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कामाख्या मंदिर से लायी गयी है अखंडवासनि मंदिर की ज्योति, दर्शन मात्र से पूरी होती है मनोकामना

पटना के गोलघर के पास बना श्री अखंडवासनि मंदिर सदियों से आस्था का केंद्र बना हुआ है. इस मंदिर में सालों से अखंड ज्योति जल रही है.

अखंडवासनि मंदिर की ज्योति
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Published : Sep 25, 2019, 7:09 AM IST

पटना: सनातन धर्म में नवरात्रि का अलग महत्व है. राजधानी के अखंडवासनि मंदिर की मान्यता केवल प्रदेश तक ही सीमित नहीं है. दूर-दराज से भी भक्त यहां अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं. मंदिर में सदियों से जल रही ज्योति के दर्शन मात्र से भक्तों का दुख दूर हो जाता है. नवरात्रि के अलावा अन्य दिनों में भी अखंडवासनि मंदिर में भक्तों का अपार हुजूम उमड़ता है.

PATNA
अखंडवासनि मंदिर में माता की प्रतिमा

115 साल पहले असम के कामाख्या मंदिर से लाई गई ज्योति
पटना के गोलघर के पास बना श्री अखंडवासनि मंदिर सदियों से आस्था का केंद्र बना हुआ है. इस मंदिर में सालों से अखंड ज्योति जल रही है. प्रचलित मान्यता के अनुसार इस ज्योति को असम के कामाख्या मंदिर से यहां लाया गया है. इस मंदिर में दो ज्योति जलाने की परंपरा है. एक सरसों तेल की और एक घी की.

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अखंडवासनी मंदिर

नवरात्रि में विशेष विधि से होती है पूजा
बता दें कि अखंडवासनि मंदिर में मां काली की प्रतिमा के साथ माता की बंगला मुखी प्रतिमा स्थापित है. नवरात्रि के समय यहां माता को सात हल्दी, नौ लाल फूल और एक पैकेट सिंदूर चढ़ाने की परंपरा है. कहा जाता है कि ऐसा करने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है.

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सालों से जल रही अखंड ज्योति

हर मंगलवार को लगता है भक्तों का तांता
नवरात्र में सप्तमी, अष्टमी और नवमी के दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन-पूजन करने के लिए पहुंचते हैं. हर दिन इस मंदिर में त्रिकाल आरती भी होती है. हर मंगलवार को इस मंदिर का नजारा अद्भूत होता है. हाथ में पूजा की सामाग्री लिए भक्त तड़के सुबह से ही लाइन लगा लेते हैं. मंगलवार को यहां भक्तों का तांता लगता है.

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नवरात्रि में विशेष विधि से होती है पूजा

तीन पढ़ियों से एक ही परिवार कर रहा सेवा
मंदिर पुजारी बताते हैं कि सन् 1914 में यह मंदिर झोपड़ीनुमा था. भक्तों की श्रद्धा और विश्वास के कारण देखते ही देखते आज यह पटना के प्रमुख उपासना स्थलों में शुमार हो गया है. तीन पीढ़ियों से एक ही परिवार माता की सेवा करने में लगा है.

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मंगलवार को लगता है भक्तों का तांता
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मंदिर पुजारी ने बताई मान्यता

1914 में लाया गया था अखंड दीप
मौजूदा व्यवस्था पर पुजारी की मानें तो सन् 1914 में उनके बाबा आयुर्वेदाचार्य डॉ. विश्वनाथ तिवारी ने इस अखंड दीप को कामाख्या से लाकर यहां स्थापित किया था तब से दो अखंड दीप मंदिर में लगातार जल रहे हैं. 115 वर्षों से इस मंदिर की ज्योति लगातार जल रही है. अखंड ज्योति के कारण ही इस मंदिर का नाम नाम अखंडवासनि मंदिर पड़ा है.

विशेष पैकेज

पटना: सनातन धर्म में नवरात्रि का अलग महत्व है. राजधानी के अखंडवासनि मंदिर की मान्यता केवल प्रदेश तक ही सीमित नहीं है. दूर-दराज से भी भक्त यहां अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं. मंदिर में सदियों से जल रही ज्योति के दर्शन मात्र से भक्तों का दुख दूर हो जाता है. नवरात्रि के अलावा अन्य दिनों में भी अखंडवासनि मंदिर में भक्तों का अपार हुजूम उमड़ता है.

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अखंडवासनि मंदिर में माता की प्रतिमा

115 साल पहले असम के कामाख्या मंदिर से लाई गई ज्योति
पटना के गोलघर के पास बना श्री अखंडवासनि मंदिर सदियों से आस्था का केंद्र बना हुआ है. इस मंदिर में सालों से अखंड ज्योति जल रही है. प्रचलित मान्यता के अनुसार इस ज्योति को असम के कामाख्या मंदिर से यहां लाया गया है. इस मंदिर में दो ज्योति जलाने की परंपरा है. एक सरसों तेल की और एक घी की.

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अखंडवासनी मंदिर

नवरात्रि में विशेष विधि से होती है पूजा
बता दें कि अखंडवासनि मंदिर में मां काली की प्रतिमा के साथ माता की बंगला मुखी प्रतिमा स्थापित है. नवरात्रि के समय यहां माता को सात हल्दी, नौ लाल फूल और एक पैकेट सिंदूर चढ़ाने की परंपरा है. कहा जाता है कि ऐसा करने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है.

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सालों से जल रही अखंड ज्योति

हर मंगलवार को लगता है भक्तों का तांता
नवरात्र में सप्तमी, अष्टमी और नवमी के दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन-पूजन करने के लिए पहुंचते हैं. हर दिन इस मंदिर में त्रिकाल आरती भी होती है. हर मंगलवार को इस मंदिर का नजारा अद्भूत होता है. हाथ में पूजा की सामाग्री लिए भक्त तड़के सुबह से ही लाइन लगा लेते हैं. मंगलवार को यहां भक्तों का तांता लगता है.

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नवरात्रि में विशेष विधि से होती है पूजा

तीन पढ़ियों से एक ही परिवार कर रहा सेवा
मंदिर पुजारी बताते हैं कि सन् 1914 में यह मंदिर झोपड़ीनुमा था. भक्तों की श्रद्धा और विश्वास के कारण देखते ही देखते आज यह पटना के प्रमुख उपासना स्थलों में शुमार हो गया है. तीन पीढ़ियों से एक ही परिवार माता की सेवा करने में लगा है.

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मंगलवार को लगता है भक्तों का तांता
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मंदिर पुजारी ने बताई मान्यता

1914 में लाया गया था अखंड दीप
मौजूदा व्यवस्था पर पुजारी की मानें तो सन् 1914 में उनके बाबा आयुर्वेदाचार्य डॉ. विश्वनाथ तिवारी ने इस अखंड दीप को कामाख्या से लाकर यहां स्थापित किया था तब से दो अखंड दीप मंदिर में लगातार जल रहे हैं. 115 वर्षों से इस मंदिर की ज्योति लगातार जल रही है. अखंड ज्योति के कारण ही इस मंदिर का नाम नाम अखंडवासनि मंदिर पड़ा है.

विशेष पैकेज
Intro:नवरात्र विशेष:--


सदियों से जल रही है ज्योति, सदियों से आस्था का केंद्र बना है ज्योतावाली माई का अखंडवासनी मंदिर
जानिए क्या है रहस्य


Body:सदियों से जल रही है ज्योति और सदियों से आस्था का केंद्र बना है अखंड वासनी मंदिर, ज्योतावाली माई राजधानी पटना के गोलघर के पास श्री अखंड वासनी मंदिर में सालों से लगातार अखंड ज्योत जल रही है, यह ज्योत माता की ज्योत हैं, इसे असम के कामाख्या मंदिर से यहां लाया गया है, इस मंदिर में दो ज्योत जल रही है, एक घी और दूसरे में सरसों तेल का प्रयोग होता है, अखंडवासनी मंदिर में मां काली की प्रतिमा के साथ माता की बंगला मुखी प्रतिमा स्थापित हैं, नवरात्र में यहां सात हल्दी नो लाल फूल, एक पैकेट सिंदूर चढ़ाने की परंपरा है, ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है, नवरात्र में सप्तमी, अष्टमी एवं नवमी में हजारों श्रद्धालु दर्शन पूजन करने के लिए आते हैं, हर दिन इस मंदिर में त्रिकाल आरती होती हैं, और हर मंगलवार को यहां हजारों की संख्या में भक्तजन की भीड़ उमड़ती है
कहा जाता है कि सन 1914 में यह मंदिर झोपड़ीनुमा था जो आज पटना के प्रमुख शक्ति उपासना स्थलों में एक है, शायद ऐसा ही कोई मंदिर होगा जहां तीन पीढ़ियों से एक ही परिवार माता की सेवा करने में जुटे हैं, मौजूदा व्यवस्था पर पुजारी विशाल तिवारी की माने तो सन 1914 में उनके बाबा आयुर्वेदाचार्य डॉ विश्वनाथ तिवारी ने इस अखंड दीप को कामाख्या से लाकर यहां स्थापित किए थे तब से दो अखंड दीप मंदिर में लगातार जल रहे हैं


Conclusion:गोलघर स्थित अखंड वासनी मंदिर हर मायने में अनूठा है 115 वर्षों से इस मंदिर में अखंड ज्योत जल रही है मान्यता है कि इस अखंड ज्योत के दर्शन मात्र से भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है यह मंदिर पटना के प्रमुख शक्ति उपासना स्थलों में से एक हैं अखंड ज्योत जलते रहने से इस मंदिर के नाम अखंड वासनी मंदिर पड़ा है



बाईट-विशाल तिवारी, पुजारी, अखंडवासिनी मंदिर
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