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सेवाशर्त एक धोखा! बिहार में सरकार के खिलाफ एक बार फिर बड़े आंदोलन की तैयारी में शिक्षक - patna news

शिक्षक नेता बृजनंदन शर्मा ने बयान जारी कर कहा है कि सरकार सभी 7 सूत्री मांगों को हूबहू लागू नहीं करती तो मजबूरन शिक्षकों को सरकार के खिलाफ बड़े आंदोलन का निर्णय लेना पड़ेगा.

शिक्षा मंत्री
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Published : Aug 22, 2020, 3:08 PM IST

पटनाः बिहार के लाखों शिक्षक एक बार फिर उग्र आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं. हाल ही में सरकार के जरिए घोषित सेवा शर्त को नियोजित शिक्षकों के साथ बड़ा धोखा बताते हुए बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति ने सरकार को अल्टीमेटम दिया है.

समिति के संयोजक ब्रजनंदन शर्मा ने कहा कि अगर सरकार ने जल्द सेवा शर्त में बदलाव करते हुए पुराने शिक्षकों की तरह सेवा शर्त लागू नहीं की तो बिहार के शिक्षक बड़े आंदोलन की घोषणा करने को विवश होंगे.

बृजनंदन शर्मा ने जारी किया बयान
बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के राज्य संयोजक एवं बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष वयोवृद्ध शिक्षक नेता बृजनंदन शर्मा ने बयान जारी कर नियोजित शिक्षकों के लिए बनाए गई नई सेवा शर्त को सिरे से खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा कि वर्तमान सेवाशर्त नियोजित शिक्षकों के साथ बिहार सरकार द्वारा किया गया बहुत बड़ा धोखा है.

सरकार ने किया शिक्षकों के साथ धोखा
उन्होंने कहा कि सरकार ने कोविड-19 का हवाला देकर लिखित रूप से मुझसे निवेदन किया था कि जब स्थिति सामान्य होगी तो शिक्षकों को वार्ता के लिए बुलाएंगे. फिलहाल वर्तमान स्थिति में आप हड़ताल को वापस लीजिए सरकार के इसी निवेदन के आलोक में हमने आंदोलन वापस लिया था. स्थिति सामान्य भी हो गई, लेकिन सरकार ने शिक्षकों को वार्ता के लिए नहीं बुलाया. बिना शिक्षकों से वार्ता किए हमारी मांगों के विपरीत पुरानी सेवा शर्त की जगह नई सेवा शर्त लागू करना बिल्कुल गलत है. इससे बिहार के सभी शिक्षकों में आक्रोश व्याप्त है.

शिक्षकों को ग्रेच्युटी जैसे संवैधानिक लाभ नहीं
उन्होंने बिहार सरकार द्वारा जारी सेवा शर्त का विरोध करते हुए कहा कि वर्तमान में जारी सेवा शर्त में बहुत सारी गड़बड़ियां हैं. ना ईपीएफ का लाभ सही तरीके से दिया गया है, न स्थानांतरण की व्यवस्था ही सही की गई है. अर्जित अवकाश 300 दिन के बदले महज 120 दिन दिया गया है.

शिक्षकों को ग्रेच्युटी जैसे अन्य संवैधानिक लाभ से भी वंचित किया गया है. शहरी क्षेत्र में कार्यरत नियोजित शिक्षकों के परिवहन भत्ता भी देने से संबंधित कोई निर्णय नहीं लिया गया है. महिलाओं को शिशु देखभाल के लिए दिए जाने वाले संवैधानिक अधिकारों से वंचित किया गया है. आर्थिक लाभ भी तत्काल प्रभाव से देने के बजाय अप्रैल 2021 से देने की बात कही गई है. जो कहीं से न्याय संगत प्रतीत नहीं है.

सारी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी
ब्रजनंदन शर्मा ने अपने बयान में बिहार सरकार से जल्द सेवा शर्त में संशोधन करते हुए पुराने शिक्षकों की तरह हूबहू सेवा शर्त और अन्य सभी मांगों को लागू करने को कहा है. अगर सरकार सभी 7 सूत्री मांगों को हूबहू लागू नहीं करती तो मजबूरन शिक्षकों को सरकार के खिलाफ बड़े आंदोलन का निर्णय लेना पड़ेगा. जो बिहार के शिक्षा व्यवस्था के लिए हितकर नहीं होगा. जिसकी सारी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी.

पटनाः बिहार के लाखों शिक्षक एक बार फिर उग्र आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं. हाल ही में सरकार के जरिए घोषित सेवा शर्त को नियोजित शिक्षकों के साथ बड़ा धोखा बताते हुए बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति ने सरकार को अल्टीमेटम दिया है.

समिति के संयोजक ब्रजनंदन शर्मा ने कहा कि अगर सरकार ने जल्द सेवा शर्त में बदलाव करते हुए पुराने शिक्षकों की तरह सेवा शर्त लागू नहीं की तो बिहार के शिक्षक बड़े आंदोलन की घोषणा करने को विवश होंगे.

बृजनंदन शर्मा ने जारी किया बयान
बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के राज्य संयोजक एवं बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष वयोवृद्ध शिक्षक नेता बृजनंदन शर्मा ने बयान जारी कर नियोजित शिक्षकों के लिए बनाए गई नई सेवा शर्त को सिरे से खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा कि वर्तमान सेवाशर्त नियोजित शिक्षकों के साथ बिहार सरकार द्वारा किया गया बहुत बड़ा धोखा है.

सरकार ने किया शिक्षकों के साथ धोखा
उन्होंने कहा कि सरकार ने कोविड-19 का हवाला देकर लिखित रूप से मुझसे निवेदन किया था कि जब स्थिति सामान्य होगी तो शिक्षकों को वार्ता के लिए बुलाएंगे. फिलहाल वर्तमान स्थिति में आप हड़ताल को वापस लीजिए सरकार के इसी निवेदन के आलोक में हमने आंदोलन वापस लिया था. स्थिति सामान्य भी हो गई, लेकिन सरकार ने शिक्षकों को वार्ता के लिए नहीं बुलाया. बिना शिक्षकों से वार्ता किए हमारी मांगों के विपरीत पुरानी सेवा शर्त की जगह नई सेवा शर्त लागू करना बिल्कुल गलत है. इससे बिहार के सभी शिक्षकों में आक्रोश व्याप्त है.

शिक्षकों को ग्रेच्युटी जैसे संवैधानिक लाभ नहीं
उन्होंने बिहार सरकार द्वारा जारी सेवा शर्त का विरोध करते हुए कहा कि वर्तमान में जारी सेवा शर्त में बहुत सारी गड़बड़ियां हैं. ना ईपीएफ का लाभ सही तरीके से दिया गया है, न स्थानांतरण की व्यवस्था ही सही की गई है. अर्जित अवकाश 300 दिन के बदले महज 120 दिन दिया गया है.

शिक्षकों को ग्रेच्युटी जैसे अन्य संवैधानिक लाभ से भी वंचित किया गया है. शहरी क्षेत्र में कार्यरत नियोजित शिक्षकों के परिवहन भत्ता भी देने से संबंधित कोई निर्णय नहीं लिया गया है. महिलाओं को शिशु देखभाल के लिए दिए जाने वाले संवैधानिक अधिकारों से वंचित किया गया है. आर्थिक लाभ भी तत्काल प्रभाव से देने के बजाय अप्रैल 2021 से देने की बात कही गई है. जो कहीं से न्याय संगत प्रतीत नहीं है.

सारी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी
ब्रजनंदन शर्मा ने अपने बयान में बिहार सरकार से जल्द सेवा शर्त में संशोधन करते हुए पुराने शिक्षकों की तरह हूबहू सेवा शर्त और अन्य सभी मांगों को लागू करने को कहा है. अगर सरकार सभी 7 सूत्री मांगों को हूबहू लागू नहीं करती तो मजबूरन शिक्षकों को सरकार के खिलाफ बड़े आंदोलन का निर्णय लेना पड़ेगा. जो बिहार के शिक्षा व्यवस्था के लिए हितकर नहीं होगा. जिसकी सारी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी.

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