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Opposition unity: 'नीतीश कुमार को अब काम करने में मन नहीं लग रहा', विपक्षी एकता पर उपेंद्र कुशवाहा

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Published : May 1, 2023, 7:52 PM IST

बिहार सीएम नीतीश कुमार की विपक्षी एकता पर उपेंद्र कुशवाहा सवाल खड़ा किया है. कहा कि सीएम नीतीश कुमार को बिहार के सीएम के रूप में मन नहीं लग रहा है. इसलिए अपना मन बहलाने के लिए यह काम कर रहे हैं. नीतीश कुमार कहते हैं कि विपक्ष के एक कैंडिडेट के बदले अपना एक कैंडिडेट उतारेंगे, जो संभव नहीं है.

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उपेंद्र कुशवाहा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, RLJD

पटनाः लोकसभा चुनाव को लेकर नीतीश कुमार विपक्ष को एक करने में जुटे हैं ताकि 2024 में BJP को सत्ता से उखाड़ फेंकना है. विपक्षी एकता पर उपेंद्र कुशवाहा ने सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के इस प्रयास का कोई फायदा नहीं होने वाला है. नीतीश कुमार का अब बिहार के कामों में नहीं लग रहा है, इसलिए मन बहलाने के लिए विपक्ष को एक करने में जुट गए हैं. उन्हें भी इस बात की जानकारी है कि, इससे कोई लाभ नहीं है. नीतीश कुमार NDA के हर कैंडिडेट पर अपना कैंडिडेट को लगाएंगे, यह संभव नहीं है.

यह भी पढ़ेंः Tejashwi Yadav Defamation Case: तेजस्वी की बढ़ी मुश्किलें, मानहानि केस में अहमदाबाद कोर्ट में हुई पहली सुनवाई

विपक्ष की एकजुटता संभव नहींः बता दें कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को चुनौती देने के लिए नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट करने की कवायद में जुटे हैं. नीतीश कुमार की मुलाकात अरविंद केजरीवाल, राहुल गांधी, ममता बनर्जी और अखिलेश यादव से को चुकी है. बिहार में तमाम विपक्षी दलों की पहली बैठक हो इसे लेकर मंथन जारी है. राष्ट्रीय लोक जनता दल प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार के मुहिम पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं. उपेंद्र कुशवाहा ने संकेत दिए हैं कि व्यावहारिक रूप से विपक्ष की एकजुटता संभव नहीं है.

बिहार को भगवान भरोसे छोड़ेः उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि बतौर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को काम करने में दिलचस्पी नहीं रह गई है. बिहार को उन्होंने भगवान भरोसे छोड़ दिया है. कई बार वह कह भी चुके हैं कि सिर्फ मन लगाने के लिए नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट करने की कवायद में जुटे हैं. नरेंद्र मोदी के खिलाफ कौन चेहरा होगा, इसको लेकर भी सहमति नहीं है. पटना में भले ही बैठक करेंगे, लेकिन अपने राज्य में लौटने के बाद आमने-सामने की लड़ाई में लग जाएंगे. 2024 के चुनाव में जनता जब देखेगी कि नरेंद्र मोदी के खिलाफ कौन लोग खड़े हैं.

"नीतीश कुमार के प्रयास का कोई अर्थ नहीं है, क्योंकि नीतीश जी खुद बोल रहे हैं कि एक के खिलाफ एक उम्मीदवार को बनाना चाहते हैं, जो संभव नहीं है. सिर्फ बैठक करने से कुछ नहीं हो सकता है. देश में चुनाव होना है तो देश की जनता के सामने सवाल भी बड़ा होगा. लोग 5 साल का मौका देने से पहले सोचेंगे कि क्या सिर्फ बैठक करने वालों के हाथ में सत्ता दे दें. नीतीश कुमार भी इस बात को समझ रहे हैं कि मेरे प्रयास का कोई अर्थ नहीं है. नीतीश कुमार के पास कोई काम नहीं बचा है. बिहार में काम करने में अब रूचि नहीं है. इनका मन ही नहीं लग रहा है. नीतीश कुमार मन लगाने के लिए विपक्ष को एक कर रहे हैं, लेकिन कोई इससे फायदा नहीं होगा." -उपेंद्र कुशवाहा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, RLJD

उपेंद्र कुशवाहा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, RLJD

पटनाः लोकसभा चुनाव को लेकर नीतीश कुमार विपक्ष को एक करने में जुटे हैं ताकि 2024 में BJP को सत्ता से उखाड़ फेंकना है. विपक्षी एकता पर उपेंद्र कुशवाहा ने सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के इस प्रयास का कोई फायदा नहीं होने वाला है. नीतीश कुमार का अब बिहार के कामों में नहीं लग रहा है, इसलिए मन बहलाने के लिए विपक्ष को एक करने में जुट गए हैं. उन्हें भी इस बात की जानकारी है कि, इससे कोई लाभ नहीं है. नीतीश कुमार NDA के हर कैंडिडेट पर अपना कैंडिडेट को लगाएंगे, यह संभव नहीं है.

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विपक्ष की एकजुटता संभव नहींः बता दें कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को चुनौती देने के लिए नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट करने की कवायद में जुटे हैं. नीतीश कुमार की मुलाकात अरविंद केजरीवाल, राहुल गांधी, ममता बनर्जी और अखिलेश यादव से को चुकी है. बिहार में तमाम विपक्षी दलों की पहली बैठक हो इसे लेकर मंथन जारी है. राष्ट्रीय लोक जनता दल प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार के मुहिम पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं. उपेंद्र कुशवाहा ने संकेत दिए हैं कि व्यावहारिक रूप से विपक्ष की एकजुटता संभव नहीं है.

बिहार को भगवान भरोसे छोड़ेः उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि बतौर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को काम करने में दिलचस्पी नहीं रह गई है. बिहार को उन्होंने भगवान भरोसे छोड़ दिया है. कई बार वह कह भी चुके हैं कि सिर्फ मन लगाने के लिए नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट करने की कवायद में जुटे हैं. नरेंद्र मोदी के खिलाफ कौन चेहरा होगा, इसको लेकर भी सहमति नहीं है. पटना में भले ही बैठक करेंगे, लेकिन अपने राज्य में लौटने के बाद आमने-सामने की लड़ाई में लग जाएंगे. 2024 के चुनाव में जनता जब देखेगी कि नरेंद्र मोदी के खिलाफ कौन लोग खड़े हैं.

"नीतीश कुमार के प्रयास का कोई अर्थ नहीं है, क्योंकि नीतीश जी खुद बोल रहे हैं कि एक के खिलाफ एक उम्मीदवार को बनाना चाहते हैं, जो संभव नहीं है. सिर्फ बैठक करने से कुछ नहीं हो सकता है. देश में चुनाव होना है तो देश की जनता के सामने सवाल भी बड़ा होगा. लोग 5 साल का मौका देने से पहले सोचेंगे कि क्या सिर्फ बैठक करने वालों के हाथ में सत्ता दे दें. नीतीश कुमार भी इस बात को समझ रहे हैं कि मेरे प्रयास का कोई अर्थ नहीं है. नीतीश कुमार के पास कोई काम नहीं बचा है. बिहार में काम करने में अब रूचि नहीं है. इनका मन ही नहीं लग रहा है. नीतीश कुमार मन लगाने के लिए विपक्ष को एक कर रहे हैं, लेकिन कोई इससे फायदा नहीं होगा." -उपेंद्र कुशवाहा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, RLJD

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