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Caste Census Report: 'जातीय गणना की रिपोर्ट गलत, राजनीतिक लाभ के लिए जारी की गयी'- उपेंद्र कुशवाहा के आरोप

बिहार सरकार ने जातीय गणना की रिपोर्ट जारी कर दी है. इस पर सियासी बयानबाजी शुरू हो गयी है. उपेंद्र कुशवाहा ने जातीय गणना की रिपोर्ट को गलत (Upendra Kushwaha caste census report wrong) बताया, कहा कि सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए रिपोर्ट जारी की गयी. पढ़ें, विस्तार से.

उपेंद्र कुशवाहा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, रालोजद
उपेंद्र कुशवाहा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, रालोजद
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 2, 2023, 7:16 PM IST

उपेंद्र कुशवाहा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, रालोजद.

पटनाः राष्ट्रीय लोक जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार की जातीय गणना की रिपोर्ट को गलत बताया है. उन्होंने कहा कि वो भी चाहते थे कि जातीय गणना जल्द से जल्द हो जाए लेकिन, जिस तरह से बिहार सरकार ने गणना की रिपोर्ट जारी की है उससे स्पष्ट है कि कहीं ना कहीं राजनीतिक लाभ लेने के लिए इस तरह का काम ऐसे समय में किया गया है. उन्होंने कहा कि जातीय गणना की रिपोर्ट के साथ आर्थिक सर्वे भी पेश करनी चाहिए थी. अगर सरकार पेश नहीं कर रही है तो इसका अर्थ सभी लोग जानते हैं.

इसे भी पढ़ेंः Bihar Caste Survey Report जारी होने के बाद बड़ी तैयारी में CM नीतीश, इन राजनीतिक दलों की बुलाएंगे विशेष बैठक

"जो रिपोर्ट जारी की गयी है उसे लोग शंका की दृष्टि से देख रहे हैं. जो डाटा उन्होंने दिया है वह सभी जगह पर सार्वजनिक की जाए. जातीय गणना में भारी गड़बड़ी हुई है. कई लोगों ने शिकायत की है कि उनसे कभी जाति पूछने के लिए कोई नहीं आया, तो फिर किस आधार पर सरकार ने जातीय गणना करवाया है. हमें पता नहीं चल रहा है."- उपेंद्र कुशवाहा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, रालोजद

राजनीतिक लाभ के लिए पेश किये गये आंकड़े: उपेंद्र कुशवाहा ने साफ-साफ कहा कि आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट नहीं देने के पीछे क्या कारण है, सरकार की क्या मंशा है यह किसी से छुपा हुआ नहीं है. सिर्फ राजनीतिक लाभ लेने के लिए जातीय आंकड़े पेश कर दिए गए हैं. जब सरकार का उद्देश्य यह है की अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को सरकारी योजनाओं का लाभ मिले तो जब तक आर्थिक सर्वे का डाटा पेश नहीं किया जाएगा तब तक कैसे पता चलेगा कि किस जाति के लोग गरीब हैं. किस जाति के लोग की आर्थिक स्थिति बद से बदतर है.

सरकार की मंशा पूरी तरह से ठीक नहींः उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि सरकार की मंशा पूरी तरह से ठीक नहीं है. यही कारण है कि इस तरह की रिपोर्ट सरकार ने पेश करने का काम किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि यह जल्दबाजी में करायी गयी गणना है. सरकार ने कोई आधार नहीं बनाया और कई लोगों की शिकायत है कि उनसे कोई पूछताछ नहीं की गई है. निश्चित तौर पर सरकार को इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है.

बिहार में जातिगत गणना का आंकड़ा जारीः सोमवार को पटना में प्रेस कांफ्रेंस में प्रभारी मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने इसकी जानकारी दी. विभागीय जानकारी के अनुसार 215 जातियों का आंकड़ा जारी कर दिया गया है. सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 36 फीसदी अत्यंत पिछड़ा, 27 फीसदी पिछड़ा वर्ग, 19 फीसदी से थोड़ी ज्यादा अनुसूचित जाति और 1.68 फीसदी अनुसूचित जनजाति बताई गई है. जातीय गणना में बिहार की कुल आबादी 13, 01725310 है.

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उपेंद्र कुशवाहा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, रालोजद.

पटनाः राष्ट्रीय लोक जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार की जातीय गणना की रिपोर्ट को गलत बताया है. उन्होंने कहा कि वो भी चाहते थे कि जातीय गणना जल्द से जल्द हो जाए लेकिन, जिस तरह से बिहार सरकार ने गणना की रिपोर्ट जारी की है उससे स्पष्ट है कि कहीं ना कहीं राजनीतिक लाभ लेने के लिए इस तरह का काम ऐसे समय में किया गया है. उन्होंने कहा कि जातीय गणना की रिपोर्ट के साथ आर्थिक सर्वे भी पेश करनी चाहिए थी. अगर सरकार पेश नहीं कर रही है तो इसका अर्थ सभी लोग जानते हैं.

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"जो रिपोर्ट जारी की गयी है उसे लोग शंका की दृष्टि से देख रहे हैं. जो डाटा उन्होंने दिया है वह सभी जगह पर सार्वजनिक की जाए. जातीय गणना में भारी गड़बड़ी हुई है. कई लोगों ने शिकायत की है कि उनसे कभी जाति पूछने के लिए कोई नहीं आया, तो फिर किस आधार पर सरकार ने जातीय गणना करवाया है. हमें पता नहीं चल रहा है."- उपेंद्र कुशवाहा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, रालोजद

राजनीतिक लाभ के लिए पेश किये गये आंकड़े: उपेंद्र कुशवाहा ने साफ-साफ कहा कि आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट नहीं देने के पीछे क्या कारण है, सरकार की क्या मंशा है यह किसी से छुपा हुआ नहीं है. सिर्फ राजनीतिक लाभ लेने के लिए जातीय आंकड़े पेश कर दिए गए हैं. जब सरकार का उद्देश्य यह है की अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को सरकारी योजनाओं का लाभ मिले तो जब तक आर्थिक सर्वे का डाटा पेश नहीं किया जाएगा तब तक कैसे पता चलेगा कि किस जाति के लोग गरीब हैं. किस जाति के लोग की आर्थिक स्थिति बद से बदतर है.

सरकार की मंशा पूरी तरह से ठीक नहींः उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि सरकार की मंशा पूरी तरह से ठीक नहीं है. यही कारण है कि इस तरह की रिपोर्ट सरकार ने पेश करने का काम किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि यह जल्दबाजी में करायी गयी गणना है. सरकार ने कोई आधार नहीं बनाया और कई लोगों की शिकायत है कि उनसे कोई पूछताछ नहीं की गई है. निश्चित तौर पर सरकार को इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है.

बिहार में जातिगत गणना का आंकड़ा जारीः सोमवार को पटना में प्रेस कांफ्रेंस में प्रभारी मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने इसकी जानकारी दी. विभागीय जानकारी के अनुसार 215 जातियों का आंकड़ा जारी कर दिया गया है. सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 36 फीसदी अत्यंत पिछड़ा, 27 फीसदी पिछड़ा वर्ग, 19 फीसदी से थोड़ी ज्यादा अनुसूचित जाति और 1.68 फीसदी अनुसूचित जनजाति बताई गई है. जातीय गणना में बिहार की कुल आबादी 13, 01725310 है.

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