पटना: बिहार के पटना जंक्शन पर प्लास्टिक बोतल क्रशर मशीन का उपयोग (Use of Bottle crusher machine at Patna Junction) प्लास्टिक कचरे से पृथ्वी को बचाने में कारगर साबित हो रहा है. पर्यावरण को साफ रखने और प्रदूषण फैलने से रोकने को लेकर हर साल 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाया जाता है. इस दिन तरह-तरह के कार्यक्रम के माध्यम से लोगों को पर्यावरण और पृथ्वी को बचाने को लेकर लोगों को जागरूक किया जाता है. इसी क्रम में आज विश्व पृथ्वी दिवस पर हम बात करेंगे पटना जंक्शन की. यहां प्रतिदिन 4 से 5 लाख रेल यात्री सफर करते हैं. यात्री रेलवे स्टेशन पर पानी की बोतल खरीदारी करते हैं और पानी पीने के बाद उसको फेंक देते हैं. ऐसे में रेलवे प्रशासन की तरफ से स्वच्छता का ख्याल रखते हुए विशेष ध्यान दिया जा रहा है. इसके साथ-साथ जो यूज लायक प्लास्टिक की बोतल नहीं है. उसको यूज में न लाने के लिए प्लास्टिक बोतल क्रशर मशीन लगाया गया है.
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पटना जंक्शन पर लगी बोतल क्रशर मशीनः बोतल क्रशर मशीन के संचालनकर्ता मुरारी कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि प्लास्टिक बोतल क्रशर मशीन पटना जंक्शन के साथ-साथ पूर्व मध्य रेल के सभी प्रमुख रेलवे स्टेशन पर लगाया गया है. पटना जंक्शन पर दो क्रशर मशीन लगाया गया है. इस मशीन में जो भी रेल यात्री खाली बोतल को डालते हैं, डालने के बाद उनको अपना मोबाइल नंबर दर्ज करना होता है. उसके बाद उनकी मोबाइल पेटीएम में ₹5 कैशबैक जाता हैं. इस मशीन का लगाने का एक ही मकसद है कि रेलवे स्टेशन साफ सुथरा रह सके. साथ ही साथ जो प्लास्टिक बोतल क्रशर मशीन में डालने के बाद क्रश होती है उसका टी-शर्ट तैयार किया जाता है.
"प्लास्टिक बोतल क्रशर मशीन पटना जंक्शन के साथ-साथ पूर्व मध्य रेल के सभी प्रमुख रेलवे स्टेशन पर लगाया गया है. पटना जंक्शन पर दो क्रशर मशीन लगाया गया है. इस मशीन में जो भी रेल यात्री खाली बोतल को डालते हैं, डालने के बाद उनको अपना मोबाइल नंबर दर्ज करना होता है. उसके बाद उनकी मोबाइल पेटीएम में ₹5 कैशबैक जाते हैं" - मुरारी कुमार, मशीन संचालक
क्रशर मशीन में एक बोतल डालने पर मिलता है 5 रुपया: प्लास्टिक कचरे के खिलाफ अभियान तो हर बार चलाया जाता है. लेकिन बोतल क्रशर मशीन लग जाने से रेलवे परिसर में इधर उधर बोतल फेंके नजर नहीं आते हैं, जो पढ़े लिखे लोग हैं. वह क्रशर मशीन में बोतल को डालते हैं और जो बोतल चुनने वाले लोग हैं. वह लोग बोतल को इकट्ठा कर एक-एक करके उसमें बोतल को डालते हैं और किसी अपने जानकार व्यक्ति के मोबाइल नंबर डालकर उस पर कैशबैक भी पाते हैं.
क्रश किये बोतल से बनती है टी-शर्ट: मुरारी कुमार ने बताया कि 1 महीने पर बोतल क्रशर मशीन को खोला जाता है और जितना मेटेरियल रहता है उसको निकालकर मुंबई भेज दिया जाता है. मुंबई से टी-शर्ट बन कर आती है जो मार्केट में भी उपलब्ध है और कर्मियों को भी दी जाती है. उन्होंने कहा कि पटना जंक्शन पर 2 प्लास्टिक क्रशर मशीन लगाया गया है. इससे 1 क्विंटल प्लास्टिक बोतल क्रश कर निकाला जाता है. उन्होंने बताया कि दानापुर मंडल में 21 प्लास्टिक बोतल क्रशर मशीन लगाई गई है.
क्रशर मशीन से नहीं फैल रहा कचराः पृथ्वी को दूषित होने से बचाने में प्लास्टिक के लिए बोतल क्रशर मशीन काफी फायदेमंद साबित हो रहा है. साथ ही रेलवे स्टेशन या पटरी पर छोड़े गए प्लास्टिक के कचरे के प्रदूषण से रेलवे परिसर को मुक्ति मिल रही है. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार भी प्लास्टिक बैन को लेकर लगातार मुहिम चलाती है. ऐसे में रेलवे स्टेशन पर लगे मशीन से काफी फायदा हो रहा है. कुल मिलाकर अगर कहे तो विश्व पृथ्वी दिवस के मौके पर प्लास्टिक की बोतलें पर्यावरण को संरक्षित करने में मदद कर रही हैं. साथ ही साथ इन प्लास्टिक की बोतलों को क्रश कर इससे टी-शर्ट बनाई जा रही है.