नई दिल्ली/पटना: केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) ने मंगलवार को 5 खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) इकाइयों का शुभारंभ किया है. जिसके बाद उन्होंने ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि यह परियोजनाएं किसानों के लिए समृद्धि लाएगी और राज्य के युवाओं के लिए रोजगार के बड़े अवसर सृजित करेंगी. आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय द्वारा फूड प्रोसेसिंग सप्ताह मनाया जा रहा है. उसी के अंतर्गत इसका शुभारंभ किया गया है.
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बिहार के हाजीपुर से सांसद और केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री पशुपति कुमार पारस ने 5 खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों का शुभारंभ किया. इन इकाइयों का वर्चुअल माध्यम से शुभारंभ किया गया. इनके नाम फिनिक्स फ्रोजन फूड्स, गुजरात. अथोस कोलेजेन, गुजरात. हैन फ्यूचर नेचुरल प्रोडक्ट्स, कर्नाटक. ग्रेनटेक फूड्स, असम. वसंत मसाला, गुजरात है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हमारा मंत्रालय फूड प्रोसेसिंग से जुड़े लोगों को अलग-अलग प्रकार की इकाइयों को लगाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए आर्थिक सहायता प्राप्त करा रहा है. इसके लिए मंत्रालय द्वारा विभिन्न योजनाओं का परिचालन किया जा रहा है. इन योजनाओं में एक है प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना. इस योजना का मुख्य उद्देश्य फूड प्रोसेसिंग गतिविधियों की क्लस्टर आधारित विकास को बढ़ावा देना है. इसे एक व्यापक पैकेज के रूप में भी देखा जा सकता है. जिसके परिणाम स्वरूप खेत में खुदरा दुकानों तक कुशल आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के साथ आधुनिक अवसंरचना का निर्माण होगा.
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उन्होंने कहा कि यह योजना न केवल देश में फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र के विकास को एक बेहतर प्रोत्साहन दे रही है. बल्कि किसानों को बेहतर मूल्य प्रदान करने में भी सहायता करेगा और उनकी आय को दोगुना करने की दिशा में बड़ा कदम है. कृषि उत्पादों की बर्बादी को कम करना, प्रसंस्करण स्तर में वृद्धि और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के निर्यात में वृद्धि करना भी इस योजना का उद्देश्य है. खाद्य उत्पादों विशेष रूप से जल्दी खराब होने वाले उत्पादों के मूल्य में उतार-चढ़ाव का एक मुख्य कारण पर्याप्त और उपयुक्त प्रोसेसिंग का अभाव रहा है. प्रोसेसिंग और संरक्षण का बढ़ा हुआ स्तर कृषि उत्पादों के मूल्यों को स्थिर कर सकता है.
देश भर में 42 मेगा फूड पार्क स्वीकृत हुए थे. जिसमें से 19 अभी संचालित हैं. बचे हुए मेगा फूड पार्कों को जल्द खोलेंगे, लेकिन अब कोई नया फूड पार्क नहीं खुलने जा रहा है. जो पहले से स्वीकृत है, उसे ही खोला जाएगा. अब मिनी फूड पार्क खोलेंगे. मेगा फूड पार्क में 250 करोड़ का खर्च आता है. 50 एकड़ जमीन की जरूरत होती है. मिनी फूड पार्क में 25 करोड़ खर्च आएगा और 10 एकड़ जमीन में ही काम हो जाएगा. फूड पार्क में किसानों द्वारा उत्पादन के बाद फसलों के भंडारण और प्रोसेसिंग से लेकर बाजार तक आपूर्ति कराने की व्यवस्था है. किसानों को उनकी उपज का सही कीमत मिले, यह भी उद्देश्य है.
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उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश निजी क्षेत्र की कंपनियों की भागीदारी से खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देना भी है. निजी क्षेत्र द्वारा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग शुरू करने के लिए हाल ही में 792 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी. इसके लिए 5792 करोड़ की सहायता अनुदान स्वीकृत है.