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शहीद-ए-आजम भगत सिंह की पुण्यतिथि पर मसौढ़ी में दी गई श्रद्धांजलि, राष्ट्रीय छुट्टी घोषित करने की मांग - ETV BIHAR NEWS

मसौढ़ी में शहीद-ए-आजम भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की पुण्यतिथि पर भाकपा माले के कार्यकर्ताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. साथ ही कार्यकर्ताओं ने शहीद दिवस (Shaheed Diwas In Masaurhi) पर सरकारी छुट्टी की घोषणा करने की मांग की. 23 मार्च, 1931 को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को फांसी पर लटका दिया गया था. इन वीरों की शहादत पर शहीद दिवस मनाया जाता है. पढ़िए पूरी खबर..

शहीद दिवस पर सरकारी छुट्टी घोषित करने की मांग
शहीद दिवस पर सरकारी छुट्टी घोषित करने की मांग
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Published : Mar 23, 2022, 3:04 PM IST

पटना (मसौढ़ी): आज शहीद दिवस (Martyrs Day) है. 23 मार्च 1931 की मध्यरात्रि को अंग्रेजी हुकूमत ने भारत मां के तीन सपूतों भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी पर लटका दिया था, इन तीनों वीरों की शहादत को श्रद्धांजलि देने के लिए ही शहीद दिवस मनाया जाता है. इसी कड़ी में राजधानी पटना से सटे मसौढ़ी में शहीद-ए-आजम भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को श्रद्धांजलि दी गई. वहीं, इस दौरान भाकपा माले के कार्यकर्ताओं ने तीनों सपूतों को राष्ट्रीय नायक घोषित करने और शहीद दिवस पर सरकारी छुट्टी करने की मांग की.

ये भी पढ़ें- शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा...

मसौढ़ी में शहीद भगत सिंह के प्रतिमा पर माल्यार्पण: शहीद-ए-आजम भगत सिंह की आज पुण्यतिथि है. इस मौके पर पूरे देश में कई कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. ऐसे में मसौढ़ी में भाकपा माले कार्यालय के बगल में शहीद भगत सिंह स्मारक के पास उनके प्रतिमा पर भाकपा माले के कार्यकर्ताओं ने माल्यार्पण किया. बता दें कि 91 साल पहले आज ही के दिन 23 मार्च 1931 को देश के 3 सपूतों को शहीद-ए-आजम भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी के तख्ते पर लटका दिया गया था. पूरा देश इनके बलिदान को कभी भूल नहीं पाएगा. आज पूरे देश में उनकी बलिदान को याद किया जा रहा है. मसौढ़ी में इंकलाबी नौजवान सभा भाकपा माले समेत कई सामाजिक संगठन के लोगों ने श्रद्धांजलि दी.

शहीद दिवस पर सरकारी छुट्टी की घोषणा करने की मांग: मसौढ़ी में भाकपा माले के कार्यकर्ताओं ने जुलूस निकालकर सरकार से शहीद-ए-आजम भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को राष्ट्रीय नायक घोषित करने और शहीद दिवस पर सरकारी छुट्टी की घोषणा करने की मांग की. साथ ही इस दौरान भाकपा माले की ओर से रूस-यूक्रेन में चल रहे युद्ध को रोकने और शांति की पहल करने की मांग की गई.

ये भी पढ़ें- नवादा में शहादत दिवस पर याद किये गये शहीद-ए-आजम भगत सिंह

शहीद दिवस क्यों मनाते हैं?: 23 मार्च को तीन स्वतंत्रता सेनानियों भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव को अंग्रेजों ने फांसी पर चढ़ा दिया था. बेहद कम उम्र में इन वीरों ने लोगों के कल्याण के लिए लड़ाई लड़ी और इसी उद्देश्य के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी. कई युवा भारतीयों के लिए भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव प्रेरणा के स्रोत बने हैं. ब्रिटिश शासन के दौरान भी, उनके बलिदान ने कई लोगों को आगे आने और अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया. यही कारण है कि इन तीनों क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि देने के लिए भारत 23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में मनाता है.

बलिदान के पीछे की कहानी: भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर, 1970 में पंजाब के बंगा गांव में हुआ था. वे स्वतंत्रता सेनानी के परिवार में पले बढ़े और छोटी आयु में उन्हें फांसी दे दी गई. राजगुरु का जन्म 1908 में पुणे में हुआ था. वे हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी में भी शामिल हुए थे. सुखदेव 15 मई 1907 में हुआ था. उन्होंने पंजाब और उत्तर भारत में क्रांतिकारी सभाएं की और लोगों के दिलों में जोश पैदा किया. लाला लाजपत राय की हत्या के बाद कारण भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, आजाद और कुछ अन्य लोगों ने आजादी के लिए संग्राम का मोर्चा संभाल लिया था.

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पटना (मसौढ़ी): आज शहीद दिवस (Martyrs Day) है. 23 मार्च 1931 की मध्यरात्रि को अंग्रेजी हुकूमत ने भारत मां के तीन सपूतों भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी पर लटका दिया था, इन तीनों वीरों की शहादत को श्रद्धांजलि देने के लिए ही शहीद दिवस मनाया जाता है. इसी कड़ी में राजधानी पटना से सटे मसौढ़ी में शहीद-ए-आजम भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को श्रद्धांजलि दी गई. वहीं, इस दौरान भाकपा माले के कार्यकर्ताओं ने तीनों सपूतों को राष्ट्रीय नायक घोषित करने और शहीद दिवस पर सरकारी छुट्टी करने की मांग की.

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मसौढ़ी में शहीद भगत सिंह के प्रतिमा पर माल्यार्पण: शहीद-ए-आजम भगत सिंह की आज पुण्यतिथि है. इस मौके पर पूरे देश में कई कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. ऐसे में मसौढ़ी में भाकपा माले कार्यालय के बगल में शहीद भगत सिंह स्मारक के पास उनके प्रतिमा पर भाकपा माले के कार्यकर्ताओं ने माल्यार्पण किया. बता दें कि 91 साल पहले आज ही के दिन 23 मार्च 1931 को देश के 3 सपूतों को शहीद-ए-आजम भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी के तख्ते पर लटका दिया गया था. पूरा देश इनके बलिदान को कभी भूल नहीं पाएगा. आज पूरे देश में उनकी बलिदान को याद किया जा रहा है. मसौढ़ी में इंकलाबी नौजवान सभा भाकपा माले समेत कई सामाजिक संगठन के लोगों ने श्रद्धांजलि दी.

शहीद दिवस पर सरकारी छुट्टी की घोषणा करने की मांग: मसौढ़ी में भाकपा माले के कार्यकर्ताओं ने जुलूस निकालकर सरकार से शहीद-ए-आजम भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को राष्ट्रीय नायक घोषित करने और शहीद दिवस पर सरकारी छुट्टी की घोषणा करने की मांग की. साथ ही इस दौरान भाकपा माले की ओर से रूस-यूक्रेन में चल रहे युद्ध को रोकने और शांति की पहल करने की मांग की गई.

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शहीद दिवस क्यों मनाते हैं?: 23 मार्च को तीन स्वतंत्रता सेनानियों भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव को अंग्रेजों ने फांसी पर चढ़ा दिया था. बेहद कम उम्र में इन वीरों ने लोगों के कल्याण के लिए लड़ाई लड़ी और इसी उद्देश्य के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी. कई युवा भारतीयों के लिए भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव प्रेरणा के स्रोत बने हैं. ब्रिटिश शासन के दौरान भी, उनके बलिदान ने कई लोगों को आगे आने और अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया. यही कारण है कि इन तीनों क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि देने के लिए भारत 23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में मनाता है.

बलिदान के पीछे की कहानी: भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर, 1970 में पंजाब के बंगा गांव में हुआ था. वे स्वतंत्रता सेनानी के परिवार में पले बढ़े और छोटी आयु में उन्हें फांसी दे दी गई. राजगुरु का जन्म 1908 में पुणे में हुआ था. वे हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी में भी शामिल हुए थे. सुखदेव 15 मई 1907 में हुआ था. उन्होंने पंजाब और उत्तर भारत में क्रांतिकारी सभाएं की और लोगों के दिलों में जोश पैदा किया. लाला लाजपत राय की हत्या के बाद कारण भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, आजाद और कुछ अन्य लोगों ने आजादी के लिए संग्राम का मोर्चा संभाल लिया था.

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