद्र पर ताला लटका
मुखदुमपुर मॉडल स्वास्थ्य उपकेंद्र पर ताला लटका
मुखदुमपुर मॉडल स्वास्थ्य उपकेंद्र पर ताला लटका

पटना: ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मिले, इस अच्छी सोच के साथ स्वास्थ्य उपकेंद्र खोला गया लेकिन स्वास्थ्यकर्मी और विभाग से जुड़े अधिकारी ही इसे पलीता लगाने में जुटे हुए हैं. वर्ष 2010 में दानापुर के मुखदुमपुर प्राथमिक स्कूल में मॉडल स्वास्थ्य उपकेंद्र (Mukhdumpur Model Health Sub Center) खोला गया था. 2013 तक यह नियमित रूप से खुला भी. जिस वजह से स्थानीय लोग अपना इलाज कराने यहां आते रहे लेकिन 2013 से यहां हर वक्त ताला ही लटका रहता है.

ये भी पढ़ें: बिहार के स्वास्थ्य व्यवस्था की खुली पोल, 40 वर्षों से पेड़ के नीचे चल रहा उप स्वास्थ्य केंद्र

मुखदुमपुर मॉडल स्वास्थ्य उपकेंद्र पर ताला लटका: 10 सालों से मॉडल स्वास्थ्य उपकेंद्र पर ताला लटके रहने के कारण ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवाओं और शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. अधिकारियों का कहना है कि विभाग ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य केंद्र खोलने की योजना तो बना ली लेकिन उनके संचालन की व्यवस्थाएं नहीं हो पायी.

'शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं होती': वहीं, स्कूल के कमरे को स्वास्थ्य उपकेंद्र के लिए कब्जा करने से क्लास रूम की भी कमी पड़ गई है. स्कूल के प्रभारी प्राचार्य मनोज कुमार कहते हैं कि 13 साल पहले स्कूल के एक कमरे में मॉडल स्वास्थ्य उपकेंद्र खोला गया था लेकिन कभी-कभार ही एक-दो बार ही केंद्र खुला. उन्होंने बताया कि कई बार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को कमरा खाली करने के लिए लिखित आवेदन भी दिया है लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती. इससे बच्चों को पठन-पाठन करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. वहीं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने बताया कि इसकी जांच करायी जाएगाी. जो केंद्र पर एनएनएम को पद पर नियुक्त किया गया है. उसके बाद जांच पड़ताल की जाएगी.

"कभी नहीं खुलता है. 2010 में यहां आया था तो दो साल खुला और 2013 से लगातार बंद है. तीन-चार में महीने में एएनएम 10 मिनट के लिए आती है और झाड़ू लगाकर चली जाती है. इसकी सूचना हम स्वास्थ्य अधिकारी को दे चुके हैं. हम ये भी बोल चुके हैं कि हमारी बिल्डिंग का रूम खाली किया जाए. बेवजह का कब्जा किया गया है लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती है"- मनोज कुमार, प्रभारी, प्राथमिक विद्यालय, मखदुमपुर

मुखदुमपुर मॉडल स्वास्थ्य उपकेंद्र पर ताला लटका

पटना: ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मिले, इस अच्छी सोच के साथ स्वास्थ्य उपकेंद्र खोला गया लेकिन स्वास्थ्यकर्मी और विभाग से जुड़े अधिकारी ही इसे पलीता लगाने में जुटे हुए हैं. वर्ष 2010 में दानापुर के मुखदुमपुर प्राथमिक स्कूल में मॉडल स्वास्थ्य उपकेंद्र (Mukhdumpur Model Health Sub Center) खोला गया था. 2013 तक यह नियमित रूप से खुला भी. जिस वजह से स्थानीय लोग अपना इलाज कराने यहां आते रहे लेकिन 2013 से यहां हर वक्त ताला ही लटका रहता है.

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मुखदुमपुर मॉडल स्वास्थ्य उपकेंद्र पर ताला लटका: 10 सालों से मॉडल स्वास्थ्य उपकेंद्र पर ताला लटके रहने के कारण ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवाओं और शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. अधिकारियों का कहना है कि विभाग ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य केंद्र खोलने की योजना तो बना ली लेकिन उनके संचालन की व्यवस्थाएं नहीं हो पायी.

'शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं होती': वहीं, स्कूल के कमरे को स्वास्थ्य उपकेंद्र के लिए कब्जा करने से क्लास रूम की भी कमी पड़ गई है. स्कूल के प्रभारी प्राचार्य मनोज कुमार कहते हैं कि 13 साल पहले स्कूल के एक कमरे में मॉडल स्वास्थ्य उपकेंद्र खोला गया था लेकिन कभी-कभार ही एक-दो बार ही केंद्र खुला. उन्होंने बताया कि कई बार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को कमरा खाली करने के लिए लिखित आवेदन भी दिया है लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती. इससे बच्चों को पठन-पाठन करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. वहीं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने बताया कि इसकी जांच करायी जाएगाी. जो केंद्र पर एनएनएम को पद पर नियुक्त किया गया है. उसके बाद जांच पड़ताल की जाएगी.

"कभी नहीं खुलता है. 2010 में यहां आया था तो दो साल खुला और 2013 से लगातार बंद है. तीन-चार में महीने में एएनएम 10 मिनट के लिए आती है और झाड़ू लगाकर चली जाती है. इसकी सूचना हम स्वास्थ्य अधिकारी को दे चुके हैं. हम ये भी बोल चुके हैं कि हमारी बिल्डिंग का रूम खाली किया जाए. बेवजह का कब्जा किया गया है लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती है"- मनोज कुमार, प्रभारी, प्राथमिक विद्यालय, मखदुमपुर

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