ETV Bharat / state

100 साल के इतिहास में ना भूलने वाला दर्द दे गया है बिहार विधानसभा का बजट सत्र

बिहार विधानसभा अपना 100वां साल मना रहा है. 7 फरवरी को कार्यक्रम भी आयोजित हुआ और 1 साल तक आगे कार्यक्रम भी चलेगा. राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भी बुलाने की बात कही गई है. लेकिन, बिहार विधानसभा का बजट सत्र लोकतंत्र की मजबूती को लेकर कई तरह की चर्चा छोड़ गया है. कई बार चुनाव जीत चुके सदस्य भी कह रहे हैं कि इस तरह की घटना पहले नहीं हुई थी. सदन के अंदर मुख्यमंत्री ने भी कहा कि पूरी घटना से आश्चर्यचकित हूं. देखिए ये रिपोर्ट.

पटना
पटना
author img

By

Published : Mar 28, 2021, 5:10 PM IST

Updated : Mar 28, 2021, 8:44 PM IST

पटना: बिहार विधानसभा अपना 100वां साल मना रहा है. इसी साल 7 फरवरी को विधानसभा अध्यक्ष ने सेंट्रल हॉल में बड़ा कार्यक्रम भी किया. जिसमें मुख्यमंत्री भी शामिल हुए और 1 साल तक कार्यक्रम आयोजित करने की भी तैयारी है. राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भी निमंत्रण दिया गया है. 100 साल के इतिहास में बिहार विधानसभा में एकजुटता दिखाते हुए जमींदार प्रथा उन्मूलन से लेकर शराब बंदी लागू करने तक का बड़ा फैसला लिया गया है.

ये भी पढ़ें- इस बार सदन में सबकुछ हुआ जो नहीं होना चाहिए था, बवाल..हाथापाई और हंगामे के बीच बजट सत्र समाप्त

जब विधानसभा बना अखाड़ा
कई और बड़े फैसले लिए गए हैं. लेकिन, बिहार विधानसभा के बजट सत्र में 23 मार्च का दिन शायद ही अब कभी भूलने वाला होगा. एक तरफ से सदन अखाड़ा सा बन गया था. जिसमें सभी विपक्षी दल एकजुटता दिखाते हुए सरकार के खिलाफ किसी हद तक जाने को तैयार थे, तो दूसरी तरफ सत्तापक्ष के विधायक शांत और संयमित दिखे. सदन के अंदर अपने स्थान पर बैठे रहे.

जब विधानसभा बना अखाड़ा
जब विधानसभा बना अखाड़ा

सदन में पहली बार घुसी पुलिस
23 मार्च को 11 बजे से जो हंगामा शुरू हुआ वो 7:30 बजे देर शाम तक चलता रहा और इसमें पुलिसिया कार्रवाई भी हुई. उससे पहले विधानसभा के बाहर नारेबाजी और हंगामा के साथ विधानसभा चेंबर के बाहर धरना भी दिया. विधानसभा अध्यक्ष को चेंबर से बाहर नहीं निकलने देना और फिर सदन में उनके आसन पर कब्जा करना. सदन की कार्यवाही चले इसके लिए पुलिसिया कार्रवाई हुई. एक दर्जन विधायकों को घसीटते हुए मारते हुए बाहर निकाला गया. उसमें कुछ महिला विधायक भी घायल हुई.

महिला विधायकों को घसीटा
महिला विधायकों को घसीटा

सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने
हालांकि, विधायकों की तरफ से भी जवाबी कार्रवाई हुई. लेकिन, सदन तभी चला जब विपक्ष ने सदन का बहिष्कार किया. पुलिस बिल तब पास हुआ और नीतीश कुमार ने भी संबोधित करते हुए पूरी घटना पर आश्चर्य भी जताया और विपक्ष को समझाने में जो चूक हुई उसे भी माना. पुलिस बिल पास होने पर नीतीश कुमार ने कहा कि पुलिस बिल लोगों के हित में है. लोगों को इससे किसी तरह का नुकसान नहीं होगा. पूरी घटना के लिए सत्ता पक्ष विपक्ष को और विपक्ष नीतीश कुमार को जिम्मेवार ठहराते रहा.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX

मंत्री के कारण कार्यवाही हुई स्थगित
बिहार विधानसभा में 23 मार्च की घटना को छोड़ भी दें, तो कई चीजें पहली बार हुई. मंत्रियों की तरफ से ही विधानसभा अध्यक्ष पर आरोप लगाए गए. सम्राट चौधरी ने तो आसन को व्याकुल नहीं होने तक की सलाह दे डाली. इस आपत्तिजनक सलाह के बाद विधानसभा अध्यक्ष को सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी थी. बात विधानसभा अध्यक्ष के इस्तीफे तक पहुंच गई थी, लेकिन मामले को फिर किसी तरह निपटाया गया.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX

ये भी पढ़ें- पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ने कहा- स्पीकर सतर्क रहते तो न होती विधायकों के साथ मारपीट

''विधानसभा में विधायक जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं. विधानसभा से जो उनकी छवि आई, उस पर सवाल खड़ा हो रहा है. आधुनिक टेक्नोलॉजी युग में आपकी हर गतिविधि को लोग देख रहे हैं. विधायकों को इस तरह से रिप्रेजेंट नहीं करना चाहिए था. लक्ष्मण रेखा कुछ तो तय होनी चाहिए थी''- मोहम्मद आसिफ, ज्वाइंट सेक्रेट्री, गांधी संग्रहालय

मोहम्मद आसिफ, ज्वाइंट सेक्रेट्री, गांधी संग्रहालय
मोहम्मद आसिफ, ज्वाइंट सेक्रेट्री, गांधी संग्रहालय

सदन में बने कई रिकॉर्ड
कई सालों के बाद विधानसभा में प्रश्नकाल बेरोकटोक चला और कई विभागों ने 100% उत्तर ऑनलाइन दिया. ये भी एक रिकॉर्ड बना. बजट सत्र में कई उपलब्धियां रहीं, लेकिन आरजेडी के वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री आलोक मेहता का कहना है कि सभी उपलब्धियों पर एक बिल ने जायका बिगाड़ दिया. 10 साल तक बिहार विधानसभा के अध्यक्ष पद की कुर्सी संभालने वाले उदय नारायण चौधरी का कहना है कि बिना विपक्ष के संसदीय लोकतंत्र की कल्पना नहीं की जा सकती है.

आरजेडी के वरिष्ठ विधायक आलोक मेहता
आरजेडी के वरिष्ठ विधायक आलोक मेहता

''विपक्ष सरकार को आगाह करता है. लेकिन, पहली बार ऐसा हुआ. ट्रेजरी बेंच की तरफ से मंत्रियों ने आसन को कमजोर करने की कोशिश की. जब सत्ता पक्ष के तरफ से ही आसन को कमजोर करने की कोशिश होगी, तो विपक्ष तो करेगा ही''- उदय नारायण चौधरी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष

उदय नारायण चौधरी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष
उदय नारायण चौधरी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष

बिहार विधानसभा में डिप्टी स्पीकर महेश्वर हजारी पूरी घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि अब आगे से इस तरह की घटना ना हो, जो भी दोषी हैं उन्हें प्रायश्चित करना चाहिए. 7 फरवरी को बिहार विधानसभा में अपना 100वां साल मना रहा है. एक साल तक कार्यक्रम चलेंगे. लेकिन, कई चीजें बजट सत्र में पहली बार देखने को मिली.

डिप्टी स्पीकर महेश्वर हजारी
डिप्टी स्पीकर महेश्वर हजारी

ये भी पढ़ें- क्या है बिहार सशस्त्र पुलिस बल विधेयक 2021, जिस पर मचा है बवाल

बदला-बदला सा बिहार विधानसभा
बदले हुए विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी विपक्ष में है और पहली बार विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी बीजेपी के पास है. विधानसभा में युवा चेहरों में अंतरराष्ट्रीय शूटर श्रेयसी सिंह हो या फिर आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद सहित कई विधायक सबका ध्यान भी खींचा है. वहीं, पहली बार एक दर्जन माले विधायकों ने दमदार उपस्थिति से सरकार की मुश्किल थोड़ी और बढ़ा दी है. बजट सत्र भले ही ना भूलने वाला दर्द दे गया हो, लेकिन बिहार विधानसभा का चेहरा बदलते बिहार की तस्वीर भी पेश कर रहा है.

देखिए रिपोर्ट

पुलिस विधेयक पर सदन में संग्राम
बता दें कि मंगलवार को बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021 सदन में पेश किया गया. काफी हंगामे के बीच उसी दिन सदन से विधेयक को पास करा लिया गया. विपक्ष की ओर से लगातार इस बिल का विरोध किया जा रहा है. बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस बिल को लेकर सदन में 2 दिनों से जबरदस्त हंगामा देखने को मिला. विधानसभा में तो ऐतिहासिक हंगामा हुआ और पुलिस बल को विधानसभा के अंदर तक बुलाना पड़ा. शुक्रवार को विधान परिषद में भी विपक्ष ने जबरदस्त हंगामा किया. इस दौरान विपक्ष के सदस्यों की गैर मौजूदगी में ही इस बिल को पारित करा लिया गया.

ये भी पढ़ें- 'केवल ऐतिहासिक स्थलों, एयरपोर्ट और मेट्रो स्टेशन पर लागू होगा पुलिस विधेयक'

ये भी पढ़ें- सशस्त्र पुलिस बिल को लेकर विपक्ष को क्यों है आपत्ति!

ये भी पढ़ें- CM नीतीश ने सदन में यूं समझाया क्या है 'बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021'

पटना: बिहार विधानसभा अपना 100वां साल मना रहा है. इसी साल 7 फरवरी को विधानसभा अध्यक्ष ने सेंट्रल हॉल में बड़ा कार्यक्रम भी किया. जिसमें मुख्यमंत्री भी शामिल हुए और 1 साल तक कार्यक्रम आयोजित करने की भी तैयारी है. राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भी निमंत्रण दिया गया है. 100 साल के इतिहास में बिहार विधानसभा में एकजुटता दिखाते हुए जमींदार प्रथा उन्मूलन से लेकर शराब बंदी लागू करने तक का बड़ा फैसला लिया गया है.

ये भी पढ़ें- इस बार सदन में सबकुछ हुआ जो नहीं होना चाहिए था, बवाल..हाथापाई और हंगामे के बीच बजट सत्र समाप्त

जब विधानसभा बना अखाड़ा
कई और बड़े फैसले लिए गए हैं. लेकिन, बिहार विधानसभा के बजट सत्र में 23 मार्च का दिन शायद ही अब कभी भूलने वाला होगा. एक तरफ से सदन अखाड़ा सा बन गया था. जिसमें सभी विपक्षी दल एकजुटता दिखाते हुए सरकार के खिलाफ किसी हद तक जाने को तैयार थे, तो दूसरी तरफ सत्तापक्ष के विधायक शांत और संयमित दिखे. सदन के अंदर अपने स्थान पर बैठे रहे.

जब विधानसभा बना अखाड़ा
जब विधानसभा बना अखाड़ा

सदन में पहली बार घुसी पुलिस
23 मार्च को 11 बजे से जो हंगामा शुरू हुआ वो 7:30 बजे देर शाम तक चलता रहा और इसमें पुलिसिया कार्रवाई भी हुई. उससे पहले विधानसभा के बाहर नारेबाजी और हंगामा के साथ विधानसभा चेंबर के बाहर धरना भी दिया. विधानसभा अध्यक्ष को चेंबर से बाहर नहीं निकलने देना और फिर सदन में उनके आसन पर कब्जा करना. सदन की कार्यवाही चले इसके लिए पुलिसिया कार्रवाई हुई. एक दर्जन विधायकों को घसीटते हुए मारते हुए बाहर निकाला गया. उसमें कुछ महिला विधायक भी घायल हुई.

महिला विधायकों को घसीटा
महिला विधायकों को घसीटा

सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने
हालांकि, विधायकों की तरफ से भी जवाबी कार्रवाई हुई. लेकिन, सदन तभी चला जब विपक्ष ने सदन का बहिष्कार किया. पुलिस बिल तब पास हुआ और नीतीश कुमार ने भी संबोधित करते हुए पूरी घटना पर आश्चर्य भी जताया और विपक्ष को समझाने में जो चूक हुई उसे भी माना. पुलिस बिल पास होने पर नीतीश कुमार ने कहा कि पुलिस बिल लोगों के हित में है. लोगों को इससे किसी तरह का नुकसान नहीं होगा. पूरी घटना के लिए सत्ता पक्ष विपक्ष को और विपक्ष नीतीश कुमार को जिम्मेवार ठहराते रहा.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX

मंत्री के कारण कार्यवाही हुई स्थगित
बिहार विधानसभा में 23 मार्च की घटना को छोड़ भी दें, तो कई चीजें पहली बार हुई. मंत्रियों की तरफ से ही विधानसभा अध्यक्ष पर आरोप लगाए गए. सम्राट चौधरी ने तो आसन को व्याकुल नहीं होने तक की सलाह दे डाली. इस आपत्तिजनक सलाह के बाद विधानसभा अध्यक्ष को सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी थी. बात विधानसभा अध्यक्ष के इस्तीफे तक पहुंच गई थी, लेकिन मामले को फिर किसी तरह निपटाया गया.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX

ये भी पढ़ें- पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ने कहा- स्पीकर सतर्क रहते तो न होती विधायकों के साथ मारपीट

''विधानसभा में विधायक जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं. विधानसभा से जो उनकी छवि आई, उस पर सवाल खड़ा हो रहा है. आधुनिक टेक्नोलॉजी युग में आपकी हर गतिविधि को लोग देख रहे हैं. विधायकों को इस तरह से रिप्रेजेंट नहीं करना चाहिए था. लक्ष्मण रेखा कुछ तो तय होनी चाहिए थी''- मोहम्मद आसिफ, ज्वाइंट सेक्रेट्री, गांधी संग्रहालय

मोहम्मद आसिफ, ज्वाइंट सेक्रेट्री, गांधी संग्रहालय
मोहम्मद आसिफ, ज्वाइंट सेक्रेट्री, गांधी संग्रहालय

सदन में बने कई रिकॉर्ड
कई सालों के बाद विधानसभा में प्रश्नकाल बेरोकटोक चला और कई विभागों ने 100% उत्तर ऑनलाइन दिया. ये भी एक रिकॉर्ड बना. बजट सत्र में कई उपलब्धियां रहीं, लेकिन आरजेडी के वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री आलोक मेहता का कहना है कि सभी उपलब्धियों पर एक बिल ने जायका बिगाड़ दिया. 10 साल तक बिहार विधानसभा के अध्यक्ष पद की कुर्सी संभालने वाले उदय नारायण चौधरी का कहना है कि बिना विपक्ष के संसदीय लोकतंत्र की कल्पना नहीं की जा सकती है.

आरजेडी के वरिष्ठ विधायक आलोक मेहता
आरजेडी के वरिष्ठ विधायक आलोक मेहता

''विपक्ष सरकार को आगाह करता है. लेकिन, पहली बार ऐसा हुआ. ट्रेजरी बेंच की तरफ से मंत्रियों ने आसन को कमजोर करने की कोशिश की. जब सत्ता पक्ष के तरफ से ही आसन को कमजोर करने की कोशिश होगी, तो विपक्ष तो करेगा ही''- उदय नारायण चौधरी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष

उदय नारायण चौधरी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष
उदय नारायण चौधरी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष

बिहार विधानसभा में डिप्टी स्पीकर महेश्वर हजारी पूरी घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि अब आगे से इस तरह की घटना ना हो, जो भी दोषी हैं उन्हें प्रायश्चित करना चाहिए. 7 फरवरी को बिहार विधानसभा में अपना 100वां साल मना रहा है. एक साल तक कार्यक्रम चलेंगे. लेकिन, कई चीजें बजट सत्र में पहली बार देखने को मिली.

डिप्टी स्पीकर महेश्वर हजारी
डिप्टी स्पीकर महेश्वर हजारी

ये भी पढ़ें- क्या है बिहार सशस्त्र पुलिस बल विधेयक 2021, जिस पर मचा है बवाल

बदला-बदला सा बिहार विधानसभा
बदले हुए विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी विपक्ष में है और पहली बार विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी बीजेपी के पास है. विधानसभा में युवा चेहरों में अंतरराष्ट्रीय शूटर श्रेयसी सिंह हो या फिर आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद सहित कई विधायक सबका ध्यान भी खींचा है. वहीं, पहली बार एक दर्जन माले विधायकों ने दमदार उपस्थिति से सरकार की मुश्किल थोड़ी और बढ़ा दी है. बजट सत्र भले ही ना भूलने वाला दर्द दे गया हो, लेकिन बिहार विधानसभा का चेहरा बदलते बिहार की तस्वीर भी पेश कर रहा है.

देखिए रिपोर्ट

पुलिस विधेयक पर सदन में संग्राम
बता दें कि मंगलवार को बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021 सदन में पेश किया गया. काफी हंगामे के बीच उसी दिन सदन से विधेयक को पास करा लिया गया. विपक्ष की ओर से लगातार इस बिल का विरोध किया जा रहा है. बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस बिल को लेकर सदन में 2 दिनों से जबरदस्त हंगामा देखने को मिला. विधानसभा में तो ऐतिहासिक हंगामा हुआ और पुलिस बल को विधानसभा के अंदर तक बुलाना पड़ा. शुक्रवार को विधान परिषद में भी विपक्ष ने जबरदस्त हंगामा किया. इस दौरान विपक्ष के सदस्यों की गैर मौजूदगी में ही इस बिल को पारित करा लिया गया.

ये भी पढ़ें- 'केवल ऐतिहासिक स्थलों, एयरपोर्ट और मेट्रो स्टेशन पर लागू होगा पुलिस विधेयक'

ये भी पढ़ें- सशस्त्र पुलिस बिल को लेकर विपक्ष को क्यों है आपत्ति!

ये भी पढ़ें- CM नीतीश ने सदन में यूं समझाया क्या है 'बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021'

Last Updated : Mar 28, 2021, 8:44 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.