पटना: सम्राट अशोक और औरंगजेब की तुलना (Comparison Between Ashoka and Aurangzeb) को लेकर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल (BJP State President Sanjay Jaiswal) और जेडीयू नेता उपेंद्र कुशवाहा (JDU Leader Upendra Kushwaha) आमने-सामने हैं. बीजेपी की ओर से टिप्पणी करने वाले पद्मश्री से सम्मानित लेखक दया प्रकाश सिन्हा (Daya Prakash Sinha) पर प्राथमिकी दर्ज कराने के बावजूद जेडीयू ने एक बार फिर उन्हें घेरा है. कुशवाहा ने कहा कि गठबंधन के संदर्भ में और सम्राट अशोक वाले मुद्दे पर आपका बयान देखा. पढ़ने के बाद मुझे लगा कि आपके बयान पर मैं भी अपनी राय से आपको अवगत करा दूं.
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जेडीयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने लिखा, 'गठबंधन के संदर्भ में दिए गए आपके वक्तव्य से मैं पूरी तरह सहमत हूँ. (गठबंधन ठीक तरह से चले, यह राज्यहित में आवश्यक है और इसे जारी रखना हमारा-आपका कर्तव्य है) लेकिन सम्राट अशोक वाले मुद्दे पर हम आपकी राय से सहमत नहीं हो सकते, क्योंकि इस सन्दर्भ में आपका वक्तव्य पूर्णतः गोल मटोल एवं भटकाव पैदा करने वाला है (आपने लिखा है कि आपकी पार्टी भारतीय राजाओं के स्वर्णिम इतिहास में कोई छेड़छाड़ बर्दास्त नहीं कर सकती). मेरा सवाल है कि आप दया प्रकाश सिन्हा के द्वारा घोर और अमर्यादित भाषा में सम्राट अशोक और औरंगजेब की तुलना को इतिहास में छेड़छाड़ मानते हैं या नहीं.'
उपेंद्र कुशवाहा ने आगे कहा, 'आपने अपने वक्तव्य में कहा है कि राष्ट्रपति द्वारा दिए गए पुरस्कार की वापसी की मांग प्रधानमंत्री से करना बकवास है (मेरा आपसे दूसरा सवाल है कि मांग प्रधानमंत्री से की जाए या राष्ट्रपति से यह तो हम दोनों मिलकर तय कर लेंगे, परन्तु पहले आप साफ-साफ यह तो बताइए कि पुरस्कार वापसी की हमारी मांग का आप समर्थन करते हैं या नहीं? आपने अपने वक्तव्य में यह लिखा है कि बिहार की सरकार आपके आवेदन पर कार्रवाई करते हुए दया प्रकाश सिन्हा को सजायाफ्ता बनाए, फिर पदमश्री पुरस्कार वापस लेने की मांग को लेकर एक प्रतिनिधि मंडल राष्ट्रपति जी से मिले (आपका यह वक्तव्य भी पूर्णतः भटकाव पैदा करने वाला है, क्योंकि अपने वक्तव्य में आपने स्वयं इस बात का उल्लेख किया है कि पहलवान सुशील कुमार पर हत्या के आरोप सिद्ध होने के बावजूद राष्ट्रपति ने उनका पदक वापस नहीं लिया, फिर भी आपका यह कहना कि दया प्रकाश सिन्हा को सजायाफ्ता हो जाने के बाद पुरस्कार वापसी की मांग की जाए, हास्यपद नहीं तो और क्या है.'
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जेडीयू नेता ने जोर देकर कहा, 'आपके वक्तव्य से स्पष्ट है कि पुरस्कार वापसी में राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं है (माननीय जी, सम्राट अशोक के प्रति अपमान जनक रूप से इतिहास को नए सिरे से परिभाषित करने के कुत्स्ति प्रयास का विरोध का इतिश्री बिहार पुलिस में एक आवेदन देकर कर लेना आपके लिए तो संभव है, मगर हमारा विरोध तबतक जारी रहेगा जबतक कि दया प्रकाश सिन्हा का पुरस्कार वापिस नहीं हो जाता चाहे राष्ट्रपति जी करें या प्रधानमंत्री जी).
दरअसल, पद्मश्री से सम्मानित दया प्रकाश सिन्हा ने सम्राट अशोक पर विवादित बयान देते हुए उनकी तुलना क्रूर औरंगजेब से कर दी. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दया प्रकाश सिन्हा ने कहा था, 'सम्राट अशोक क्रूर, कामुक और बदसूरत थे. उन्होंने अशोक को भाई का हत्यारा बताकर उनकी तुलना क्रूर औरंगजेब से कर दी. उन्होंने कहा कि सम्राट अशोक बेहद बदसूरत और कामुक थे. देश के विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों के पाठ्यक्रमों में सम्राट अशोक के उजले पक्ष को ही शामिल किया गया है, जबकि उनकी असलियत इससे अलग भी थी. श्रीलंका के तीन बौद्ध ग्रंथों का उन्होंने हवाला देकर ये बयान दिया था.'
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