पटनाः बिहार पुलिस में ट्रांसजेंडर का बहाली का रास्ता साफ हो गया है. गृह विभाग के आरक्षी शाखा द्वारा पत्र के माध्यम से अवगत कराया गया कि अन्य सरकारी सेवाओं के समान बिहार पुलिस में भी ट्रांसजेंडर व्यक्ति को सेवा में नियुक्त के लिए नीतिगत निर्णय लेने का मामला राज्य सरकार के समक्ष विचाराधीन था. बिहार पुलिस की विशिष्ट आवश्यकताओं और कर्तव्य के मद्देनजर इसमें ट्रांसजेंडर व्यक्ति को नियुक्त करने के संबंध में नीतिगत निर्णय लिया जाना है. बिहार सरकार द्वारा लिए गए फैसले को ट्रांसजेंडर समुदाय ने सराहनीय कदम बताया है.
ट्रांसजेंडर द्वारा पटना हाई कोर्ट में आवेदन दिया गया था कि बिहार पुलिस बहाली में ट्रांसजेंडर कॉलम को खत्म कर दिया गया है. जिसके बाद हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद राज्य सरकार को निर्देश दिया था.
ट्रांसजेंडर की बहाली
बिहार पुलिस संगठन में सिपाही एवं पुलिस अवर निरीक्षक के पदों पर किन्नर, कोथी, हिजरा और ट्रांसजेंडर किसी की भी नियुक्ति की जा सकेगी. सिपाही के लिए नियुक्त प्राधिकार पुलिस अधीक्षक एवं पुलिस अवर निरीक्षक के लिए नियुक्त प्राधिकार पुलिस उपमहानिरीक्षक स्तर के पदाधिकारी होंगे. सिपाही एवं अवर निरीक्षक में सीधी नियुक्ति के लिए पदों की संख्या क्रमश: 41 और 10 हो सकती है. गृह विभाग का मानना है कि आंकड़ों से स्पष्ट है कि इस समुदाय का जनसांख्यिकी प्रतिनिधित्व अत्यंत अल्प है.
अब हम भी कर सकेंगे जनता की सेवा- ट्रांसजेंडर
बिहार सरकार के इस फैसले पर ट्रांसजेंडर समुदाय ने खुशी जताई है. उनका लोगों का कहना है कि अब हम भी मुख्यधारा में जुड़कर बिहार की जनता की सेवा कर सकेंगे. सरकार ने जो फैसला लिया है, वह बहुत ही अच्छा फैसला है.
बता दें कि गृह विभाग के आरक्षी शाखा द्वारा पत्र के माध्यम से अवगत कराया गया है कि समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व सरकारी सेवाओं में होना चाहिए और पुलिस में इसकी आवश्यकता सर्वाधिक है. अन्य सरकारी सेवाओं के समान बिहार पुलिस में भी ट्रांसजेंडर व्यक्ति की सेवा में नियुक्ति के लिए नीतिगत निर्णय लिया जाना है.
ट्रांसजेंडर समुदाय की मेंबर रेशमा प्रसाद ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान कहा कि सरकार ने जो फैसला लिया है. वह बहुत सराहनीय है. लेकिन इसमें बदलाव करने की थोड़ी जरूरत है.
ट्रांसजेंडर सर्टिफिकेट के लिए हैं सभी प्रयासरत
रेशमा प्रसाद ने बताया, जिस प्रकार से बिहार पुलिस में गोरखा जैसे अन्य बटालियन शामिल हैं. ठीक उसी प्रकार से ट्रांसजेंडर के लिए भी अलग से बटालियन बननी चाहिए. साथ ही उन्होंने बताया कि ट्रांसजेंडर को सर्टिफिकेट देने के लिए एक पोर्टल बनाया गया है. जहां पर ट्रांसजेंडर समुदाय जाकर अपना सर्टिफिकेट प्राप्त कर सकती हैं. उनका कहना है कि अभी 1 महीने ही हुआ है वेबसाइट बने हुए. सभी लोग अपनी तरफ से प्रयास कर रहे हैं कि उनका भी ट्रांसजेंडर का सर्टिफिकेट बन सके.
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पता नहीं थी नौकरी भी मिलेगी
प्रिया ने कहा, 'हमने पढ़ तो लिया है. पता नहीं था कि नौकरी भी मिलेगी. अब सर्टिफिकेट निकालने का प्रयास करेंगे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहल किया है. अब हम इसके लिए प्रयासरत रहेंगे. वहीं मैनी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का धन्यवाद करती हूं. हम बहनों को नया अवसर मिला है. जो पढ़-लिख के बेहतर नौकरी चाहती हैं. उनके लिए बेहतर अवसर है. नीति शाह ने कहा, हमारी समुदाय काफी खुश हैं. हम सभी अब जल्द ही मुख्य धारा में लौटेंगे.'
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बहाली का रास्ता हुआ साफ
रेशमा प्रसाद ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान कहा कि जिस प्रकार से महिलाओं के लिए राज्य सरकार में 35% का आरक्षण प्राप्त है. ठीक उसी प्रकार ट्रांसजेंडर रो के लिए भी बिहार सरकार की सरकारी नौकरी में खासकर पुलिस में 2% के आरक्षण की मांग राज्य सरकार से करते हैं.
आपको बता दें कि विगत दिन बिहार पुलिस की वैकेंसी में ट्रांसजेंडर का कॉलम हटा दिया गया था. जिसके बाद ट्रांसजेंडर द्वारा हाईकोर्ट में अपील की गई थी. जिसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इस पर विचार विमर्श करने का निर्देश दिया था. अंततः कल गृह विभाग के आरक्षी शाखा द्वारा जनसंख्या के दृष्टिकोण से बिहार पुलिस में ट्रांसजेंडर की भी बहाली का रास्ता साफ हो गया है.
अलग से बने बटालियन: रेशमा प्रसाद
'जिस प्रकार से बिहार पुलिस में अलग-अलग बटालियन है. उसी प्रकार से ट्रांसजेंडर के लिए भी अलग से बटालियन बननी चाहिए. ट्रांसजेंडरों के लिए भी बिहार सरकार की नौकरी में खासकर पुलिस में 2% का आरक्षण मिले.' -रेशमा प्रसाद, मेंबर, ट्रांसजेंडर समुदाय
समाज के हैं अभिन्न अंग
'ट्रांसजेंडर हमारे समाज के अभिन्न अंग हैं. किसी के साथ भी किसी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए. ट्रांसजेंडर को भी पुलिस विभाग में जोड़ कर हम उन्हें अपने अभिन्न अंग बनाएंगे. जिसकी प्रक्रिया शुरू की जाएगी. ट्रांसजेंडर की मांग पर एसके सिंघल ने कहा कि पहले एक बार परीक्षा होने दीजिए. कितने संख्या में लोग आते हैं. उस आधार पर उनके बटालियन और उनकी मांगों पर भी ध्यान दिया जाएगा.' - एसके सिंघल, डीजीपी बिहार