कानपुर/ पटना: आपने बप्पा के आठ अवतार देखे होंगे..दशावतार देखे होंगे, लेकिन क्या 700 रूपों में गणपति को कहीं विराजते हुए देखा है. अलग-अलग मुद्राओं में विराजे बप्पा को एक साथ देखकर जहां चेहरे पर हल्की मुस्कान तो वहीं हृदय में भक्ति भाव खुद ब खुद जाग उठता है. कहीं प्रसन्न मुद्रा में ढोलक बजाते, कहीं नृत्य करते तो कहीं मोदक खाते...अपने प्यारे गणेश के इतने अलौकिक रूप आखिर किसको न भाएं.
700 अवतारों में विराजते हैं गणेश
यूपी के कानपुर में एक ऐसा घर है, जिसके हर हिस्से में गणपति विभिन्न रूपों में विराजे हैं, लेकिन इसकी स्थापना एक दिन में नहीं हुई, पेशे से शिक्षक विकास श्रीवास्तव के 20 सालों की श्रद्धा और विश्वास का प्रतिफल हैं, प्रथम पूज्य गणेश के एक साथ 700 रूप.
देश के अलग-अलग हिस्सों से लाई गईं हैं ये प्रतिमाएं
विकास हर महीने गणेश जी की 2 प्रतिमाएं घर लेकर आते हैं. उनका कोई मित्र अगर कहीं बाहर जाता है तो वह भी विकास के लिए गणपति प्रतिमा लाना नहीं भूलता. एक साथ विराजे 700 रूपों में परमपूज्य गणेश देश के अलग-अलग हिस्सों से लाए गए हैं. ये प्रतिमाएं मिट्टी, मेटल, संगमरमर और पीओपी से बनी हुई हैं. प्रतिमाओं को घर लाने का ये सिलसिला आज से 20 साल पहले शुरू हुआ था.
ऐसे जागी बप्पा के प्रति अटूट आस्था
विकास बताते हैं कि बचपन में उनके पिता की तबीयत खराब रहती थी, जिसको लेकर वह गणेश जी की पूजा करते थे. इसके बाद उनके पिता जी की तबीयत में काफी आराम मिला, तब से उनका विश्वास और आस्था गणेश जी की के लिए बढ़ गई. तब से वे गणेश जी की मूर्तियां इकट्ठा कर रहे हैं. गणपति के प्रति विकास का यह लगाव जहां उनके समर्पण को दर्शाता है तो दूसरों में भक्ति भावना को भी बढ़ावा देता है.