पटना: राजधानी पटना से सटे बिहटा बाजार इन दिनों बन रहे तिलकुट की सौंधी खूशबू से पूरा बाजार गुलजार हो रहा है. मकर संक्रांति पर्व की तैयारियों को लेकर बाजारों में हर तरफ तिलकुट की रौनक बढ़ गई है लोग अभी से ही अपना ऑर्डर बुक या खरीदारी करते नजर आ रहे हैं.
बताते दें कि बिहटा बाजार में दो दर्जन से अधिक तिलकुट की दुकानें हैं, जहां रात दिन कुटाई कर तिलकुट बनाया जा रहा है. ग्रामीण इलाकों में गुड़ और तिल से बने तिलकुट की काफी डिमांड रहती है, जो तकरीबन 200 रुपये किलो बाजार में बिकती है. तो वहीं दूसरी ओर चीनी और तिल से बने तिलकुट की डिमांड भी रहती है, जिसकी कीमत 160 रुपये है. इसके अलावा अन्य कई तरह के तिलकुट बनाये जाते है.
गया से आते है तिलकुट कारीगर
वहीं बिहटा में बने रहे तिलकुट बनाने वाले सभी कारीगर अधिकतर गया के होते हैं और मकर संक्रांति पर्व के दो महीने पहले से ही तिलकुट बनाने में दुकानदार जुट जाते हैं. होलसेल वालों में सबसे ज्यादा इसकी डिमांड रहती है. यहां तक इसकी बहुत दूर-दूर तक बिक्री होती है. वहीं कई लोगों के डिमांड पर खोवा और सुगर फ्री तिलकुट भी बनाया जाता है. बिहटा के विभिन्न चौक-चौराहों पर इसका बाजार सज गया है. बनाने वाले कारीगरों की टीम एक से बढ़कर एक तिलकुट बनाने में जुटे हैं. सभी कारीगर गया के जैसे ही स्वादिष्ट तिलकुट बिहटा में ग्राहकों को उपलब्ध करा रहे हैं.
जनवरी में बढ़ सकता है तिलकुट का रेट
'बिहटा में पिछले 22 सालों से तिलकुट का दुकान लगा रहे हैं और काफी अच्छा कमाई भी रहता है, लेकिन इस साल उम्मीद है कि बिक्री पिछले साल से बढ़ेगी. वहीं इस साल बाजार में कोरोना का असर दिख रहा है जिसके कारण पिछले साल से इस बार थोरा कम बिक्री है लेकिन उम्मीद है कि इस साल भी बिक्री अच्छी हो. पिछले साल का ही रेट अभी भी चल रहा है जनवरी से कुछ रेट आगे बढ़ेगा.'- योगेंद्र प्रसाद गुप्ता, तिलकुट कारीगर
गया तिलकुट का है डिमांड
'गया के तिलकुट की डिमांड काफी होती है लोग इसे काफी पसंद भी करते हैं क्योंकि गया में जो तिलकुट बनता है, उसका स्वाद ही कुछ अलग होता है. इसलिए हम सभी लोग भी गया से आए हैं और पिछले कई सालों से बिहटा में भी गया का प्रसिद्ध तिलकुट बनाकर लोगों के बीच ला रहे हैं. लोग काफी पसंद भी कर रहे हैं. वैसे तिलकुट भी कई तरह के होते हैं खासकर चीनी, गुड़, खोवा, स्पेशल तिलकुट आदि है जिसकी डिमांड ज्यादा होती हैं.'- योगेंद्र प्रसाद गुप्ता, तिलकुट कारीगर
मकर संक्रांति पर्व का इतिहास
आज के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है. मकर संक्रांति को मौसम में बदलाव का सूचक भी माना जाता है. आज से वातारण में कुछ गर्मी आने लगती है और फिर बसंत ऋतु के बाद ग्रीष्म ऋतु का आगमन होता है. वहीं, कुछ अन्य कथाओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन देवता पृथ्वी पर अवतरित होते हैं और गंगा स्नान करते हैं. इस वजह से भी गंगा स्नान का आज विशेष महत्व माना गया है.
मकर संक्रांति का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र नदी में स्नान, दान, पूजा आदि करने से व्यक्ति का पुण्य प्रभाव हजार गुना बढ़ जाता है. इस दिन से मलमास खत्म होने के साथ शुभ माह प्रारंभ हो जाता है. इस खास दिन को सुख और समृद्धि का दिन माना जाता है. वहीं मकर संक्रांति के दिन तिल गुड़ खाने से ग्रह भी कटता है.