पटना: चुनाव आयोग द्वारा मोनिका दास को स्टेट आइकॉन बनाए जाने पर मोनिका दास ने ईटीवी भारत संवाददाता से खास बातचीत की और अपने जीवन के कई अनछुए पहलुओं को साझा किया. उन्होंने कहा कि मेरी प्रारंभिक शिक्षा नवोदय विद्यालय से हुई है. उसके बाद उच्च शिक्षा के साथ साथ कंपटीशन परीक्षा की तयारी करती रही. इसी बीच केनरा बैंक में क्लर्क पद चयन हो गया.
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मोनिका दास ने सरकार को दिया धन्यवाद: ट्रांसजेंडर मोनिका दास ने बताया कि शुरू में थोड़ी परेशानी हुई, लेकिन बाद में फिर सभी बैंक कर्मियों ने सहयोग दिया. सरकार और चुनाव आयोग द्वारा हमारे समाज को प्रोत्साहित करने से सभी शर्म और झिझक से बाहर निकलकर कदम से कदम मिलाकर समाज के साथ चल सकेंगे.
"पहले पंकज त्रिपाठी, मैथिली ठाकुर जैसे लोगों को आइकॉन बनाया जाता था. लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी ट्रांसजेंडर को स्टेट आईकॉन बनाया गया है. इसके लिए मैं बिहार सरकार, केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को धन्यवाद देती हूं. हमारे समाज के लोग समाज के डर और शर्म से उभर कर सामने नहीं आ पाते थे. लेकिन अब डाटा तैयार हो रहा है. भगवान की दया से आगे भी सब अच्छा होगा."- ट्रांसजेंडर मोनिका दास,स्टेट आइकॉन, बिहार चुनाव आयोग
एक-एक वोट कीमती : मोनिका दास ने जातीय जनगणना में ट्रांसजेंडर को संख्या में इंगित कर्ण पर खुशी जाहिर की और कहा कि पहले तो हमें या तो पुरुष या महिला कोटे में रखा जाता था लेकिन अब हमार अपना कोड नंबर होगा. हमारा समाज अपने संख्या से जाना जाएगा. मोनिका दास चुनाव आयोग द्वारा स्टेट आइकॉन बनाए जाने के बाद संदेश देते हुए कहा कि सभी लोगों को मतदान के प्रति जागरूक होना चाहिए और मतदान को एक पर्व की तरह मनाना चाहिए. एक-एक वोट की कीमत होती है.
पटना लॉ कॉलेज से की है LLB : मोनिका दास शुरू से ही पढ़ने में अव्वल रही. उन्होंने स्कूली शिक्षा नवोदय विद्यालय से की. इसके बाद पटना यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन किया. पटना लॉ कॉलेज से एलएलबी की डिग्री हासिल की. मोनिका के पिता भगवान ढोली सेल्स टैक्स अफसर थे. उनकी मां अनीमा रानी भौमिक बीएसएनएल की रिटायर्ड कर्मचारी हैं.