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'लव-कुश' समीकरण में फिट होने से पहले CM नीतीश से मिले उपेंद्र कुशवाहा, करीब एक घंटे चली मुलाकात - Chief Minister Nitish Kumar

जदयू में विलय से पहले उपेंद्र कुशवाहा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अंतिम दौर की बात की है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ उपेंद्र कुशवाहा की लगभग एक घंटे तक मुलाकात चली है. मुख्यमंत्री से मिलने के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने वशिष्ठ नारायण सिंह के आवास पर जाकर बैठक की. लेकिन बैठक को लेकर कुछ भी बोलने से मना कर दिया. वशिष्ठ नारायण सिंह के साथ उपेंद्र कुशवाहा लगातार संपर्क में थे. यहां तक कि कोविड-19 का वैक्सीन भी दोनों ने एक साथ लिया था.

पटना
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Published : Mar 13, 2021, 10:35 PM IST

पटना: जदयू ने सोमवार को 2 बजे बैठक बुलाई है और उपेंद्र कुशवाहा 11 बजे राष्ट्रीय परिषद की अपनी पार्टी की बैठक के बाद जदयू कार्यालय में पार्टी में शामिल हो सकते हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी बैठक में मौजूद रह सकते हैं. लेकिन, फिलहाल उपेंद्र कुशवाहा ने पूरे मामले पर चुप्पी साध ली है. रविवार को राष्ट्रीय परिषद की बैठक में ही ऐलान करने की बात कही है.

ये भी पढ़ें- RLSP का JDU में विलय तय! रविवार की बैठक में ऐलान संभव

वशिष्ठ नारायण से भी की मुलाकात
रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने जदयू में पार्टी के विलय होने से पहले जदयू के वरिष्ठ नेता वशिष्ठ नारायण सिंह के आवास पर पहुंचे और बातचीत की और फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने गए. मुख्यमंत्री और उपेंद्र कुशवाहा के बीच लगभग 1 घंटे तक बातचीत हुई है. विलय से पहले उपेंद्र कुशवाहा पार्टी में अपनी स्थिति और अन्य मुद्दों पर सब कुछ तय कर लेना चाहते हैं.

सीएम नीतीश ने रखी थी शर्त
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहले ही उपेंद्र कुशवाहा को पूरी पार्टी विलय करने की शर्त रखी थी. रालोसपा में एक खेमा पार्टी के जदयू में विलय करने के खिलाफ है. एक खेमा नाराज होकर आरजेडी में भी शामिल हो चुका है. दूसरी तरफ उपेंद्र कुशवाहा राज्यसभा में अपनी उपस्थिति चाहते हैं और बिहार मंत्रिमंडल एक ही पार्टी की भागीदारी की मांग कर रहे हैं. लेकिन, फिलहाल राज्यसभा में जदयू कोटे से कोई सीट खाली हो रही है और मंत्रिमंडल विस्तार होने की भी फिलहाल कोई संभावना नहीं है.

मिल सकती है अहम जिम्मेदारी
ऐसे में राज्यपाल कोटे से भरे जाने वाले एमएलसी सीट ही बच जाती है और जदयू की तरफ से 1 सीट देने की सूचना मिल रही है. उपेंद्र कुशवाहा पार्टी में महत्वपूर्ण पद भी चाहते हैं. लेकिन नीतीश कुमार राष्ट्रीय अध्यक्ष पहले से ही आरसीपी सिंह को बना चुके हैं. प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा को बना चुके हैं. ऐसे में अब देखना है उपेंद्र कुशवाहा यदि पूरी पार्टी का विलय करते हैं, तो नीतीश उन्हें किस भूमिका में रखेंगे.

ये भी पढ़ें- पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव पर भाकपा माले की नजर, रणनीति बनाने में जुटे नेता

दूसरी बार घर वापसी
रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की दूसरी बार घर वापसी हो रही है. 2004 में कुशवाहा को नीतीश कुमार ने विधानसभा में विपक्ष का नेता बनाया था, हालांकि उसके बाद उपेंद्र कुशवाहा अलग हो गए. फिर 2008 में राष्ट्रीय समता पार्टी बनाई थी, जिसका जदयू में विलय हुआ. 2010 में नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा भी भेजा लेकिन फिर दोनों अलग हो गए और अब एक बार फिर से 2013 में जिस रालोसपा का गठन किया था, उपेंद्र कुशवाहा ने उसे जदयू में विलय की तैयारी कर ली है.

पटना: जदयू ने सोमवार को 2 बजे बैठक बुलाई है और उपेंद्र कुशवाहा 11 बजे राष्ट्रीय परिषद की अपनी पार्टी की बैठक के बाद जदयू कार्यालय में पार्टी में शामिल हो सकते हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी बैठक में मौजूद रह सकते हैं. लेकिन, फिलहाल उपेंद्र कुशवाहा ने पूरे मामले पर चुप्पी साध ली है. रविवार को राष्ट्रीय परिषद की बैठक में ही ऐलान करने की बात कही है.

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वशिष्ठ नारायण से भी की मुलाकात
रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने जदयू में पार्टी के विलय होने से पहले जदयू के वरिष्ठ नेता वशिष्ठ नारायण सिंह के आवास पर पहुंचे और बातचीत की और फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने गए. मुख्यमंत्री और उपेंद्र कुशवाहा के बीच लगभग 1 घंटे तक बातचीत हुई है. विलय से पहले उपेंद्र कुशवाहा पार्टी में अपनी स्थिति और अन्य मुद्दों पर सब कुछ तय कर लेना चाहते हैं.

सीएम नीतीश ने रखी थी शर्त
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहले ही उपेंद्र कुशवाहा को पूरी पार्टी विलय करने की शर्त रखी थी. रालोसपा में एक खेमा पार्टी के जदयू में विलय करने के खिलाफ है. एक खेमा नाराज होकर आरजेडी में भी शामिल हो चुका है. दूसरी तरफ उपेंद्र कुशवाहा राज्यसभा में अपनी उपस्थिति चाहते हैं और बिहार मंत्रिमंडल एक ही पार्टी की भागीदारी की मांग कर रहे हैं. लेकिन, फिलहाल राज्यसभा में जदयू कोटे से कोई सीट खाली हो रही है और मंत्रिमंडल विस्तार होने की भी फिलहाल कोई संभावना नहीं है.

मिल सकती है अहम जिम्मेदारी
ऐसे में राज्यपाल कोटे से भरे जाने वाले एमएलसी सीट ही बच जाती है और जदयू की तरफ से 1 सीट देने की सूचना मिल रही है. उपेंद्र कुशवाहा पार्टी में महत्वपूर्ण पद भी चाहते हैं. लेकिन नीतीश कुमार राष्ट्रीय अध्यक्ष पहले से ही आरसीपी सिंह को बना चुके हैं. प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा को बना चुके हैं. ऐसे में अब देखना है उपेंद्र कुशवाहा यदि पूरी पार्टी का विलय करते हैं, तो नीतीश उन्हें किस भूमिका में रखेंगे.

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दूसरी बार घर वापसी
रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की दूसरी बार घर वापसी हो रही है. 2004 में कुशवाहा को नीतीश कुमार ने विधानसभा में विपक्ष का नेता बनाया था, हालांकि उसके बाद उपेंद्र कुशवाहा अलग हो गए. फिर 2008 में राष्ट्रीय समता पार्टी बनाई थी, जिसका जदयू में विलय हुआ. 2010 में नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा भी भेजा लेकिन फिर दोनों अलग हो गए और अब एक बार फिर से 2013 में जिस रालोसपा का गठन किया था, उपेंद्र कुशवाहा ने उसे जदयू में विलय की तैयारी कर ली है.

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