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बिहार में गर्भाशय घोटाला पर हाईकोर्ट सख्त, मुख्य सचिव से पूछा- 'कार्रवाई की क्या योजना है?'

बिहार के गर्भाशय घोटाला मामले (Uterus scam in Bihar) में 20 सितम्बर,2022 को अगली सुनवाई होगी. इससे पहले कोर्ट ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव को कार्रवाई का ब्योरा हलफनामा में दर्ज करने को कहा था. आगे पढ़ें पूरी खबर...

Patna High Court News
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Published : Sep 19, 2022, 7:05 PM IST

पटना: पटना हाईकोर्ट में बिहार गर्भाशय घोटाला मामले (Uterus scam in Bihar) पर अब 20 सितम्बर 2022 को सुनवाई होगी. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव को अब तक की गई कार्रवाई का ब्योरा हलफनामा पर दायर करने का निर्देश दिया था. जस्टिस अश्वनी कुमार सिंह की खंडपीठ वेटरन फोरम की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है. कोर्ट ने मुख्य सचिव को ये भी बताने को कहा था कि आगे इस मामले में क्या कार्रवाई करने की योजना है.

पढ़ें - पटना हाईकोर्ट को मिले 4 नए जज, अधिवक्ता कोटे से राष्ट्रपति ने किया नियुक्त

"इस जनहित याचिका में दिए गए तथ्य वास्तविक नहीं है. बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग के समक्ष साढ़े चार सौ इस तरह के मामले आए थे. राज्य सरकार की जांच के बाद नौ जिलों में गर्भाशय निकाले जाने के सात सौ दो मामलें आए थे. इन मामलों में प्राथमिकी दर्ज कराई गई और आगे की कार्रवाई चल रही है. पीड़ित महिलाओं को क्षतिपूर्ति राज्य सरकार ने पचास हजार रुपये पहले ही दे दिए. इसके बाद बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग ने आदेश दिया था कि यह राशि बढ़ा कर डेढ़ और ढाई लाख रुपए बतौर क्षतिपूर्ति दिए जाए. क्षतिपूर्ति की राशि देने के लिए राज्य सरकार ने 5.89 करोड़ रुपए निर्गत कर दिए गए हैं."-ललित किशोर, एडवोकेट जनरल

बिना सहमति लिए निकाले गए अंग: कोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि किन-किन धाराओं के दोषियों के विरुद्ध मामले दर्ज किए गए हैं. मानव शरीर के बिना सहमति लिए कोई भी अंग निकाला गंभीर अपराध है. इसलिए उनके विरुद्ध नियमों के तहत ही धाराएं लगाई जानी चाहिए. जिससे आगे की कार्रवाई की जा सकेगी.

"सबसे पहले ये मामला मानवाधिकार आयोग के समक्ष 2012 में लाया गया था. 2017 में पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका वेटरन फोरम ने दायर किया गया था. इसमें ये आरोप लगाया गया था कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का गलत लाभ उठाने के लिए बिहार के विभिन्न अस्पतालों/डॉक्टरों द्वारा बड़ी तादाद में बगैर महिलाओं की सहमति के ऑपरेशन कर गर्भाशय निकाल लिए गए थे. इस मामले पर अगली सुनवाई 20सितम्बर,2022 को की जाएगी."-दीनू कुमार, अधिवक्ता

पढ़ें - जस्टिस एसपी शर्मा का पटना हाईकोर्ट तबादला, नए साल से होगा लागू

पटना: पटना हाईकोर्ट में बिहार गर्भाशय घोटाला मामले (Uterus scam in Bihar) पर अब 20 सितम्बर 2022 को सुनवाई होगी. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव को अब तक की गई कार्रवाई का ब्योरा हलफनामा पर दायर करने का निर्देश दिया था. जस्टिस अश्वनी कुमार सिंह की खंडपीठ वेटरन फोरम की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है. कोर्ट ने मुख्य सचिव को ये भी बताने को कहा था कि आगे इस मामले में क्या कार्रवाई करने की योजना है.

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"इस जनहित याचिका में दिए गए तथ्य वास्तविक नहीं है. बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग के समक्ष साढ़े चार सौ इस तरह के मामले आए थे. राज्य सरकार की जांच के बाद नौ जिलों में गर्भाशय निकाले जाने के सात सौ दो मामलें आए थे. इन मामलों में प्राथमिकी दर्ज कराई गई और आगे की कार्रवाई चल रही है. पीड़ित महिलाओं को क्षतिपूर्ति राज्य सरकार ने पचास हजार रुपये पहले ही दे दिए. इसके बाद बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग ने आदेश दिया था कि यह राशि बढ़ा कर डेढ़ और ढाई लाख रुपए बतौर क्षतिपूर्ति दिए जाए. क्षतिपूर्ति की राशि देने के लिए राज्य सरकार ने 5.89 करोड़ रुपए निर्गत कर दिए गए हैं."-ललित किशोर, एडवोकेट जनरल

बिना सहमति लिए निकाले गए अंग: कोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि किन-किन धाराओं के दोषियों के विरुद्ध मामले दर्ज किए गए हैं. मानव शरीर के बिना सहमति लिए कोई भी अंग निकाला गंभीर अपराध है. इसलिए उनके विरुद्ध नियमों के तहत ही धाराएं लगाई जानी चाहिए. जिससे आगे की कार्रवाई की जा सकेगी.

"सबसे पहले ये मामला मानवाधिकार आयोग के समक्ष 2012 में लाया गया था. 2017 में पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका वेटरन फोरम ने दायर किया गया था. इसमें ये आरोप लगाया गया था कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का गलत लाभ उठाने के लिए बिहार के विभिन्न अस्पतालों/डॉक्टरों द्वारा बड़ी तादाद में बगैर महिलाओं की सहमति के ऑपरेशन कर गर्भाशय निकाल लिए गए थे. इस मामले पर अगली सुनवाई 20सितम्बर,2022 को की जाएगी."-दीनू कुमार, अधिवक्ता

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