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कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों को खतरा ज्यादा, एक्सपर्ट बता रहे हैं कैसे रहना है सुरक्षित

कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों में संक्रमण का खतरा ज्यादा है. इस बीच ओमीक्रोन ने चिकित्सकों की चिंता बढ़ा दी है. संकट के इस दौर में बच्चों को सुरक्षित रखने के टिप्स बता रही हैं चिकित्सक डॉ नेहा शर्मा..

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Published : Dec 12, 2021, 10:10 AM IST

पटनाः राजधानी पटना में कोरोना के मामले एक बार फिर से तेजी से बढ़ने लगे हैं. वायरस इस बार बच्चों को भी अपनी गिरफ्त में ले रहा है. बीते 3 दिनों में प्रदेश में जो 30 पॉजिटिव मामले सामने आए हैं, उसमें 6 बच्चे हैं. एक ओर चिकित्सा जगत द्वारा आशंका जताई जा रही है कि कोरोना की तीसरी लहर (Third Wave Of Corona) में बच्चे सर्वाधिक संक्रमण की चपेट में (Children At Risk Of Corona Infection) आएंगे. संभावना यह भी है कि ओमीक्रोन के कारण ही कोरोना की तीसरा लहर आएगी.

इसे भी पढ़ें- बिहार में पछुआ हवा ने बढ़ाई ठंड, 15 दिसंबर के बाद शीतलहर चलने की संभावना

मौसम के बदलाव होने की वजह से बच्चों में सर्दी जुखाम और बुखार के लक्षण मिलने शुरू हो गए हैं. उसके बाद बच्चों के अभिभावक काफी डर गए हैं. ऐसे में इस समय उन्हें क्या सावधानी बच्चों को लेकर बरतनी चाहिए और कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों को किस प्रकार बचाया जा सकता है, इसके बारे में पटना एम्स की चिकित्सक डॉक्टर नेहा सिंह ने महत्वपूर्ण जानकारी दी है.

डॉ. नेहा सिंह ने बताया कि दुनियाभर में कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट के केस बढ़ने लगे हैं. इसके कुछ मामले भारत में भी सामने आए हैं. कोरोना का कोई भी वैरिएंट हो इसके खिलाफ वैक्सीनेशन सबसे अहम हथियार है. पटना एम्स में जब एडल्ट पर वैक्सीनेशन ट्रायल हुआ था तब टीके की काम करने की क्षमता की रिपोर्ट में यह 70 फीसदी तक कारगर बताया गया. लेकिन बच्चों पर किए गए वैक्सीनेशन ट्रायल की रिपोर्ट को अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया है.

कोरोना की तीसरी लहर पर क्या है एक्सपर्ट की राय

अभी के समय मौसम के बदलाव की वजह से बच्चों में वायरल फीवर के भी मामले देखने को मिल रहे हैं. ऐसे में बच्चों में लक्षण देखकर यह नहीं कहा जा सकता है कि यह कोविड-19 है या नॉर्मल फ्लू. यह जांच के बाद ही पता लग सकता है. डॉ नेहा सिंह ने कहा कि बच्चों में कोरोना या नॉर्मल फ्लू के लक्षण ना नजर आए इससे बचाव के तुरंत सावधानियां बरतनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि अभी के समय बच्चों को इम्यून बढ़ाने वाली पदार्थों को खाने पीने में अधिक शामिल करें. खाने में सब्जियां और दाल जरुर रखें. डॉ नेहा सिंह ने कहा कि कोरोना और जनरल फ्लू का ट्रीटमेंट की प्रक्रिया समान ही है. उदाहरण देते हुए बताया कि जैसे सिट्रीजीन की गोली और एंटीबैक्टीरियल अजिथ्रल की गोली और बुखार आने पर पेरासिटामोल की गोली. उन्होंने कहा कि बच्चों में अभी तक कोरोना के सिवियर मामले देखने को नहीं मिले हैं. हालांकि अगर किसी बच्चे की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो पेडिएक्ट्रीशियन से संपर्क करें. बिना देरी किए डॉक्टर से सलाह लेकर दवाइयां शुरू कर दें.

इसे भी पढ़ें- ओमीक्रोन संक्रमण: नेपाल से पटना आए 3 बस यात्री कोरोना संक्रमित, अभी तक नहीं हुई सहयात्रियों की ट्रेसिंग

डॉ. नेहा सिंह ने कहा कि अभी के समय घर में अभिभावकों को बच्चों को अच्छी तरह से केयर करने की आवश्यकता है. नियमित अंतराल पर बच्चों के हाथों को धोते रहना चाहिए. चूंकि अभी ठंड का मौमस है, लिहाजा ठंडे पानी की जगह गुनगुने पानी का इस्तेमाल करना चाहिए. इसके अलावा 6 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को मास्क पहनने की आदत डालें. अभी शादी-ब्याह के समारोह में जाने पर एक दूसरे को गले लगाने या हाथ मिलाने से परहेज करना चाहिए. जितना संभव हो सके सामाजिक दूरी का पालन करना चाहिए.

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पटनाः राजधानी पटना में कोरोना के मामले एक बार फिर से तेजी से बढ़ने लगे हैं. वायरस इस बार बच्चों को भी अपनी गिरफ्त में ले रहा है. बीते 3 दिनों में प्रदेश में जो 30 पॉजिटिव मामले सामने आए हैं, उसमें 6 बच्चे हैं. एक ओर चिकित्सा जगत द्वारा आशंका जताई जा रही है कि कोरोना की तीसरी लहर (Third Wave Of Corona) में बच्चे सर्वाधिक संक्रमण की चपेट में (Children At Risk Of Corona Infection) आएंगे. संभावना यह भी है कि ओमीक्रोन के कारण ही कोरोना की तीसरा लहर आएगी.

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मौसम के बदलाव होने की वजह से बच्चों में सर्दी जुखाम और बुखार के लक्षण मिलने शुरू हो गए हैं. उसके बाद बच्चों के अभिभावक काफी डर गए हैं. ऐसे में इस समय उन्हें क्या सावधानी बच्चों को लेकर बरतनी चाहिए और कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों को किस प्रकार बचाया जा सकता है, इसके बारे में पटना एम्स की चिकित्सक डॉक्टर नेहा सिंह ने महत्वपूर्ण जानकारी दी है.

डॉ. नेहा सिंह ने बताया कि दुनियाभर में कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट के केस बढ़ने लगे हैं. इसके कुछ मामले भारत में भी सामने आए हैं. कोरोना का कोई भी वैरिएंट हो इसके खिलाफ वैक्सीनेशन सबसे अहम हथियार है. पटना एम्स में जब एडल्ट पर वैक्सीनेशन ट्रायल हुआ था तब टीके की काम करने की क्षमता की रिपोर्ट में यह 70 फीसदी तक कारगर बताया गया. लेकिन बच्चों पर किए गए वैक्सीनेशन ट्रायल की रिपोर्ट को अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया है.

कोरोना की तीसरी लहर पर क्या है एक्सपर्ट की राय

अभी के समय मौसम के बदलाव की वजह से बच्चों में वायरल फीवर के भी मामले देखने को मिल रहे हैं. ऐसे में बच्चों में लक्षण देखकर यह नहीं कहा जा सकता है कि यह कोविड-19 है या नॉर्मल फ्लू. यह जांच के बाद ही पता लग सकता है. डॉ नेहा सिंह ने कहा कि बच्चों में कोरोना या नॉर्मल फ्लू के लक्षण ना नजर आए इससे बचाव के तुरंत सावधानियां बरतनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि अभी के समय बच्चों को इम्यून बढ़ाने वाली पदार्थों को खाने पीने में अधिक शामिल करें. खाने में सब्जियां और दाल जरुर रखें. डॉ नेहा सिंह ने कहा कि कोरोना और जनरल फ्लू का ट्रीटमेंट की प्रक्रिया समान ही है. उदाहरण देते हुए बताया कि जैसे सिट्रीजीन की गोली और एंटीबैक्टीरियल अजिथ्रल की गोली और बुखार आने पर पेरासिटामोल की गोली. उन्होंने कहा कि बच्चों में अभी तक कोरोना के सिवियर मामले देखने को नहीं मिले हैं. हालांकि अगर किसी बच्चे की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो पेडिएक्ट्रीशियन से संपर्क करें. बिना देरी किए डॉक्टर से सलाह लेकर दवाइयां शुरू कर दें.

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डॉ. नेहा सिंह ने कहा कि अभी के समय घर में अभिभावकों को बच्चों को अच्छी तरह से केयर करने की आवश्यकता है. नियमित अंतराल पर बच्चों के हाथों को धोते रहना चाहिए. चूंकि अभी ठंड का मौमस है, लिहाजा ठंडे पानी की जगह गुनगुने पानी का इस्तेमाल करना चाहिए. इसके अलावा 6 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को मास्क पहनने की आदत डालें. अभी शादी-ब्याह के समारोह में जाने पर एक दूसरे को गले लगाने या हाथ मिलाने से परहेज करना चाहिए. जितना संभव हो सके सामाजिक दूरी का पालन करना चाहिए.

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