पटना: बिहार का मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामला करीब दो साल पहले सामने आया था. अब इस मामले में कोर्ट का फैसला आया है. कोर्ट ने मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर समेत 19 लोगों को कोर्ट ने दोषी करार दिया है. कोर्ट ने सजा पर सुनवाई के लिए 28 जनवरी की तारीख तय की है. ये पूरा मामला बिहार के शेल्टर होम में नाबालिग बच्चियों और युवतियों से दुष्कर्म से जुड़ा है.
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में फैसला आने के बाद बिहार में सियासी बयानबाजी तेज हो गई है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा है कि हमने लगातार इस मामले को सीबीआई को सौंपने की मांग की थी. हमारी वजह से ही सरकार इस मामले को सीबीआई को सौंपने के लिए मजबूर हुई. आज जो फैसला आया है वो वाकई हमारी सफलता है. हमारी वजह से ही ब्रजेश ठाकुर जैसे लोग सलाखों के पीछे हैं. उन्होंने कहा कि अब इनको संरक्षण देने वालों के सलाखों के पीछे जाने की बारी है.
'मूंछ वाले' और 'तोंद वाले' अंकल को भी हम नहीं छोड़ेंगें'
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि इस मामले में हम किसी भी दोषी को नहीं बख्शेंगे. हम ऊपरी अदालत तक जाएंगे. लेकिन उन 'मूंछ वाले' और 'तोंद वाले' अंकल को भी हम नहीं छोड़ेंगें. जहां तक जाना होगा हम कोशिश करेंगे और जो भी ब्रजेश ठाकुर को संरक्षण दे रहे थे चाहे वह बड़े अधिकारी क्यों न हो उन्हें हम सजा दिलवाएंगे. हमारी लड़ाई और आगे बढ़ती चली जाएगी.
मुख्य आरोपियों को बचाने का आरोप
दरअसल सीबीआई जांच के दौरान पीड़ित बच्चियों ने अपने बयान में कई बार कथित तौर पर एक मूंछ वाले अंकल और एक तोंद वाले अंकल का जिक्र किया था. आरजेडी मामले की शुरुआत से ही लगातार नीतीश सरकार पर ऐसे लोगों बचाने का आरोप लगा रही है. इस मामले में 20 में से 19 लोगों को दोषी करार दिया गया है. दिल्ली की साकेत कोर्ट दोषियों को 28 जनवरी को फैसला सुनाएगा.
दिल्ली की साकेत कोर्ट ने मुजफ्फरपुर जिला स्थित एक शेल्टर होम में लड़कियों के साथ कथित यौन शोषण मामले में यह फैसला सुनाया है. ठाकुर सेवा संकल्प एवं विकास समिति नामक एनजीओ के मालिक हैं.
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम: जानें अब तक क्या-क्या हुआ
- फरवरी 2018: पुणे की टीआईएसएस की टीम ने बालिका गृह के सोशल ऑडिट रिपोर्ट में मुजफ्फरपुर स्थित बालिका गृह से 21 लड़कियों के साथ यौन शोषण का खुलासा किया था.
- 26 मई, 2018: रिपोर्ट को बिहार के समाज कल्याण विभाग के निदेशक को भेज दिया गया.
- 31 मई, 2018: रिपोर्ट के आधार पर आरोपों की जांच के लिए एक विशेष जांच टीम बनाई गई. और मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर सहित 11 लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई.
- 14 जून, 2018: बिहार के महिला और बाल विकास मंत्रालय ने मुजफ्फरपुर आश्रय गृह को सील किया और 46 नाबालिग लड़कियों शिफ्ट कर दिया.
- 26 जुलाई, 2018: बिहार सरकार ने मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश की.
- इसके बाद पुलिस की जांच में यह सामने आया था कि शेल्टर होम से छह लड़कियां गायब हुई हैं.
- पुलिस पूछताछ में पीड़िताओं ने यह जानकारी दी. वर्ष 2013 से 2018 के बीच ये लड़कियां गायब हुई थीं.
- राज्य के समाज कल्याण विभाग ने प्राथमिकी दर्ज कराई. पहले तो मामले में दस लोगों की गिरफ्तारी हुई.
- 1 अगस्त, 2018: बिहार के राज्यपाल सत्य पाल मलिक ने पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, सीएम नीतीश कुमार और केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को राज्य भर में आश्रय घरों की निगरानी के लिए लिखा.
- मामले को तत्काल निपटाने के लिए फास्ट-ट्रैक कोर्ट का सुझाव दिया. और TISS की रिपोर्ट की विस्तृत जांच करने के लिए भी कहा.
- 2 अगस्त, 2018: सुप्रीम कोर्ट ने मामले को लेकर केंद्र और बिहार दोनों सरकारों से जवाब मांगा. कोर्ट सीबीआई को आश्रय गृह की फॉरेंसिक जांच कराने का भी निर्देश दिया.
- गायब हुई लड़कियों का कोई पुलिस रिकॉर्ड नहीं था. पूरा मामला सीबीआई के पास पहुंचा.
- सीबीआई जांच में एक के बाद एक कई चौंकाने वाले खुलासे हुए. सीबीआई जांच में शेल्टर परिसर में हड्डियां बरामद की गईं.
- इस मामले में ब्रजेश ठाकुर समेत 21 लोगों पर सीबीआई ने चार्जशीट दायर की है.
- 7 फरवरी 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले को दिल्ली के साकेत कोर्ट में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था, जिसके बाद ब्रजेश ठाकुर समेत सभी आरोपियों को दिल्ली शिफ्ट किया गया.
- 30 सितंबर 2019: साकेत कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा.
- 12 दिसंबर 2019: कोर्ट ने फैसले की तारीख को आगे 20 जनवरी 2020 तक बढ़ा दिया.