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भाजपा-जेडीयू के बीच बढ़ी तल्खी, बीजेपी बोली- 'क्षेत्रीय दल राष्ट्रीय अस्मिता के लिए खतरा'

बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने क्षेत्रीय दलों के बहाने जेडीयू पर प्रहार किया. उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय दल अमूमन या तो परिवार की पार्टियां हैं या फिर निजी पॉकेट की दुकान हैं. पढ़ें पूरी खबर

बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद का बयान
बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद का बयान
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Published : Jan 14, 2022, 10:59 PM IST

पटना: सम्राट अशोक प्रकरण (Samrat Ashok Controversy) बिहार में NDA की नैया डगमगाने लगी है. सूर्य जैसे जैसे मकर राशि की ओर कूच कर रहा था दोनों दल एक दूसरे पर आक्रामक हुए जा रहे थे. अब नौबत यहां तक पहुंच गई है कि साथ रहते हुए भी बयानबाजी के चलते बीजेपी-जदयू में दूरी बढ़ गई है. दोनों ओर से शब्द बाण छोड़े जा रहे हैं. जदयू नेताओं ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पर हमला बोला तो भाजपा नेताओं का गुस्सा भी सातवें आसमान पर आ गया. क्षेत्रीय दल राष्ट्रीय अस्मिता के लिए खतरा बताते हुए निखिल मंडल ने जेडीयू को खूब खरी खोटी सुनाई.

ये भी पढ़ें- BJP के 'संजय' ने CM नीतीश को बतायी शराबबंदी की हकीकत, बोले- मीडिया की दुनिया से बाहर आइये.. समझ में आ जाएगी

भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री सह बिहार भाजपा प्रवक्ता डॉ० निखिल आनंद का देश के क्षेत्रीय दलों को टार्गेट करते हुए जेडीयू पर खूब सियासी तीर छोड़े. उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय दलों ने अमूमन भारत के समाज, राजनीति, राष्ट्र की अस्मिता और गौरव को जितना ठेस पहुँचाया है, उतना किसी ने नहीं पहुँचाया. क्षेत्रीय दल अमूमन या तो परिवार की पार्टियाँ हैं या फिर निजी पॉकेट की दुकान हैं.

बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद का बयान

क्षेत्रीय दलों के तथाकथित स्वयंभू राष्ट्रीय नेता सिर्फ एक वैचारिक आडंबर खड़ा करते हैं. इस वैचारिक आडंबर की बुनियाद को ये क्षेत्रीय दल और नेता अपने लिए अय्याशी, उगाही, प्रोपेगेंडा का माध्यम बनाते है. राजनीति के नाम पर सिर्फ गिरोह खड़ा करते हैं. बारगेन करके राजनीति करना इनकी आदत में शामिल है. ऐसे राजनीतिक दल अमूमन राष्ट्रीय संदर्भ में किसी न किसी राष्ट्रीय राजनीतिक दल से भी खुद को जोड़ लेते हैं और उनके कंधे पर सवार होकर खुद को ऊंचा एवं बड़ा समझने और दिखाने लगते हैं. ऐसे राजनीतिक दलों को अपना कद भी नाप लेना चाहिए.

बीजेपी प्रवक्ता निखिला आनंद ने आगे कहा कि ऐसे दलों को अपने गिरेबां में भी झांकना चाहिए. यह बात किसी खास राजनीतिक दल या उसके नेता के संदर्भ में नहीं कहा जा रही है, बल्कि राष्ट्र चिंतन की धारा के तहत एक जनरल या आम संदर्भ में कहा जा रहा है. जिसपर देश की जनता को निश्चित विचार करना चाहिए. भारत की अस्मिता और संप्रभुता से समझौता करके सिर्फ राजनीति की दुकान नहीं चलाई जा सकती और ना ही इसका लंबे समय तक समर्थन किया जा सकता है. ऐसे में देश की जनता को जागना होगा कि सिर्फ जातिवाद या क्षेत्रवाद फैलाने के लिए और राजनीति की दुकान चलाने के लिए किसी का समर्थन ना करें.

  • कोई नेता जब क्षेत्रीय दल को छोड़ राष्ट्रीय दल में चला जाता है तो वो खुद को भी राष्ट्रिय नेता मानने लगता है।
    जबकि नेता दल के आकार से नही बल्कि व्यक्तित्व से बनता है।
    कर्म अच्छे होंगे तो लोग आपको महत्व देंगे वरना जनता मालिक है और ये मालिक धूल चटाने में भी वक्त नही लगाती। https://t.co/WoLrCbblRw

    — Nikhil Mandal (@nikhilmandalJDU) January 14, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

दरअसल, 12 जनवरी को जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा सोशल मीडिया पर बिहार बीजेपी अध्यक्ष को टैग कर कुछ सवाल पूछे थे. जेडीयू प्रवक्ता के बयान पर संजय जायसवाल भड़क गए और उन्होंने सोशल मीडिया पर लंबा-चौड़ा पोस्ट लिखकर सीएम नीतीश को भी लपेट लिया. अभिषेक झा ने ट्वीट कर लिखा था "बिहार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष @sanjayjaiswalMP जी, आप आत्मचिंतन कीजिए और अपने गिरेबान में झांक कर देखिए कि बीते एक वर्ष में आपने एनडीए गठबंधन के खिलाफ कितने बयान दिए हैं?

इसके बाद अभिषेक झा लिखते हैं कि "यदि स्मरण ना हो तो सभी बयानों का संकलन करके आपको भेज सकता हूं. शराबबंदी सरकार की नीति रही है लेकिन जहरीली शराब पीने से आपके लोकसभा क्षेत्र में जब कुछ लोगों की मृत्यु हुई थी, आप संवेदना व्यक्त करने और सांत्वना स्वरूप पैसे बांटने गए थे. एनडीए सरकार की नीति के हिसाब से आपका यह आचरण सही था या गलत?

फिलहाल बिहार के दोनों सत्ताधारी दल BJP-JDU आमने-सामने हैं. दोनों ही पार्टियां फ्रंट फुट पर बैटिंग कर रही है. समझ में नहीं आ रहा है कि गेंदबाज कौन है, जो दोनों को खेला रहा है. लेकिन परदे के पीछे कोई तो है, जो दोनों से कह रहा है आगे बढ़ो और चौके-छक्के लगाओ. यही कारण है कि दोनों पार्टियां एक-दूसरे को नीचा दिखाने के लिए कोई भी मौका छोड़ नहीं रही है.

ये भी पढ़ें- सम्राट अशोक पर BJP नेता के विवादित बयान पर बोले ललन सिंह- 'ऐसे व्यक्ति का वापस लें पद्मश्री'

ये भी पढ़ें- बीजेपी नेता के सम्राट अशोक को लेकर दिए बयान पर भड़के जदयू नेता उपेंद्र कुशवाहा, कहा- पार्टी करे कार्रवाई

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पटना: सम्राट अशोक प्रकरण (Samrat Ashok Controversy) बिहार में NDA की नैया डगमगाने लगी है. सूर्य जैसे जैसे मकर राशि की ओर कूच कर रहा था दोनों दल एक दूसरे पर आक्रामक हुए जा रहे थे. अब नौबत यहां तक पहुंच गई है कि साथ रहते हुए भी बयानबाजी के चलते बीजेपी-जदयू में दूरी बढ़ गई है. दोनों ओर से शब्द बाण छोड़े जा रहे हैं. जदयू नेताओं ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पर हमला बोला तो भाजपा नेताओं का गुस्सा भी सातवें आसमान पर आ गया. क्षेत्रीय दल राष्ट्रीय अस्मिता के लिए खतरा बताते हुए निखिल मंडल ने जेडीयू को खूब खरी खोटी सुनाई.

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भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री सह बिहार भाजपा प्रवक्ता डॉ० निखिल आनंद का देश के क्षेत्रीय दलों को टार्गेट करते हुए जेडीयू पर खूब सियासी तीर छोड़े. उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय दलों ने अमूमन भारत के समाज, राजनीति, राष्ट्र की अस्मिता और गौरव को जितना ठेस पहुँचाया है, उतना किसी ने नहीं पहुँचाया. क्षेत्रीय दल अमूमन या तो परिवार की पार्टियाँ हैं या फिर निजी पॉकेट की दुकान हैं.

बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद का बयान

क्षेत्रीय दलों के तथाकथित स्वयंभू राष्ट्रीय नेता सिर्फ एक वैचारिक आडंबर खड़ा करते हैं. इस वैचारिक आडंबर की बुनियाद को ये क्षेत्रीय दल और नेता अपने लिए अय्याशी, उगाही, प्रोपेगेंडा का माध्यम बनाते है. राजनीति के नाम पर सिर्फ गिरोह खड़ा करते हैं. बारगेन करके राजनीति करना इनकी आदत में शामिल है. ऐसे राजनीतिक दल अमूमन राष्ट्रीय संदर्भ में किसी न किसी राष्ट्रीय राजनीतिक दल से भी खुद को जोड़ लेते हैं और उनके कंधे पर सवार होकर खुद को ऊंचा एवं बड़ा समझने और दिखाने लगते हैं. ऐसे राजनीतिक दलों को अपना कद भी नाप लेना चाहिए.

बीजेपी प्रवक्ता निखिला आनंद ने आगे कहा कि ऐसे दलों को अपने गिरेबां में भी झांकना चाहिए. यह बात किसी खास राजनीतिक दल या उसके नेता के संदर्भ में नहीं कहा जा रही है, बल्कि राष्ट्र चिंतन की धारा के तहत एक जनरल या आम संदर्भ में कहा जा रहा है. जिसपर देश की जनता को निश्चित विचार करना चाहिए. भारत की अस्मिता और संप्रभुता से समझौता करके सिर्फ राजनीति की दुकान नहीं चलाई जा सकती और ना ही इसका लंबे समय तक समर्थन किया जा सकता है. ऐसे में देश की जनता को जागना होगा कि सिर्फ जातिवाद या क्षेत्रवाद फैलाने के लिए और राजनीति की दुकान चलाने के लिए किसी का समर्थन ना करें.

  • कोई नेता जब क्षेत्रीय दल को छोड़ राष्ट्रीय दल में चला जाता है तो वो खुद को भी राष्ट्रिय नेता मानने लगता है।
    जबकि नेता दल के आकार से नही बल्कि व्यक्तित्व से बनता है।
    कर्म अच्छे होंगे तो लोग आपको महत्व देंगे वरना जनता मालिक है और ये मालिक धूल चटाने में भी वक्त नही लगाती। https://t.co/WoLrCbblRw

    — Nikhil Mandal (@nikhilmandalJDU) January 14, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

दरअसल, 12 जनवरी को जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा सोशल मीडिया पर बिहार बीजेपी अध्यक्ष को टैग कर कुछ सवाल पूछे थे. जेडीयू प्रवक्ता के बयान पर संजय जायसवाल भड़क गए और उन्होंने सोशल मीडिया पर लंबा-चौड़ा पोस्ट लिखकर सीएम नीतीश को भी लपेट लिया. अभिषेक झा ने ट्वीट कर लिखा था "बिहार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष @sanjayjaiswalMP जी, आप आत्मचिंतन कीजिए और अपने गिरेबान में झांक कर देखिए कि बीते एक वर्ष में आपने एनडीए गठबंधन के खिलाफ कितने बयान दिए हैं?

इसके बाद अभिषेक झा लिखते हैं कि "यदि स्मरण ना हो तो सभी बयानों का संकलन करके आपको भेज सकता हूं. शराबबंदी सरकार की नीति रही है लेकिन जहरीली शराब पीने से आपके लोकसभा क्षेत्र में जब कुछ लोगों की मृत्यु हुई थी, आप संवेदना व्यक्त करने और सांत्वना स्वरूप पैसे बांटने गए थे. एनडीए सरकार की नीति के हिसाब से आपका यह आचरण सही था या गलत?

फिलहाल बिहार के दोनों सत्ताधारी दल BJP-JDU आमने-सामने हैं. दोनों ही पार्टियां फ्रंट फुट पर बैटिंग कर रही है. समझ में नहीं आ रहा है कि गेंदबाज कौन है, जो दोनों को खेला रहा है. लेकिन परदे के पीछे कोई तो है, जो दोनों से कह रहा है आगे बढ़ो और चौके-छक्के लगाओ. यही कारण है कि दोनों पार्टियां एक-दूसरे को नीचा दिखाने के लिए कोई भी मौका छोड़ नहीं रही है.

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