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शिक्षक अभ्यर्थियों ने नए आदेश पर उठाए सवाल, कहा- DEO-DPO के भरोसे नहीं हो सकती सही तरीके से जांच - शिक्षा विभाग के आदेश पर शिक्षक अभ्यर्थियों ने सवाल उठाया

शिक्षा विभाग (Education Department) ने तमाम जिला शिक्षा पदाधिकारियों के लिए एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है. जिसके तहत सभी जिलों को अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्रों (Certificates) की शीघ्र जांच करने का निर्देश दिया गया है. अब इसको लेकर शिक्षक अभ्यर्थियों ने वाल उठाए हैं.

अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट की जांच की व्यवस्था
अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट की जांच की व्यवस्था
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Published : Sep 23, 2021, 6:36 PM IST

पटना: छठे चरण के शिक्षक नियोजन (Shikshak Niyojan) में चयनित अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट जांच (Certificate Check) का मामला पेचीदा होता जा रहा है. शिक्षा विभाग (Education Department) के आदेश पर अभ्यर्थियों ने सवाल खड़े किए हैं और कहा है कि विभाग ने पहले के अनुभवों से सीख नहीं लिया. वर्ष 2015 से चल रही फर्जी शिक्षकों की जांच अब तक पूरी नहीं हो पाई है और अब सरकार एक बार फिर उसी तरीके से शिक्षक अभ्यर्थियों का मामला उलझाना चाहती है.

ये भी पढ़ें: शिक्षक नियोजन: शिक्षा विभाग का आदेश- 'DEO जल्द पूरी करें अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट की जांच'

दरअसल शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना को जो निर्देश दिया है, उसके मुताबिक छठे चरण के नियोजन से संबंधित अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट की जांच अपने स्तर से करानी है. इसके लिए विशेष दूत के प्रावधान की बात भी कही गई है.

देखें रिपोर्ट

जब से शिक्षा विभाग की तरफ से यह पत्र जारी हुआ है, तब से अभ्यर्थी काफी निराश हैं. शिक्षक अभ्यर्थी पप्पू कुमार ने कहा कि अगर सरकार को जिला शिक्षा पदाधिकारी और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी से ही जांच करवानी थी तो पोर्टल बनाया क्यों गया. पोर्टल पर अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट अपलोड करने की बात क्यों कही गई. पप्पू ने कहा कि इस व्यवस्था से तो 5 साल में भी सर्टिफिकेट की जांच पूरी नहीं होगी. हम लोग कब तक नियुक्ति पत्र का इंतजार करेंगे.

ये भी पढ़ें: टीचर बनाने के लिए अभ्यर्थी से मांगे थे 8 लाख, शिक्षा मंत्री ने किया सस्पेंड

शिक्षक अभ्यर्थी का कहना है कि पहले भी फर्जी शिक्षकों के मामले में सरकार ने कुछ ऐसी ही व्यवस्था की थी, जो पूरी तरह फेल साबित हुई. इसके बाद यह जांच निगरानी को सौंपी गई और निगरानी भी आज तक वह जांच पूरी नहीं कर पाई है. आपको बता दें कि बिहार में करीब एक लाख शिक्षकों के सर्टिफिकेट की जांच निगरानी विभाग कर रहा है. वर्ष 2015 से ही यह जांच चल रही है, जो आज तक पूरी नहीं हो पाई है.

शिक्षक अभ्यर्थी ने कहा कि जो व्यवस्था सरकार ने डीईओ और डीपीओ के जरिए की है, उससे जमकर धांधली होगी और सर्टिफिकेट की जांच सही समय पर कभी पूरी नहीं हो पाएगी. सरकार ने कोई समय भी निर्धारित नहीं किया है. ऐसे में तो हम लोग नियुक्ति पत्र का इंतजार करते रह जाएंगे. उन्होंने सरकार से मांग की है कि शिक्षा विभाग अपने स्तर से ही सर्टिफिकेट जांच की व्यवस्था करे और एक समय सीमा निर्धारित करें, ताकि समय पर और सही तरीके से सर्टिफिकेट की जांच के बाद शिक्षक अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र मिल सके.

पटना: छठे चरण के शिक्षक नियोजन (Shikshak Niyojan) में चयनित अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट जांच (Certificate Check) का मामला पेचीदा होता जा रहा है. शिक्षा विभाग (Education Department) के आदेश पर अभ्यर्थियों ने सवाल खड़े किए हैं और कहा है कि विभाग ने पहले के अनुभवों से सीख नहीं लिया. वर्ष 2015 से चल रही फर्जी शिक्षकों की जांच अब तक पूरी नहीं हो पाई है और अब सरकार एक बार फिर उसी तरीके से शिक्षक अभ्यर्थियों का मामला उलझाना चाहती है.

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दरअसल शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना को जो निर्देश दिया है, उसके मुताबिक छठे चरण के नियोजन से संबंधित अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट की जांच अपने स्तर से करानी है. इसके लिए विशेष दूत के प्रावधान की बात भी कही गई है.

देखें रिपोर्ट

जब से शिक्षा विभाग की तरफ से यह पत्र जारी हुआ है, तब से अभ्यर्थी काफी निराश हैं. शिक्षक अभ्यर्थी पप्पू कुमार ने कहा कि अगर सरकार को जिला शिक्षा पदाधिकारी और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी से ही जांच करवानी थी तो पोर्टल बनाया क्यों गया. पोर्टल पर अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट अपलोड करने की बात क्यों कही गई. पप्पू ने कहा कि इस व्यवस्था से तो 5 साल में भी सर्टिफिकेट की जांच पूरी नहीं होगी. हम लोग कब तक नियुक्ति पत्र का इंतजार करेंगे.

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शिक्षक अभ्यर्थी का कहना है कि पहले भी फर्जी शिक्षकों के मामले में सरकार ने कुछ ऐसी ही व्यवस्था की थी, जो पूरी तरह फेल साबित हुई. इसके बाद यह जांच निगरानी को सौंपी गई और निगरानी भी आज तक वह जांच पूरी नहीं कर पाई है. आपको बता दें कि बिहार में करीब एक लाख शिक्षकों के सर्टिफिकेट की जांच निगरानी विभाग कर रहा है. वर्ष 2015 से ही यह जांच चल रही है, जो आज तक पूरी नहीं हो पाई है.

शिक्षक अभ्यर्थी ने कहा कि जो व्यवस्था सरकार ने डीईओ और डीपीओ के जरिए की है, उससे जमकर धांधली होगी और सर्टिफिकेट की जांच सही समय पर कभी पूरी नहीं हो पाएगी. सरकार ने कोई समय भी निर्धारित नहीं किया है. ऐसे में तो हम लोग नियुक्ति पत्र का इंतजार करते रह जाएंगे. उन्होंने सरकार से मांग की है कि शिक्षा विभाग अपने स्तर से ही सर्टिफिकेट जांच की व्यवस्था करे और एक समय सीमा निर्धारित करें, ताकि समय पर और सही तरीके से सर्टिफिकेट की जांच के बाद शिक्षक अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र मिल सके.

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