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मॉरीशस से बिहार आकर ये शख्स खोज रहा 166 साल पुराना पूर्वजों का गांव

हेमानंद बद्री अपनी पत्नी के साथ मॉरीशस से पटना पहुंचे हैं. पूर्वजों की जानकारी के लिए उन्होंने पुलिस से भी मदद मांगी है. उनके परदादा 166 साल पहले मजदूरी करने मॉरीशस चले गए थे.

पूर्वजों का गांव ढूंढने मॉरिशस से दंपति पहुंचे पटना
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Published : Oct 12, 2019, 8:39 AM IST

Updated : Oct 12, 2019, 1:43 PM IST

पटना: अपने पूर्वजों के गांव की तलाश में मॉरीशस के एक दंपति पटना पहुंचे हैं. 166 साल के बाद ये दंपति पैतृक गांव का पता लगाने विदेश से फुलवारीशरीफ पहुंचा है. वे पूर्वजों की जानकारी लेने के लिए यहां आये हैं. उन्होंने बताया कि साल 1853 में पूर्वज कोलकाता से मॉरीशस गए थे.

हेमानंद बद्री बताते हैं कि उनके परदादा जिनका नाम बद्री था. वो 1853 में कोलकाता से जूलिया नामक जहाज से एक मजदूर के तौर पर मॉरिशस गए थे. इसके बाद वहीं बस गए. उन्हें कुछ महीनों पहले ही पता चला था कि उनके पूर्वज भारत के रहने वाले थे. जानकारी के बाद अपने पूर्वजों का गांव और वंशजों से मिलने की जिज्ञासा हुई.

patna
पुलिस से मदद की गुहार

पूर्वजों की तलाश में पटना पहुंचे मॉरीशस के दंपति
वो सबसे पहले मॉरिशस स्थित महात्मा गांधी इंस्टीच्यूट लाइब्रेरी पहुंचे जहां उन्हें अपने परदादा से संबंधित कुछ कागजात मिले. जिसमें गांव के नाम की जगह फुलवारी परगना और दीनापुर लिखा था. जो आज के वक्त में फुलवारीशरीफ और दानापुर है. हेमानंद अपनी पत्नी के साथ इन्हीं कागजातों के आधार पर अपने पूर्वजों की तलाश में फुलवारीशरीफ थाना पहुंच गए.

patna
फुलवारीशरीफ थाना पहुंचे दंपति

पुलिस से मदद की गुहार
हेमानंद काफी देर थाने में रहे और पुलिस के साथ अपनी जानकारी को साझा किया. उन्होंने पुलिस से उनके पूर्वजों के गांव को ढूंढने में मदद करने की गुहार लगाई. उन्हें और उनकी पत्नी को पूरा विश्वास है कि वो अपने परदादा बद्री और उनके गांव के बारे के पता लगा लेंगे.

पेश है रिपोर्ट

बद्री के पांचवें वंशज हैं हेमानंद
बता दें कि हेमानंद पुलिस निरीक्षक के पद से रिटायर्ड हैं. उनकी पत्नी विद्यावती भी सरकारी नौकरी करती हैं. उन्होंने बताया कि वे बद्री के पांचवें वंशज हैं. उनके पिता मोतीलाल, मोतीलाल के पिता थे शिवानंद, शिवानंद के पिता थे गुलाबचंद और गुलाबचंद के पिता थे बद्री. जिनके गांव की तलाश में वे बिहार आये हैं.

पटना: अपने पूर्वजों के गांव की तलाश में मॉरीशस के एक दंपति पटना पहुंचे हैं. 166 साल के बाद ये दंपति पैतृक गांव का पता लगाने विदेश से फुलवारीशरीफ पहुंचा है. वे पूर्वजों की जानकारी लेने के लिए यहां आये हैं. उन्होंने बताया कि साल 1853 में पूर्वज कोलकाता से मॉरीशस गए थे.

हेमानंद बद्री बताते हैं कि उनके परदादा जिनका नाम बद्री था. वो 1853 में कोलकाता से जूलिया नामक जहाज से एक मजदूर के तौर पर मॉरिशस गए थे. इसके बाद वहीं बस गए. उन्हें कुछ महीनों पहले ही पता चला था कि उनके पूर्वज भारत के रहने वाले थे. जानकारी के बाद अपने पूर्वजों का गांव और वंशजों से मिलने की जिज्ञासा हुई.

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पुलिस से मदद की गुहार

पूर्वजों की तलाश में पटना पहुंचे मॉरीशस के दंपति
वो सबसे पहले मॉरिशस स्थित महात्मा गांधी इंस्टीच्यूट लाइब्रेरी पहुंचे जहां उन्हें अपने परदादा से संबंधित कुछ कागजात मिले. जिसमें गांव के नाम की जगह फुलवारी परगना और दीनापुर लिखा था. जो आज के वक्त में फुलवारीशरीफ और दानापुर है. हेमानंद अपनी पत्नी के साथ इन्हीं कागजातों के आधार पर अपने पूर्वजों की तलाश में फुलवारीशरीफ थाना पहुंच गए.

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फुलवारीशरीफ थाना पहुंचे दंपति

पुलिस से मदद की गुहार
हेमानंद काफी देर थाने में रहे और पुलिस के साथ अपनी जानकारी को साझा किया. उन्होंने पुलिस से उनके पूर्वजों के गांव को ढूंढने में मदद करने की गुहार लगाई. उन्हें और उनकी पत्नी को पूरा विश्वास है कि वो अपने परदादा बद्री और उनके गांव के बारे के पता लगा लेंगे.

पेश है रिपोर्ट

बद्री के पांचवें वंशज हैं हेमानंद
बता दें कि हेमानंद पुलिस निरीक्षक के पद से रिटायर्ड हैं. उनकी पत्नी विद्यावती भी सरकारी नौकरी करती हैं. उन्होंने बताया कि वे बद्री के पांचवें वंशज हैं. उनके पिता मोतीलाल, मोतीलाल के पिता थे शिवानंद, शिवानंद के पिता थे गुलाबचंद और गुलाबचंद के पिता थे बद्री. जिनके गांव की तलाश में वे बिहार आये हैं.

Intro:कहते है आप कही भी रही एक न एक दिन मिट्टी की खुशबू आपको आपके घर आपके गांव तक पहुंचा ही देती है। ऐसी ही मिट्टी की तलाश में मॉरिशस का एक जोड़ा पटना पहुंचा है और फुलवारीशरीफ थाना क्षेत्र में अपने पूर्वजों की तलाश कर रहा है। इस जोड़े का नाम है हेमानंद बद्री और विद्यावती। ये पति पत्नी मॉरिशस के रहने वाले है और उनके पूर्वज बिहार के रहने वाले थे और यही से मॉरिशस जाकर बस गए थे।Body:अपने हाँथ में परदादा की तस्वीर लिए ये है हेमानंद बद्री और उनके बगल में बैठी है उनकी पत्नी विद्यावती। इन्हें लगता है कि उनके पूर्वज यानी परदादा जिनका नाम बद्री था वो बिहार के रहने वाले थे। हेमानंद के पास कुछ कागजात और अपने परदादा की तस्वीर है जो ये बताता है कि उनके परदादा पटना के फुलवारीशरीफ और दानापुर के बीच किसी गांव के रहने वाले थे लिहाजा वो कागजो के आधार पर अपने पूर्वज की तलाश में पटना के फुलवारीशरीफ थाना पहुंचे और पुलिस से उनके पूर्वजो के गांव को ढूंढने में मदद करने की गुहार लगाई। हेमानंद काफी देर थाने में रहे और पुलिस के साथ अपनी जानकारी को साझा किया । पुलिस निरीक्षक के पद से रिटायर्ड हेमानंद और सरकारी नौकरी करने वाली उनकी पत्नी विद्यावती को लगता है कि उनके पूर्वज पटना में ही मिलेंगे और जबतक वो मिल नही जाते वो उनकी तलाश करते रहेंगे।Conclusion:दरअसल हेमानंद बताते है कि उनके परदादा जिनका नाम बद्री था वो 1853 में कोलकाता से जूलिया नामक जहाज से एक मजदूर के तौर पर मॉरिशस गए थे और वही बस गए। हेमानंद ने बताया कि जब उन्हें पता चला कि उनके पूर्वज भारत के रहने वाले थे और भारत से आकर ही मॉरिशस में बसे थे तो उन्हें अपने पूर्वजो का गांव और उनके वसंजो से मिलने की जिज्ञासा हुई बस उन्होंने अपने पूर्वजो को ढूंढने के का संकल्प लिया और सबसे पहले मॉरिशस स्थित महात्मा गांधी इंस्टीच्यूट लाइब्रेरी पहुंचे जहां उन्हें अपने परदादा से संबंधित कुछ कागजात मिले जिसमे गांव के नाम की जगह फुलवारी परगना और दीनापुर लिखा था जो आज के वक्त में फुलवारीशरीफ और दानापुर है । हेमानंद अपनी पत्नी के साथ इन्ही कागजातों के आधार पर अपने पूर्वजो की तलाश में फुलवारीशरीफ थाना पहुंच गए । उन्हें और उनकी पत्नी को पूरा विश्वास है कि वो अपने परदादा बद्री और उनके गांव के बारे के पता लगा लेंगे। उन्होंने बताया कि उनके पिता का नाम था मोतीलाल,मोतीलाल के पिता थे शिवानंद,शिवानंद के पिता थे गुलाबचंद और गुलाबचंद के पिता थे बद्री जिनके गांव की तलाश में हम बिहार आये है।
बाईट - हेमानंद बद्री - मॉरिशस
बाईट - विद्यावती - मॉरिशस
Last Updated : Oct 12, 2019, 1:43 PM IST
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