पटना : बिहार में बीपीएससी के माध्यम से दूसरे चरण की शिक्षक बहाली प्रक्रिया जारी है. दूसरे चरण में 70622 पदों पर वैकेंसी निकाली गई है. इसमें स्नातक ग्रेड के कक्षा 6 से 8 के लिए 31982 वैकेंसी है. एक तरफ जहां मुख्यमंत्री ने प्रथम चरण की शिक्षक बहाली के सफल अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देने के दौरान मंच से यह कहा कि दूसरे चरण में 1.20 लाख पदों पर वैकेंसी निकलेगी. दूसरी तरफ वैकेंसी 70000 ही आई है. इस पर शिक्षक संगठनों ने वैकेंसी घोटाला करने का आरोप लगाया है.
शिक्षक संगठनों को बीजेपी का समर्थन : शिक्षक संगठनों के आरोपों का भाजपा नेता भी समर्थन कर रहे हैं. भाजपा एमएलसी जीवन कुमार ने भी शिक्षक बहाली में रिक्ति घोटाला करने का सरकार पर आरोप लगाया है. वहीं बिहार टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश संयोजक राजू सिंह ने कहा कि सरकार शिक्षा विभाग में शिक्षकों की वैकेंसी को भर नहीं रही है, लेकिन वैकेंसी के नाम पर वैकेंसी घोटाला कर रही है. उन्होंने कहा था कि सरकार कह रही थी बड़ी वैकेंसी आएगी, लेकिन कक्षा 6 से 8 में स्नातक ग्रेड के शिक्षकों के लिए महज 31982 वैकेंसी है. यह सरासर वैकेंसी घोटाला है.
"सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 2.63 करोड़ बच्चे विद्यालयों में पढ़ते हैं. इसमें कक्षा 6 से 8 में 98.80 लाख बच्चे पढ़ते हैं. शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत 35 छात्रों पर एक शिक्षक की आवश्यकता है. वर्तमान में कक्षा 6 से 8 में लगभग 45000 शिक्षक कार्यरत है. ऐसे में इस अनुसार वैकेंसी कम से कम 2 लाख से अधिक होनी चाहिए थी." - राजू सिंह, प्रदेश संयोजक, बिहार टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ
'अभी 1.92 लाख शिक्षकों की आवश्यकता' : राजू सिंह ने कहा कि एक और आंकड़े की बात करें तो प्रदेश में सरकारी विद्यालयों की संख्या लगभग 72000 के करीब है. इसमें 32000 कक्षा 6 से 8 के मिडिल स्कूल हैं. अगर सभी विद्यालयों में विषयवार 6 शिक्षकों की भी अगर बात करें तो 1.92 लाख शिक्षकों की आवश्यकता है. अभी लगभग 42 से 45 हजार कार्यरत शिक्षक हैं तो 1.50 लाख अभी भी रिक्तियां हैं. सरकार को दूसरे चरण में कक्षा 6 से 8 के लिए कम से कम 1 लाख से अधिक वैकेंसी निकली चाहिए थी.
सरकार ने जल्दबाजी में निकाली वैकेंसी : राजू सिंह ने कहा कि सरकार एक तरफ कह रही है कि 28600 नियोजित शिक्षक पहले चरण में उत्तीर्ण हुए हैं. ऐसे में वह अपनी जगह छोड़कर नई जगह पर जाते हैं अथवा उसी जगह पर रहते हुए नई जगह को छोड़ते हैं तो भी विद्यालयों में वैकेंसी की संख्या बढ़ेगी. सरकार ने आनन-फानन में यह वैकेंसी लाई है और सरकार को कुछ और इंतजार करना चाहिए था. प्रदेश में b.ed अभ्यर्थियों की संख्या काफी अधिक है जो सीटेट और एसटीईटी भी पास हैं. पढ़े लिखे बेरोजगार योग्य अभ्यार्थियों को मौका मिलनी चाहिए.
'घोषणा 1.20 लाख की और वैकेंसी सिर्फ 70 हजार' :वहीं भाजपा के शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से एमएलसी जीवन कुमार ने कहा कि सरकार के कथनी और उसकी क्रियाकलापों में अंतर दिख रहा है. यह सरासर वैकेंसी घोटाला है. सरकार 1.20 लाख वैकेंसी लाने की बात करती है और विभाग की ओर से महज 70 हजार वैकेंसी आती है और 50000 की वैकेंसी गायब हो जाती है. पहले चरण में भी नोटिफिकेशन के विरुद्ध माध्यमिक और उच्च माध्यमिक में दूसरे प्रदेशों के युवाओं का चयन हुआ है जो आगे चलकर तय है कि हटेंगे ही.
"उन लोगों ने जो छठे चरण में बहाली की थी और 2006 में जो बहाली की थी उसी के कई शिक्षक पहले चरण में सफल हुए और सरकार ने पीठ थपथपायी कि हमने नई नौकरियां दी है. पारदर्शी तरीके से नियमों के अनुसार वैकेंसी पूरी की जाए. विद्यालयों में जो शिक्षकों की वास्तविक वैकेंसी है, उस अनुसार उतने सीटों पर वैकेंसी निकाली जाए. नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मी बनाते हुए सेम ग्रेड में नियोजित शिक्षकों को फॉर्म भरने से वंचित किया जाए. सरकार सिर्फ दिखावे की वैकेंसी न निकाले." - जीवन कुमार, एमएलसी, शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र
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