पटना: बिहार सरकार (Bihar Government) ने जब से प्राथमिक विद्यालयों के लिए प्रधान शिक्षक और माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक बहाली के कुल 45,892 पदों के लिए नई शर्तें लागू की है. उसके बाद से ही तमाम शिक्षक संघ (Teachers Union) इसका विरोध कर रहे हैं. शिक्षकों का साफ कहना है कि अनुभव के आधार पर नहीं बल्कि टीईटी (TET), सीटीईटी (CTET) और एसटीइटी (STET) पास शिक्षकों को ही परीक्षा में शामिल होने का मौका मिलना चाहिए.
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प्राथमिक विद्यालयों में प्रधान शिक्षक के पद के लिए होने वाली बहाली में टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (टीइटी) पास सभी शिक्षकों को मौका देने की मांग टीइटी शिक्षक संघ ने सरकार से की है. संघ ने मुख्यमंत्री और शिक्षा विभाग (Education Department) के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखा है. जिसमें प्रधान शिक्षकों की बहाली में टीइटी को अनिवार्य करने का आग्रह किया गया है.
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दरअसल सरकार ने जो नई नीति बनाई है, उसके तहत बिहार की प्राथमिक विद्यालयों में 40,518 प्रधान शिक्षकों की नियुक्ति होगी. इसमें बीपीएससी के माध्यम से बहाली होनी है. लेकिन जो शर्तें रखी गई है, उसके मुताबिक प्रधान शिक्षक पद के लिए सिर्फ वही शिक्षक आवेदन कर पाएंगे, जिन्हें 8 वर्ष का शिक्षण अनुभव है.
सरकार ने बिहार लोक सेवा आयोग से प्रधान शिक्षक की होने वाली बहाली के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने की अनिवार्यता नहीं रखी है. ऐसी स्थिति में शिक्षक पात्रता परीक्षा पास पहली से पांचवी कक्षा वाले अधिकांश शिक्षक प्रधान शिक्षक के लिए आवेदन नहीं कर पाएंगे. क्योंकि पूर्व के वर्षों में अप्रशिक्षित शिक्षकों की बहाली हुई थी, जिन्हें बाद में सेवाकालीन प्रशिक्षण के जरिए प्रशिक्षित किया गया.
पहली से पांचवीं कक्षा के शिक्षक जिनकी ट्रेनिंग सवैतनिक अवकाश पर हुई है, वे प्रधान शिक्षक की बहाली के लिए आवेदन नहीं कर पाएंगे. क्योंकि उनके लिए शिक्षण अनुभव प्रशिक्षण प्राप्त करने की तिथि से माना जाता है. यही वजह है कि टीईटी एसटीईटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ ने प्रधान शिक्षकों की नियुक्ति में टीईटी उत्तीर्ण शिक्षकों के लिए शिक्षण अनुभव की अनिवार्यता समाप्त करने की मांग सरकार से की है.
वहीं, उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालयों में कुल 5,334 पदों पर प्रधानाध्यापक की नियुक्ति बिहार लोक सेवा आयोग के जरिए होनी है. उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालयों में अपने मूल कोटि में 8 साल पूरा करने वाले सरकारी स्कूलों के शिक्षक आवेदन कर पाएंगे. जबकि निजी विद्यालयों में 12 साल की सेवा पूरी करने वाले शिक्षक प्रधानाध्यापक पद के लिए आवेदन कर पाएंगे.
यहां यह भी जानना जरूरी है कि प्राथमिक स्कूलों के प्रधान शिक्षक के पद जिला संवर्ग के होंगे. जबकि उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापक के पद प्रमंडल संवर्ग के होंगे. अगर इन दोनों में से किसी पद पर कोई नियोजित शिक्षक का चयन होगा, तो वह चयन के साथ ही नियोजन इकाई से बाहर हो जाएंगे. वे सीधे राज्य सरकार के नियंत्रणाधीन होंगे. जिसके लिए अलग वेतन संरचना भी लागू की जाएगी.
बता दें कि 1994 के बाद पहली बार बिहार में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति बिहार लोक सेवा आयोग के जरिए होगी. शिक्षा विभाग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकारी मध्य विद्यालय या उच्च विद्यालय में पहले से सृजित पद पर कार्यरत प्रधानाध्यापक अपने पद पर बने रहेंगे. सरकार ने यह भी घोषणा की है कि इसी वित्तीय वर्ष में नए संवर्ग के हेड मास्टर स्कूलों को मिल जाएंगे.