पटना : बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन (Former MP Anand Mohan) का जेल में बंद रहने के दौरान घर आकर मीटिंग करने का मामला बिहार में (Bihar Politics ) अब तूल पकड़ चुका है. एक तरफ जहां पुलिस और प्रशासन इस मामले में कार्रवाई कर रही है, वहीं सियासी बयानबाजी भी जारी है. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह (Union Minister Giriraj Singh) ने कहा है कि उम्रकैद की सजा काट रहे RJD नेता आनंद मोहन जेल की जगह अपने घर पहुंच गए ये राजद जदयू के जंगलराज की ताकत है. गिरिराज सिंह ने इस मामले को लेकर महागठबंधन की जेडीयू और आरजेडी सरकार को जमकर घेरा.
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डीएम मर्डर केस में उम्रकैद की सजा काट रहे RJD नेता आनंद मोहन जेल की जगह अपने घर पहुंचे गए।
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ये है राजद जदयू के जंगल राज की ताकत। pic.twitter.com/1wdkxDd5Hpडीएम मर्डर केस में उम्रकैद की सजा काट रहे RJD नेता आनंद मोहन जेल की जगह अपने घर पहुंचे गए।
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''उम्रकैद की सजा काट रहे RJD नेता आनंद मोहन जेल की जगह अपने घर पहुंचे गए.ये है राजद जदयू के जंगल राज की ताकत''- गिरिराज सिंह, केंद्रीय मंत्री
बता दें कि महागठबंधन की सरकार बनते ही गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन (Former MP Anand Mohan) बेखौफ होकर पटना की सड़कों पर घूमते नजर आए थे. हालांकि कानूनन उन्हें जेल में होना चाहिए था लेकिन उन्होंने पाटलिपुत्र स्थित अपने आवास में पत्नी लवली आनंद और बेटे विधायक चेतन आनंद के साथ मीटिंग की. अब इस मामले में सहरसा एसपी लिपि सिंह ने छह पुलिसकर्मियों को निलंबित (SP Lipi Singh suspended six policemen) कर दिया है. जेल आईजी शो कॉज नोटिस जारी किया है.
सोशल मीडिया पर महागठबंधन की सरकार पर तंजः गौरतलब है कि आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद आरजेडी से विधायक (RJD MLA Chetan Anand ) हैं. वहीं पत्नी पूर्व सांसद लवली आनंद आरजेडी की वरिष्ठ नेता हैं. ऐसे में अब बिहार में आरजेडी की सरकार आ गई है. इसको लेकर सोशल मीडिया पर भी लोग महागठबंधन की सरकार पर तरह तरह से कमेंट कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि अभी कैबिनेट विस्तार भी नहीं हुआ है तो ये हाल है. आने वाले समय में समय बिहार का क्या होगा पता नहीं.
"सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा था. उसके पुलिस मुख्यालय की ओर से जांच रिपोर्ट मांगी गई है. उसमें जो पुलिसकर्मी हैं, जांच के आधार पर छह पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है. अगर सारे तथ्य सही आते हैं तो आगे भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी. इसमें जेल की भी भूमिका की जांच चल रही है. जो लोग भी रिस्पॉन्सिबल हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है और की जा रही है"- लिपि सिंह, पुलिस अधीक्षक, सहरसा
मौत की सजा पाने वाले पहले पूर्व विधायक और सांसद हैं आनंद मोहनः इस मामले में आनंद मोहन को जेल गये थे. निचली अदालत ने 2007 में उन्हें मौत की सजा सुनाई थी. बताया जाता है कि आनंद मोहन देश के पहले पूर्व सांसद और पूर्व विधायक हुए, जिन्हें मौत की सजा मिली थी. हालांकि, दिसंबर 2008 में पटना हाईकोर्ट ने उनके मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी जुलाई 2012 में पटना हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. डीएम हत्याकांड में वे सजा पहले ही पूरी कर चुके हैं.
क्या है डीएम जी. कृष्णैया हत्याकांड? मुजफ्फरपुर जिले में 5 दिसंबर 1994 को जिस भीड़ ने गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की पीट-पीट कर हत्या की थी, उसका नेतृत्व आनंद मोहन कर रहे थे. एक दिन पहले (4 दिसंबर 1994) मुजफ्फरपुर में आनंद मोहन की पार्टी (बिहार पीपुल्स पार्टी) के नेता रहे छोटन शुक्ला की हत्या हुई थी. इस भीड़ में शामिल लोग छोटन शुक्ला के शव के साथ प्रदर्शन कर रहे थे. बताया जाता है कि तभी मुजफ्फरपुर के रास्ते हाजीपुर में मीटिंग कर गोपालगंज वापस जा रहे डीएम जी. कृष्णैया पर भीड़ ने खबड़ा गांव के पास हमला कर दिया. मॉब लिंचिंग और पुलिसकर्मियों की मौजूदगी के बीच डीएम को गोली मार दी गई. इस घटना उन दिनों काफी सुर्खियों में रहा था. हादसे के समय जी. कृष्णैया की आयु 35 साल के करीब था.