पटना: पटना में इस बार होली के समय कपड़ा बाजार में रौनक नहीं है. दुकानों पर सन्नाटा पसरा है. दुकानदार ग्राहक के आने का इंतजार करते नजर आ रहे हैं. दुकानदारों का कहना है कि कोरोना ने इस बार होली के समय का बाजार फीका कर दिया है. कपड़ा दुकानदार राजेंद्र कुमार ने बताया कि इस बार कपड़ा दुकानों में बिक्री नहीं हो रही है. इसकी वजह यह है कि लोगों के जेब खाली हैं. पूर्व के सालों की अपेक्षा इस बार 70 फीसदी दुकानदारी कम है. पिछले 3 महीने से दुकानदारी गिरी हुई है और उम्मीद थी कि होली के समय लोग खरीदारी करेंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
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कोरोना का डर चहुंओर
कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए लोग घर से बाहर कम निकल रहे हैं और खर्च भी कम करना चाह रहे हैं. जो ग्राहक आ रहे हैं वह भी अधिक मोल-जोल कर रहे हैं. इस बार महंगाई बढ़ी है. कम कीमत करके प्रोडक्ट बेचना संभव नहीं है. इसलिए भी ग्राहक कम कपड़े खरीद रहे हैं. दुकानदार सुनील कुमार ने बताया कि इस बार होली में बाजार बिल्कुल नहीं है और सभी दुकानदार काफी परेशान हैं.
राजनीतिक दल भी कोरोना गाइडलाइन मानें
कपड़ा दुकानदार चंदन सत्या ने बताया कि इस बार बाजार में सन्नाटा पसरा है. पूर्व के सालों में अभी के समय दुकान पर लोगों की लाइन लगी रहती थी. दुकानदार के पास 1 मिनट समय नहीं रहता था. अभी की स्थिति यह है कि दुकानदार ग्राहकों के इंतजार में बैठे हुए हैं. सभी लोग अभी त्रस्त हैं. चंदन सत्या ने बताया कि कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं. लोग बाजार से गायब हैं. व्यंग्य के लहजे में उन्होंने कहा कि कोरोना का असर सिर्फ व्यापारियों के लिए है. नेताओं के लिए नहीं है.
क्योंकि बाजार में अगर जरा भी भीड़ बढ़ती है प्रशासन आ जाती है. मास्क पहने और सोशल डिस्टेंसिंग फॉलो करने जैसे नियम लगाने लगती है. इधर, कोई भी लोग राजनीतिक दल का झंडा उठा ले तो उनके लिए सोशल गैदरिंग करने की छूट मिल जाती है.
लोग कर रहे हैं बचत
होली में लोग पारंपरिक परिधान काफी पहनते हैं. ऐसे में दुकान के बाहर कुर्ता का स्टॉक सजा रहे दुकानदार धन्नु ने बताया कि कुर्ता-पजामा का बाजार ना के बराबर है. लोग गौर से कुर्ते पजामे को जरूर देख रहे हैं, मगर खरीद नहीं रहे हैं. ज्यादातर अभी के समय लोग कपड़े खरीदने पहुंच रहे हैं तो बच्चों के कपड़े ही खरीद रहे हैं. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार कोरोना का मामला बढ़ रहा है और लॉकडाउन एक बार फिर से लागू होने के संकेत मिल रहे हैं. इसका असर यह हुआ है कि लोग अब खर्च करना कम चाह रहे हैं. और अधिक से अधिक बचत करने की कोशिश कर रहे हैं.