पटना: देश इस समय कोरोना वायरस जैसी महामारी से लड़ रहा है. इसके संक्रमण पर काबू पाने के लिए देशभर में 40 दिनों का लॉकडाउन लागू है. लॉक डाउन की अवधि में यातायात पूरी तरह से ठप हैं. ट्रांसपोर्ट भी बंद है. ट्रक से लेकर बसों का परिचालन बंद हैं. ऐसे में ट्रांसपोर्टरों की माली हालत बिगड़ने लगी है.
अचानक लागू हुए लॉकडाउन ने ट्रकों की रफ्तार पर ब्रेक लगा दिया है. हर रोज बिहार में तकरीबन 6 लाख ट्रकों की आवाजाही होती है. लेकिन अब हाईवे सन्नाटे में हैं. वहीं, ईटीवी भारत ने हाईवे पर खड़े कई ट्रक चालकों से जब बात की, तो उन्होंने बताया कि हर जगह नो एंट्री है. हम दूसरे राज्यों से आए हुए हैं, लॉकडाउन लागू होते ही हम जहां थे वहीं फंस गये हैं. जेब में जितनी रकम थी, सब खत्म हो गई है.
राज्य परिवहन
राज्य में 15 हजार से ज्यादा अंतर जिला, अंतर्राज्यीय और अंतरराष्ट्रीय बसें चलती है, जिनमें पटना के मीठापुर बस स्टैंड से ही रोजाना 5 हजार से ज्यादा बसें अन्य राज्यों, बिहार के विभिन्न जिलों और नेपाल के लिए खुलती हैं. हमेशा गुलजार रहने वाले मीठापुर बस स्टैंड में इन दिनों पूरी तरह से सन्नाटा पसरा हुआ है. सभी बसों में दो ड्राइवर, 2 कंडक्टर और कुछ हेल्पर जुड़े हुए होते हैं, जो लगभग 5 से 8 की संख्या मे होते हैं. बसों का परिचालन बंद होने से मीठापुर बस स्टैंड से जुड़े लगभग एक लाख कर्मियों को खाने-पीने का संकट उत्पन्न हो गया है.
प्राइवेट ट्रेवल एजेंसी के हाल बेहाल
पांडे ट्रेवल्स के मैनेजर पप्पू सिंह बताते हैं कि उनकी पांच बसे चलती हैं और हर बस से चार से पांच कर्मी जुड़े हुए हैं. अभी सबकी माली हालत बहुत खराब हो गई है जैसे तैसे गुजारा हो रहा है. ड्राइवर कंडक्टर को वह मार्च के वेतन का भुगतान नहीं कर पाए हैं. उन्होंने बताया कि वह अपने कर्मियों को थोड़ा बहुत आर्थिक सहयोग दिए हैं ताकि किसी प्रकार वह अपना घर चला सकें .
एक नजर बिहार के सड़क मार्ग पर
- बिहार में नेशनल हाईवे की लंबाई 4 हजार 594 किमी है.
- वहीं, 6 स्टेट हाईवे हैं, जो इनसे जुडे़ हैं.
- इन सभी पर लॉकडाउन का असर देखने को मिला है.
पटना में दैनिक कामगारों के हक की लड़ाई लड़ने वाले इंटक के अध्यक्ष चंद्रप्रकाश सिंह ने बताया कि जब बसें चलती है तो उसके साथ अन्य व्यवस्था भी चलती हैं. जैसे कि बस स्टैंड के बाहर ऑटो चालक, रिक्शा चालक, ई रिक्शा चालक, जैसे लोग जुड़े हुए रहते हैं. उन्होंने बताया कि इन सबको मिला दिया जाए तो इस लॉक डाउन से 5 लाख से ज्यादा लोग परिवहन से जुड़े हुए प्रभावित हुए हैं. उन्होंने सरकार से बसों के परिवहन से जुड़े ड्राइवर और कंडक्टर को आर्थिक पैकेज देने की अपील की.
हालांकि, 20 अप्रैल से सीमित छूट मिली है. लेकिन अभी भी ट्रकों के पहिए थमे हुए हैं. बसें अभी नहीं खुली हैं. बिहार के लिए ये और भी बड़ी बात है कि यहां परिवहन विभाग ने मजदूरों या छात्रों को लाने के लिए बसें भेजने का कोई विचार नहीं किया है. देखना होगा कि बसों की रफ्तार कब हाईवे पर चलेगी.