पटनाः बिहार में कोरोना संक्रमण ( Corona Infection ) की रफ्तार भले ही कम हो गई है, लेकिन ब्लैक फंगस ( Black Fungus ) का खतरा बढ़ता ही जा रहा है. इससे अस्पतालों और डॉक्टरों की चुनौतियां काफी बढ़ गई है. राजधानी स्थित आईजीआईएमएस ( IGIMS Patna ) के अधीक्षक ने ब्लैक फंगस को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि इस बीमारी का स्वरूप भी कैंसर के मरीजों की तरह होता है. चार स्टेज में ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज किया जा रहा है.
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"जब भी कोई नई बीमारी आती है, तो उसपर रिसर्च भी होता है. मरीजों की जान बचाने के लिए नई दवाओं का प्रयोग किया जाता है. ब्लैफ फंगस मरीजों को अभी पोस्टाकोराजोल टैबलेट दिया जा रहा है. सामान्य तौर पर सात दिनों तक इसका डोज देने से मरीज रिकवर कर जाता है."- डॉ. मनीष मंडल, अधीक्षक, आईजीआईएमएस, पटना
ब्लैक फंगस के दो तरह के मिल रहे मरीज
आईजीआईएमएस अधीक्षक ने बताया कि ब्लैक फंगस के सामान्य तौर पर दो तरह के मरीज मिल रहे हैं. पहला वे जो पहले कोरोना संक्रमित हुए थे, और बाद में ब्लैक फंगस के शिकार हो गए. और दूसरा वे जो कोरोना संक्रमण के साथ ब्लैक फंगस से भी संक्रमित हैं. दोनों किस्म के मरीजों का अस्पताल में इलाज चल रहा है.
चार स्टेज में ब्लैक फंगस का इलाज
डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि आईजीआईएमएस में अभी कोरोना के कम और ब्लैक फंगस के मरीज ज्यादा आ रहे हैं. ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज कैंसर की तरह चार स्टेज में किया जा रहा है. स्टेज के हिसाब से मरीजों को ऑपरेशन की जरुरत होती है.
- पहला स्टेज- सिर्फ नाक में संक्रमण वाले मरीज
- दूसरा स्टेज- नाक के साथ साइनस में संक्रमण वाले मरीज
- तीसरा स्टेज- नाक, साइनस के साथ आंख में संक्रमण वाले मरीज
- चौथा स्टेज- नाक, साइनस, आंख और मस्तिष्क में संक्रमण वाले मरीज
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ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज के लिए विशेष टीम गठित की गई है. मरीज की स्थिति देखकर उसका स्टेज तय किया जाता है. फिर स्टेज के हिसाब से उसका इलाज किया जाता है. आईजीआईएमएस अधीक्षक ने बताया कि अस्पताल में ब्लैक फंगस के इलाज की सारी सुविधाएं उपलब्ध है. बड़ी बात ये है कि टैबलेट से भी ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज किया जा रहा है.