पटना: कोरोना के मरीजों में अक्सर ठीक होने के बाद अवसाद से ग्रसित होने की शिकायत मिलती है. कोरोना से ठीक होने के बाद कुछ मरीज कुछ दिनों तक डिप्रेशन में चले जाते हैं. आइसोलेशन के दौरान मरीजों को डर लगता है कि कोरोना से कहीं उनकी जान ना चली जाए. ऐसे में मरीज डिप्रेशन का शिकार होने लगते हैं और ऐसा ना हो इसके लिए पीएमसीएच में कोरोना मरीजों के लिए काफी कुछ व्यवस्थाएं की गई है.
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'सोमवार के दिन अस्पताल अधीक्षक द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि पीएमसीएच में एडमिट ऐसे कोरोना मरीज जो गंभीर स्थिति में नहीं हैं, उनके वार्ड में टीवी का इंस्टॉलेशन किया जाए. ताकि उनका मनोरंजन होता रहे. कोरोना कोई लाइलाज बीमारी नहीं है और लोग इससे ठीक हो जाते हैं. बिहार में रिकवरी रेट लगभग शत प्रतिशत है. ऐसे में उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है. संयम रखें समय के साथ जरूरी मेडिकेशन लेते हुए कोरोना कोरोना को आसानी से मात दे सकते हैं'. - डॉ अजय अरुण, कोविड-19 वार्ड के प्रभारी चिकित्सकये भी पढ़ें...बिहार में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 2.62 लाख के पार, अब तक 1551 लोगों की मौत
- मरीजों और उनके परिजनों में संवाद बना रहे. इसके लिए भी व्यवस्थाएं की गई है और मरीज के परिजनों को मरीज के हेल्थ के बारे में दिन भर में दो बार जानकारी दी जाती है. इसके अलावा अगर मरीज के परिजन मरीज के लिए बाहर से कुछ फल और जूस भेजना चाहते हैं तो वह भी भिजवा दिया जाता है और परिजनों को मरीज से शाम के समय फोन पर बात भी कराया जाता है.
- मरीज तनाव में ना आए और इस वजह से उनमें डिप्रेशन ना हो इसके लिए लगातार काम होते रहे हैं और मरीजों को सभी बेहतर व्यवस्था मिले इसकी पूरी कोशिश की जाती है. कोरोना मरीज डिप्रेशन के शिकार ना हो इसके लिए दो तरह की व्यवस्थाएं की गई हैं. जो गंभीर स्थिति में नहीं है, उनको डॉक्टरों द्वारा समय-समय पर लगातार काउंसलिंग की जाती है. इसके अलावा जो गंभीर स्थिति में हैं उनके लिए अलग साइकैटरिस्ट है.