पटना/रांची: बोधि वृक्ष का नाम सुनते ही हर किसी के मन मस्तिष्क में बिहार और बोध गया से जुड़ी बातें हैं. बोधगया में जिस वृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई और वह सिद्धार्थ से गौतम बुद्ध बनें उस बोधि वृक्ष का खास महत्व है. उसी पवित्र बोधि वृक्ष का एक अंश रांची में बड़ा हो चुका है. यह बोधगया बोधिवृक्ष का अंश रांची कैसे पहुचा और अब कैसे यहां विशेष पूजा की जाती है ये भी बेहद रोचक कहानी है.
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झारखंड के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव पहले आपीएस थे. आईपीएस रहते उनकी पोस्टिंग मगध रेंज के डीआईजी के रूप में हुई थी. इस दौरान वे अक्सर देश विदेश से आए बौद्ध धर्मगुरुओं से मुलाकात करते थे. उनसे बातचीत करते हुए वह भगवान बुद्ध के विचारों से बेहद प्रभावित हुए. खासकर उनके बताएं पंचशील और अष्टांगमार्ग के सिद्धांत काफी प्रासंगिक लगे. इसके बाद उन्होंने बोधि वृक्ष की देखभाल करने वाले माली से बोधि वृक्ष का पौधा रांची में लगाने की इच्छा जताई. तब उन्होंने बोधि वृक्ष के अंश को बोधगया से रांची लाया था. उस दौरान वह रांची के बरियातू में डीआइजी ग्राउंड के पास रहते थे. इसलिए उन्होंने पौधा अपने घर के समाने उस समय उनके अंगरक्षक रहे बलराम यादव के हाथों लगवाया और उसकी देखभाल की. अब यह स्थल बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए एक पवित्र स्थल बन चुका है. हर साल यहां बुद्ध पूर्णिमा पर सैकड़ों श्रद्धालु पूजा करने पहुंचते हैं.
रामेश्वर उरांव कहते हैं कि उनकी इच्छा है कि लोगों के बीच इसकी जानकारी हो ताकि लोग यहां आएं और इसका दर्शन करें. डोरंडा के जैप ग्राउंड बुद्ध मंदिर के लामा अरुण लामा कहते हैं कि भगवान बुद्ध ने जिस वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त किया था, उससे जुड़े होने की वजह से रांची के बोधि वृक्ष का भी काफी महत्व है. यहां हर दिन पूजा आराधना होनी चाहिए.
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