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लॉकडाउन: कोटा में बिहार सहित कई राज्यों के हजारों छात्र फंसे, यूपी सरकार ने भेजी 250 बसें - लॉकडाउन में फंसे है कई छात्र

जहां एक ओर देश में कोरोना के बढ़ते संक्रमण से सभी आहत हैं. वहीं, दूसरे राज्यों में पढ़ रहे बच्चों को भी इससे काफी समस्याएं हो रही हैं. इस बीच बिहार सरकार की आपत्ति के बाद कोटा प्रशासन ने सभी छात्रों की परमिट पर रोक लगा दिया है. ऐसे में यूपी सरकार ने निर्णय लेते हुए अपने 8 हजार छात्रों के लिए 250 बसें भेजी हैं. बताया जा रहा है कि ये बसें शाम तक कोटा पहुंचेगी.

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Published : Apr 17, 2020, 2:28 PM IST

कोटा/पटना: 'कोविड-19' का कहर पूरे देश में जारी है. इस वायरस के कारण भारत को लॉकडाउन कर दिया गया है. इस वजह से राजस्थान के कोटा में कई राज्यों के छात्र फंसे हुए हैं. इस बीच यूपी सरकार ने अपने राज्य के छात्रों को वापस बुलाने का फैसला किया है, लेकिन बिहार के भी कई छात्र वहां फंसे हुए है. उन्होंने ईटीवी भारत से बात की.

छात्रों ने सीएम नीतीश कुमार से घर वापस बुलाने की मांग की है. उनका कहना है कि उन्हें खाने-पीने में परेशानी हो रही है. साथ ही मकान मालिक की ओर से भी परेशान किया जा रहा है.

'छात्रों की समस्या सुनने वाला कोई नहीं'
बता दें कि ऐसे में कोटा में पढ़ने वाले छात्रों के परमिट पर रोक लगाने के लिए बिहार सरकार ने आपत्ति जताई थी. इसके बाद कोटा प्रशासन ने करीब 30 हजार छात्र के परमिट पर रोक लगा दिया. ये सभी बाहरी राज्य के हैं, जिनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, दिल्ली और पश्चिम बंगाल के छात्र शामिल हैं. अब ऐसे इन छात्रों की परेशानियों को सुनने वाला कोई नहीं है.

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कोटा में फंसे है कई बिहारी छात्र

कोटा में फंसे हुए हैं कई राज्यों के छात्र
उत्तर प्रदेश सरकार ने ठोस कदम उठाते हुए कोटा में पढ़ने वाले अपने प्रदेश के छात्रों को वापस ले जाने के लिए 250 बसों की व्यवस्था की है, इनमें करीब यूपी के 8 हजार छात्र अपने गृह राज्य के लिए रवाना होंगे. इसमें आगरा से 150 और झांसी से 100 बसें कोटा आने वाली हैं, जो शुक्रवार की शाम तक कोटा पहुंच जाएगी. इसके साथ ही इन बसों में पुलिसकर्मी और सुरक्षा गार्ड भी मौजूद रहेंगे. इसके अलावा इन छात्रों को शाम का भोजन कराकर सभी को मास्क, सैनिटाइजर और नाश्ते का पैकेट के साथ पानी के बोतल भी दिए जाएंगे. वहीं, कोटा के कोचिंग संस्थान भी यूपी के सभी छात्र की सूची बनाना तैयार कर रही है. उसी के अनुसार उन्हें बसों में शिफ्ट किया जाएगा.

छात्रों को खाने-पीने में हो रही है समस्या
कोटा में फंसे बिहार के छात्रों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण उन्हें खाने-पीने में भी समस्या होती है. मकान मालिक की ओर से किराया के लिए भी परेशान किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि स्थानीय सरकार की ओर से कोई व्यवस्था नहीं की गई है. बिहारी छात्रों के पास खाना खाने के लिए भी पैसा नहीं है. ज्यादातर छात्र किसान परिवार से आते हैं.

देखें रिपोर्ट.

ट्विटर पर चलाया था 'SEND US BACK HOME' अभियान
कोटा के कोचिंग संस्थानों में पढ़ने वाले सभी छात्र लॉकडाउन के चलते वहीं फसे हुए हैं और इससे वे काफी परेशान भी हैं. ऐसे में कोटा प्रशासन ने उनकी परमिट पर रोक लगा दी थी. जिसके बाद इन विद्यार्थियों ने खुद ही ट्विटर पर एक अभियान छेड़ दिया था, जिसको "SEND US BACK HOME" नाम दिया है. इस अभियान के तहत कोटा के छात्रों की ओर से करीब 80 हजार ट्वीट किए गए थे.

'दूसरे राज्य के छात्रों के लिए भी किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं'
कोटा की कोचिंग संस्थानों के मुताबिक करीब 2 लाख छात्र मेडिकल और इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने के लिए आते हैं, लेकिन दिसम्बर के बाद ही कोर्सेज पूरे होने शुरू हो जाते हैं. ऐसे में इन दिनों यहां 20 प्रतिशत ही ऐसे छात्र है जिनका या तो परीक्षा केंन्द्र कोटा में है या फिर जो अगले वर्ष भी पढ़ाई जारी रख रहे हैं. इनमें सभी करीब 10 हजार छात्र अपने परिजनों या कोटा जिला प्रशासन से परमिशन लेकर वापस अपने गृह राज्यों की तरफ लौट गए हैं. अब केवल 30 हजार बच्चे ही कोटा में बचे हैं. ऐसे में कोचिंग संस्थानों के मुताबिक उत्तर प्रदेश के करीब 8000 बच्चे कोटा में फंसे हुए हैं. इसके अलावा बिहार के करीब 7 हजार, मध्यप्रदेश के 3500, झारखंड, हरियाणा और महाराष्ट्र करीब दो-दो हजार छात्र फंसे हुए हैं. वहीं, नॉर्थ-ईस्ट और पश्चिम बंगाल के एक-एक हजार छात्र भी कोटा में ही है. इनके लिए किसी तरह की व्यवस्था अभी नहीं की गई है.

कोटा/पटना: 'कोविड-19' का कहर पूरे देश में जारी है. इस वायरस के कारण भारत को लॉकडाउन कर दिया गया है. इस वजह से राजस्थान के कोटा में कई राज्यों के छात्र फंसे हुए हैं. इस बीच यूपी सरकार ने अपने राज्य के छात्रों को वापस बुलाने का फैसला किया है, लेकिन बिहार के भी कई छात्र वहां फंसे हुए है. उन्होंने ईटीवी भारत से बात की.

छात्रों ने सीएम नीतीश कुमार से घर वापस बुलाने की मांग की है. उनका कहना है कि उन्हें खाने-पीने में परेशानी हो रही है. साथ ही मकान मालिक की ओर से भी परेशान किया जा रहा है.

'छात्रों की समस्या सुनने वाला कोई नहीं'
बता दें कि ऐसे में कोटा में पढ़ने वाले छात्रों के परमिट पर रोक लगाने के लिए बिहार सरकार ने आपत्ति जताई थी. इसके बाद कोटा प्रशासन ने करीब 30 हजार छात्र के परमिट पर रोक लगा दिया. ये सभी बाहरी राज्य के हैं, जिनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, दिल्ली और पश्चिम बंगाल के छात्र शामिल हैं. अब ऐसे इन छात्रों की परेशानियों को सुनने वाला कोई नहीं है.

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कोटा में फंसे है कई बिहारी छात्र

कोटा में फंसे हुए हैं कई राज्यों के छात्र
उत्तर प्रदेश सरकार ने ठोस कदम उठाते हुए कोटा में पढ़ने वाले अपने प्रदेश के छात्रों को वापस ले जाने के लिए 250 बसों की व्यवस्था की है, इनमें करीब यूपी के 8 हजार छात्र अपने गृह राज्य के लिए रवाना होंगे. इसमें आगरा से 150 और झांसी से 100 बसें कोटा आने वाली हैं, जो शुक्रवार की शाम तक कोटा पहुंच जाएगी. इसके साथ ही इन बसों में पुलिसकर्मी और सुरक्षा गार्ड भी मौजूद रहेंगे. इसके अलावा इन छात्रों को शाम का भोजन कराकर सभी को मास्क, सैनिटाइजर और नाश्ते का पैकेट के साथ पानी के बोतल भी दिए जाएंगे. वहीं, कोटा के कोचिंग संस्थान भी यूपी के सभी छात्र की सूची बनाना तैयार कर रही है. उसी के अनुसार उन्हें बसों में शिफ्ट किया जाएगा.

छात्रों को खाने-पीने में हो रही है समस्या
कोटा में फंसे बिहार के छात्रों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण उन्हें खाने-पीने में भी समस्या होती है. मकान मालिक की ओर से किराया के लिए भी परेशान किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि स्थानीय सरकार की ओर से कोई व्यवस्था नहीं की गई है. बिहारी छात्रों के पास खाना खाने के लिए भी पैसा नहीं है. ज्यादातर छात्र किसान परिवार से आते हैं.

देखें रिपोर्ट.

ट्विटर पर चलाया था 'SEND US BACK HOME' अभियान
कोटा के कोचिंग संस्थानों में पढ़ने वाले सभी छात्र लॉकडाउन के चलते वहीं फसे हुए हैं और इससे वे काफी परेशान भी हैं. ऐसे में कोटा प्रशासन ने उनकी परमिट पर रोक लगा दी थी. जिसके बाद इन विद्यार्थियों ने खुद ही ट्विटर पर एक अभियान छेड़ दिया था, जिसको "SEND US BACK HOME" नाम दिया है. इस अभियान के तहत कोटा के छात्रों की ओर से करीब 80 हजार ट्वीट किए गए थे.

'दूसरे राज्य के छात्रों के लिए भी किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं'
कोटा की कोचिंग संस्थानों के मुताबिक करीब 2 लाख छात्र मेडिकल और इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने के लिए आते हैं, लेकिन दिसम्बर के बाद ही कोर्सेज पूरे होने शुरू हो जाते हैं. ऐसे में इन दिनों यहां 20 प्रतिशत ही ऐसे छात्र है जिनका या तो परीक्षा केंन्द्र कोटा में है या फिर जो अगले वर्ष भी पढ़ाई जारी रख रहे हैं. इनमें सभी करीब 10 हजार छात्र अपने परिजनों या कोटा जिला प्रशासन से परमिशन लेकर वापस अपने गृह राज्यों की तरफ लौट गए हैं. अब केवल 30 हजार बच्चे ही कोटा में बचे हैं. ऐसे में कोचिंग संस्थानों के मुताबिक उत्तर प्रदेश के करीब 8000 बच्चे कोटा में फंसे हुए हैं. इसके अलावा बिहार के करीब 7 हजार, मध्यप्रदेश के 3500, झारखंड, हरियाणा और महाराष्ट्र करीब दो-दो हजार छात्र फंसे हुए हैं. वहीं, नॉर्थ-ईस्ट और पश्चिम बंगाल के एक-एक हजार छात्र भी कोटा में ही है. इनके लिए किसी तरह की व्यवस्था अभी नहीं की गई है.

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