पटना: राज्य के सरकारी स्कूलों के बच्चे (Children Of Government School) अब शतरंज के जानकार बनेंगे. बच्चे शतरंज के खिलाड़ी बनेंगे. इस खेल के नियम से लेकर उसमें अपनाई जाने वाली चाल, मोहरों की अहमियत और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अब तक हुए ग्रैंडमास्टर की कहानी भी जानेंगे. दरअसल बिहार शिक्षा परियोजना परिषद की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार राज्य के प्रारंभिक कक्षाओं में बच्चों को शतरंज की पढ़ाई के साथ ट्रेनिंग भी दी जाएगी. हालांकि इसके लिए पहले शिक्षकों को ट्रेंड किया (Government Teacher Will Teach Chess To Children) जाएगा. सभी शिक्षक अपने स्कूल में निर्धारित तिथि को शतरंज की पढ़ाई कर आएंगे.
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सरकारी स्कूलों के बच्चे शतरंज के जानकार बनेंगे : मिली जानकारी के अनुसार, इसके लिए पहले चरण में राज्य के 15 जिलों में का चयन किया गया है. जहां बच्चों को पढ़ाई के साथ शतरंज के बारे में जानकारी दी जाएगी. इनमें राजधानी पटना के साथ मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, दरभंगा, रोहतास, लखीसराय, आरा, गया, मधेपुरा, सहरसा, पूर्णिया, कटिहार, बक्सर, सारण और सिवान जिले शामिल हैं.
सरकारी स्कूल के गुरूजी बच्चों को सिखाएंगे शतरंज : पहले चरण में इन सभी 15 जिलों के सभी प्रखंडों से शतरंज में दिलचस्पी रखने वाले 2-2 टीचर्स का सेलेक्शन किया जाएगा. यह चयन डीईओ और डीएसओ मिलकर करेंगे. चयनित शिक्षकों के नाम, स्कूल के नाम और मोबाइल नंबर अखिल भारतीय बिहार शतरंज संघ की तरफ से प्रतिनियुक्त परियोजना निदेशक को भेजा जाएगा. चयनित शिक्षकों को जिला स्तर पर मान्यता प्राप्त प्रशिक्षक ट्रेनिंग देंगे. इसके लिए प्रशिक्षकों को एक दिन के लिए तीन हजार रुपए का मानदेय मिलेगा. प्रारंभिक कक्षाओं में बच्चों को शतरंज की पढ़ाई के साथ अभ्यास कराया जाएगा.