पटना: बिहार में जातीय जनगणना (Caste Census) पर घमासान मचा है. प्रदेश से सभी दलों का एक प्रतिनिधिमंडल इस मुद्दे पर 23 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से मिल रहा है. बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) शुरू से ही इस पर केन्द्र और बिहार सरकार को घेर रहे हैं.
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नेता प्रतिपक्ष ने कहा था कि कुत्ता-बिल्ली, हाथी-घोड़ा, शेर-सियार, साइकिल-स्कूटर सबकी गिनती होती है. कौन किस धर्म का है, उस धर्म की संख्या कितनी है, इसकी गिनती होती है लेकिन उस धर्म में निहित वंचित, उपेक्षित और पिछड़े समूहों की संख्या गिनने में क्या परेशानी है? उनकी जनगणना के लिए फॉर्म में महज एक कॉलम ही तो जोड़ना है.
उन्होंने कहा कि जब तक पिछड़े वर्गों की वास्तविक संख्या ज्ञात नहीं होगी, तो उनके कल्यानार्थ योजनाएं कैसे बनेगी? उनकी शैक्षणिक, सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक बेहतरी कैसे होगी? उनकी संख्या के अनुपात में बजट कैसे आवंटित होगा? वो कौन लोग हैं जो नहीं चाहते कि देश के संसाधनों में से सबको बराबर का हिस्सा मिले?
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तेजस्वी ने कहा था कि जातीय जनगणना के लिए हमारे दल ने लंबी लड़ाई लड़ी है और लड़ते रहेंगे. यह देश के बहुसंख्यक यानि लगभग 65 फीसदी से अधिक वंचित, उपेक्षित, उपहासित, प्रताड़ित वर्गों के वर्तमान और भविष्य से जुड़ा मुद्दा है. बीजेपी सरकार पिछड़े वर्गों के हिंदुओं को क्यों नहीं गिनना चाहती? क्या वो हिंदू नहीं हैं?
तेजस्वी साथ ही कहा कि बिहार के दोनों सदनों में बीजेपी जातीय जनगणना का समर्थन करती है, लेकिन संसद में बिहार के ही कठपुतली मात्र पिछड़े वर्ग के राज्यमंत्री से जातीय जनगणना नहीं कराने का एलान कराती है. केंद्र सरकार OBC की जनगणना क्यों नहीं कराना चाहती? BJP को पिछड़े/अतिपिछड़े वर्गों से इतनी नफरत क्यों है?
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बता दें कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में बताया था कि 2021 की जनगणना के साथ केंद्र सरकार केवल एससी-एसटी वर्ग के लोगों की गिनती कराने के पक्ष में है. केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद बिहार में सियासत तेज है. हालांकि बीजेपी को छोड़ बिहार की सभी पार्टियों ने जातीय जनगणना का खुलकर समर्थन किया है.