पटना: बिहार भारत का सबसे अधिक बाढ़ प्रभावित (Most Flood Affected) होने वाला राज्य है. उत्तर बिहार (North Bihar) की 76% आबादी बाढ़ के खतरे में रहती है. देश में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का 16.5% बिहार में है. उत्तर बिहार के जिले में मानसून (Monsoon In Bihar) के दौरान कम से कम पांच प्रमुख नदियां महानंदा, कोसी, बागमती, बूढ़ी गंडक और गंडक लगभग हर साल बाढ़ लाती हैं. इसके अलावा दक्षिण बिहार की भी पुनपुन और फल्गु आदि नदियां विनाशलीला करती हैं.
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#बाढ़ को समझिए 1/3
— Sanjay Kumar Jha (@SanjayJhaBihar) July 13, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
गंडक, बागमती, कमला, कोसी, महानंदा सहित कई नदियां #नेपाल से पानी लेकर उत्तर बिहार में आती हैं और बिहार के मध्य में गंगा नदी में मिलती हैं।
नेपाल में भारी बारिश होने पर ये नदियां अत्यधिक पानी और गाद लाती हैं, जिससे जलप्लावन की स्थिति बन जाती है।#BiharFloods pic.twitter.com/iYVkzoxsFJ
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— Sanjay Kumar Jha (@SanjayJhaBihar) July 13, 2021
गंडक, बागमती, कमला, कोसी, महानंदा सहित कई नदियां #नेपाल से पानी लेकर उत्तर बिहार में आती हैं और बिहार के मध्य में गंगा नदी में मिलती हैं।
नेपाल में भारी बारिश होने पर ये नदियां अत्यधिक पानी और गाद लाती हैं, जिससे जलप्लावन की स्थिति बन जाती है।#BiharFloods pic.twitter.com/iYVkzoxsFJ#बाढ़ को समझिए 1/3
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गंडक, बागमती, कमला, कोसी, महानंदा सहित कई नदियां #नेपाल से पानी लेकर उत्तर बिहार में आती हैं और बिहार के मध्य में गंगा नदी में मिलती हैं।
नेपाल में भारी बारिश होने पर ये नदियां अत्यधिक पानी और गाद लाती हैं, जिससे जलप्लावन की स्थिति बन जाती है।#BiharFloods pic.twitter.com/iYVkzoxsFJ
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बिहार में वर्तमान समय में 10 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं. जिनमें 293 पंचायत और 858 गांव बाढ़ की जद में हैं. नाव के सहारे लोगों को घरों से सुरक्षित जगहों पर ले जाया जा रहा है. घरों में पानी भर जाने के बाद लोग अपने घर के छत के ऊपर रहने को मजबूर हैं. कई शहरों में बाढ़ आने के कारण सड़कों पर वाहन के बजाय नाव चल रहे हैं. बाढ़ प्रवाहित जिलों के लाइफ लाइन कहे जाने वाले बांध और रोड पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं.
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बाढ़ को समझिए 2/3
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बिहार के बड़े इलाके में आने वाली #बाढ़ के स्थायी समाधान के लिए #नेपाल में प्रमुख नदियों पर हाई डैम बनाने की आवश्यकता है। (देखें संलग्न मैप)। इस मुद्दे पर भारत और नेपाल सरकार के बीच वार्ता का दौर दशकों से जारी है, पर अपेक्षित परिणाम नहीं निकला है।#BiharFloods pic.twitter.com/2jNQ7TFwXg
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— Sanjay Kumar Jha (@SanjayJhaBihar) July 13, 2021
बिहार के बड़े इलाके में आने वाली #बाढ़ के स्थायी समाधान के लिए #नेपाल में प्रमुख नदियों पर हाई डैम बनाने की आवश्यकता है। (देखें संलग्न मैप)। इस मुद्दे पर भारत और नेपाल सरकार के बीच वार्ता का दौर दशकों से जारी है, पर अपेक्षित परिणाम नहीं निकला है।#BiharFloods pic.twitter.com/2jNQ7TFwXgबाढ़ को समझिए 2/3
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बिहार के बड़े इलाके में आने वाली #बाढ़ के स्थायी समाधान के लिए #नेपाल में प्रमुख नदियों पर हाई डैम बनाने की आवश्यकता है। (देखें संलग्न मैप)। इस मुद्दे पर भारत और नेपाल सरकार के बीच वार्ता का दौर दशकों से जारी है, पर अपेक्षित परिणाम नहीं निकला है।#BiharFloods pic.twitter.com/2jNQ7TFwXg
इस बीच बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय झा ने सोशल मीडिया के माध्यम से बाढ़ को समझाने की कोशिश कर रहे हैं. संजय झा बता रहे हैं कि बिहार में बाढ़ किस तरह से बाढ़ आती है, और क्यों बिहार सरकार चाह कर भी उसे रोक नहीं पा रही है, लाचार है. फरक्का बराज से बिहार को नुकसान हो रहा है और नेपाल से लंबे समय से वार्ता चल रही है, उससे भी कोई परिणाम नहीं निकल पा रहा है.
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बाढ़ को समझिए 3/3
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फरक्का बराज बनने के बाद से #गंगा नदी की तलहटी में गाद भर रहा है, जिससे नदी की अविरलता प्रभावित हुई है।
Farakka barrage की जल निकासी क्षमता और गंगा जल में अंतरराज्यीय तथा अंतरराष्ट्रीय हिस्सेदारी पर पुनर्विचार की मांग #बिहार वर्षों से कर रहा है।#BiharFloods pic.twitter.com/0EFDQDrO4O
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फरक्का बराज बनने के बाद से #गंगा नदी की तलहटी में गाद भर रहा है, जिससे नदी की अविरलता प्रभावित हुई है।
Farakka barrage की जल निकासी क्षमता और गंगा जल में अंतरराज्यीय तथा अंतरराष्ट्रीय हिस्सेदारी पर पुनर्विचार की मांग #बिहार वर्षों से कर रहा है।#BiharFloods pic.twitter.com/0EFDQDrO4Oबाढ़ को समझिए 3/3
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फरक्का बराज बनने के बाद से #गंगा नदी की तलहटी में गाद भर रहा है, जिससे नदी की अविरलता प्रभावित हुई है।
Farakka barrage की जल निकासी क्षमता और गंगा जल में अंतरराज्यीय तथा अंतरराष्ट्रीय हिस्सेदारी पर पुनर्विचार की मांग #बिहार वर्षों से कर रहा है।#BiharFloods pic.twitter.com/0EFDQDrO4O
संजय झा ने बिहार के बाढ़ को तीन ट्वीट से समझाने की कोशिश की है जो इस प्रकार है...
गंडक, बागमती, कमला, कोसी, महानंदा सहित कई नदियां नेपाल से पानी लेकर उत्तर बिहार में आती हैं और बिहार के मध्य में गंगा नदी में मिलती हैं. नेपाल में भारी बारिश होने पर ये नदियां अत्याधिक पानी और गाद लाती हैं, जिससे जलप्लावन की स्थिति बन जाती है.
बिहार के बड़े इलाके में आने वाली बाढ़ के स्थायी समाधान के लिए नेपाल में प्रमुख नदियों पर हाई डैम बनाने की आवश्यकता है. इस मुद्दे पर भारत और नेपाल सरकार के बीच वार्ता का दौर दशकों से जारी है, पर अपेक्षित परिणाम नहीं निकला है.
फरक्का बराज बनने के बाद से गंगा नदी की तलहटी में गाद भर रहा है, जिससे नदी की अविरलता प्रभावित हुई है. Farakka barrage की जल निकासी क्षमता और गंगा जल में अंतरराज्यीय तथा अंतरराष्ट्रीय हिस्सेदारी पर पुनर्विचार की मांग बिहार वर्षों से कर रहा है.
जल संसाधन मंत्री के ट्वीट का यूजर्स ने जवाब भी दिया. अवध बिहारी शरण ने लिखा- मंत्री जी, बाढ़ की स्थिति समझने के लिए धन्यवाद परंतु महोदय आपकी सरकार विगत 15 वर्षो से सत्ता में काबिज हैं. आपने इस समस्या के निराकरण के लिए क्या किया हैं, यह बताएं, मिथिला जो आज बाढ़ से श्रापित है, उससे निकलने के लिए आपकी क्या योजना हैं ? समस्या बताने से अच्छा है उसका निदान देना हैं.
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मंत्री जी, बाढ़ की स्थिति समझने के लिए धन्यवाद परंतु महोदय आपकी सरकार विगत १५ वर्षो से सत्ता में काबिज हैं।आपने इस समस्या के निराकरण के लिए क्या किया हैं,यह बताए,मिथिला जो आज बाढ़ से श्रापित है उससे निकलने के लिए आपकी क्या योजना हैं ?समस्या बताने से अच्छा है उसका निदान देना हैं।
— अवध बिहारी शरण (@AvadhBsharan) July 13, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— अवध बिहारी शरण (@AvadhBsharan) July 13, 2021मंत्री जी, बाढ़ की स्थिति समझने के लिए धन्यवाद परंतु महोदय आपकी सरकार विगत १५ वर्षो से सत्ता में काबिज हैं।आपने इस समस्या के निराकरण के लिए क्या किया हैं,यह बताए,मिथिला जो आज बाढ़ से श्रापित है उससे निकलने के लिए आपकी क्या योजना हैं ?समस्या बताने से अच्छा है उसका निदान देना हैं।
— अवध बिहारी शरण (@AvadhBsharan) July 13, 2021
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वहीं, राजेश झा ने लिखा- 'बाढ से बचने का उपाय बताएं मंत्री जी, भौगोलिक स्थिति वही है, जो पहले थी, ये हर साल नहीं बदलती है. अगर यह इतना असंभव है तो हर साल बाढ़ पूर्व तैयारी के नाम पर क्यों करोड़ों खर्च होता है. बस पूर्वानुमान के आधार पर जान माल को सुरक्षित स्थान पर भेज दिया करें और राहत अनुदान दे दें.'
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बाढ से बचने का उपाय बताये मंत्री जी। भोगोलिक स्थिति वहीं है जो पहले थी, ये हर साल नहीं बदलती है।
— Rajesh Jha | राजेश झा (@kumraj28) July 13, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
अगर यह इतना असंभव है तो हर साल बाढ़ पूर्व तैयारी के नाम पर क्यूँ करोड़ो खर्च होता है।
बस पूर्वानुमान के आधार पर जान माल को सुरक्षित स्थान पे भेज दिया करें और राहत अनुदान दे दे।
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— Rajesh Jha | राजेश झा (@kumraj28) July 13, 2021
अगर यह इतना असंभव है तो हर साल बाढ़ पूर्व तैयारी के नाम पर क्यूँ करोड़ो खर्च होता है।
बस पूर्वानुमान के आधार पर जान माल को सुरक्षित स्थान पे भेज दिया करें और राहत अनुदान दे दे।बाढ से बचने का उपाय बताये मंत्री जी। भोगोलिक स्थिति वहीं है जो पहले थी, ये हर साल नहीं बदलती है।
— Rajesh Jha | राजेश झा (@kumraj28) July 13, 2021
अगर यह इतना असंभव है तो हर साल बाढ़ पूर्व तैयारी के नाम पर क्यूँ करोड़ो खर्च होता है।
बस पूर्वानुमान के आधार पर जान माल को सुरक्षित स्थान पे भेज दिया करें और राहत अनुदान दे दे।
फरक्का बराज की जल निकासी क्षमता और गंगा जल में अंतरराज्यीय तथा अंतरराष्ट्रीय हिस्सेदारी पर पुनर्विचार की मांग बिहार वर्षों से कर रहा है. बिहार के बड़े इलाके में आने वाली बाढ़ के स्थायी समाधान के लिए नेपाल में प्रमुख नदियों पर हाई डैम बनाने की आवश्यकता है। इस मुद्दे पर भारत और नेपाल सरकार के बीच वार्ता का दौर दशकों से जारी है, पर अपेक्षित परिणाम नहीं निकला है.