पटना: एसटीइटी और टीईटी पास शिक्षक अभ्यर्थी राजनीतिक दलों के रवैए से काफी स्तब्ध हैं. शिक्षक अभ्यर्थियों का कहना है कि राजनीतिक दलों ने शिक्षक अभ्यर्थियों को सिर्फ वोट बैंक के तौर पर देखा है और छला है. शिक्षक अभ्यर्थियों का यह भी कहना है कि नई शिक्षक नियुक्ति नियमावली जब आई तो शिक्षक अभ्यर्थियों ने इसका विरोध दर्ज कराया. तब वामदलों ने उनकी मांगों का समर्थन करते हुए कहा कि वह लोग लड़ाई लड़ेंगे लेकिन हुआ कुछ नहीं और आयोग अब परीक्षा की तिथि घोषणा करने के लिए आतुर हैं.
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शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार: बिहार प्रारंभिक युवा शिक्षक संघ के अध्यक्ष दीपांकर गौरव ने बताया कि बिहार में सरकार शिक्षक और शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ लगातार भेदभाव पूर्ण व्यवहार करती रही है. चाहे सत्ता में शामिल लोग हो अथवा उनके सहयोगी दलों के लोग हों, महागठबंधन सरकार में 7 सहयोगी दल हैं. यह सभी शिक्षक अभ्यर्थियों का साथ देने की बात करते थे. नई शिक्षक नियमावली बाध्यकारी है और शिक्षक अभ्यर्थियों पर एक और परीक्षा थोपी जा रही है.
सरकार में शामिल दलों ने लड़ाई को कमजोर किया:दीपांकर गौरव ने कहा कि सरकार में शामिल पांच दलों के लोग कहते हैं कि नई शिक्षक नियमावली में दोबारा से परीक्षा के विषय पर उन लोगों से कोई मशवरा नहीं लिया गया, यह सिर्फ एक मजाक लग रहा है. महागठबंधन में शामिल तीनों वामदल, कांग्रेस और हम पार्टी ने शिक्षक नियमावली में दोबारा से परीक्षा का विरोध जताया था, लेकिन नियमावली आए 1 महीना से अधिक समय हो गया है और यह राजनीतिक दल इसके विरोध में कुछ नहीं कर रही है.
"बिहार में सरकार शिक्षक और शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ लगातार भेदभाव पूर्ण व्यवहार करती रही है. चाहे सत्ता में शामिल लोग हो अथवा उनके सहयोगी दलों के लोग हों, महागठबंधन सरकार में 7 सहयोगी दल हैं. यह सभी शिक्षक अभ्यर्थियों का साथ देने की बात करते थे. महागठबंधन में शामिल तीनों वामदल, कांग्रेस और हम पार्टी ने शिक्षक नियमावली में दोबारा से परीक्षा का विरोध जताया था, लेकिन नियमावली आए 1 महीना से अधिक समय हो गया है और यह राजनीतिक दल इसके विरोध में कुछ नहीं कर रही है" - दीपांकर गौरव, अध्यक्ष, बिहार प्रारंभिक युवक शिक्षक संघ
माले विधायक ने किया आंदोलन को हाईजैक: दीपंकर गौरव ने कहा कि सीपीआईएमएल के विधायक संदीप सौरव ने शिक्षक अभ्यर्थियों के आंदोलन को हाईजैक करने का काम किया है. उन्होंने तमाम अभ्यर्थियों के संघ को बुलाकर कहा कि वह इसका विरोध करेंगे. इसके विरोध में सड़क पर आंदोलन करेंगे और शिक्षक अभ्यर्थियों को अपनी बातों से मना लिया कि लोकतांत्रिक तरीके से विरोध किया जाएगा. लेकिन अब बीपीएससी आतुर है कि जल्द परीक्षा ली जाए और संदीप सौरव कुछ नहीं कर रहे हैं.
कांग्रेस ने कभी नहीं बनाया सरकार पर दबाव: दीपंकर गौरव ने कहा कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने भी नई शिक्षक नियुक्ति नियमावली का विरोध जताया था और सातवें चरण की बहाली शुरू करने की मांग की थी, लेकिन वह भी कुछ नहीं कर रहे हैं और सरकार के निर्णय को मौन सहमति दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब नई शिक्षक नियुक्ति नियमावली आई, तब शिक्षक अभ्यर्थी विरोध में थे और शिक्षक अभ्यर्थी एकजुट होकर लड़ते तो सरकार पर दबाव बन सकता था, लेकिन शिक्षक अभ्यर्थी राजनीतिक दलों के झांसे में आ गए.
कांग्रेस और माले ने बातों में फंसा कर रोका: राजनीतिक दलों ने चरणबद्ध तरीके से समय-समय पर विरोध दर्ज कराने का आश्वासन दिया और अब तक कुछ नहीं किया और इसी बीच बीपीएससी ने बहाली को लेकर परीक्षा की संभावित तिथि की भी घोषणा कर दी है. वह भाकपा माले के विधायकों और कांग्रेस के नेताओं से पूछना चाहेंगे कि आखिर कब वह शिक्षक अभ्यर्थियों के हक में सरकार के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराएंगे. उन्होंने कहा कि अगर वामदल और कांग्रेस के विधायक की मंशा होती शिक्षक अभ्यर्थियों के हित में लड़ाई लड़ने की, तो वह लड़ाई की शुरुआत कर दिए होते.
सरकार में आते तेजस्वी यादव के सुर बदले: दीपांकर गौरव ने कहा कि कांग्रेस और वामदल के दबाव से अबतक सरकार को निर्णय बदलना पड़ गया होता, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं है. स्थिति साफ नजर आ रही है कि कांग्रेस और वाम दल के लोग शिक्षक अभ्यर्थियों की लड़ाई लड़ना ही नहीं चाहते हैं और शिक्षक अभ्यर्थियों के आंदोलन को कमजोर करने की मंशा रखते हैं. तेजस्वी यादव एनडीए सरकार के दौरान उन लोगों के आंदोलन में शामिल होते थे और कहते थे सातवें चरण की बहाली जल्द होनी चाहिए. उन लोगों को विद्यालय में सीधे नियुक्त करना चाहिए, लेकिन अब वह परीक्षा पर परीक्षा फिर परीक्षा लेने को आतुर हैं.
महागठबंधन के पांच दल सातवें चरण के बहाली के समर्थन में: एसटीइटी उत्तीर्ण शिक्षक अभ्यर्थी संघ के सचिव अभिषेक कुमार झा ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते हैं कि महागठबंधन की सरकार है और महागठबंधन में शामिल साथ दोनों में पांच दलों के लोग कह रहे हैं कि सातवें चरण की शिक्षक बहाली होनी चाहिए और शिक्षक अभ्यर्थियों को एक और परीक्षा के लिए बाध्य करना गलत है तो फिर दो दल जदयू और राजद मिलकर जिद पर क्यों अड़े हुए हैं. परीक्षा क्वालीफाई करने के बावजूद शॉर्ट नोटिस में अचानक से एक और परीक्षा का निर्णय कर देते हैं.
सरकार के लिए अंजाम होगा बुरा: अभिषेक ने कहा सभी शिक्षक अभ्यर्थी नई शिक्षक नियुक्ति नियमावली को लेकर नाखुश हैं. आप अपने स्वभाव और नियम में परिवर्तन लाइए और सातवें चरण की शिक्षक नियुक्ति प्रारंभ कीजिए नहीं तो सरकार के लिए अंजाम बुरा होगा. बीपीएससी से परीक्षा लेनी है तो अगली बार से बीपीएससी के माध्यम से शिक्षक नियुक्त किए जाएं, लेकिन जो सातवें चरण की बहाली का इंतजार कर रहे हैं और इसके लिए सीटेट और बीटेट पास कर चुके हैं. उन्हें सीधे स्कूलों में भेजा जाए. 6461 विद्यालयों में एक भी हाईस्कूल और प्लस 2 शिक्षक नहीं हैं और सरकार चाह रही है कि शिक्षक अभ्यर्थी एक बार फिर से एग्जाम दें.
सरकार गारंटी दे दोबारा परीक्षा नहीं होगी: अभिषेक कुमार झा ने कहा कि शिक्षक अभ्यर्थी परीक्षा देने से नहीं डरते, लेकिन सरकार पहले इस बात की गारंटी दे कि यह परीक्षा आखिरी परीक्षा होगी और इसके बाद कोई परीक्षा नहीं ली जाएगी. क्या गारंटी है कि दोबारा से फिर परीक्षा का कोई लोचा नहीं होगा. शिक्षक अभ्यर्थी बार-बार एग्जाम देकर थक चुके हैं. परीक्षा देकर शिक्षक बनने के लिए क्वालीफाई कर जाते हैं और स्कूल में जॉइनिंग का इंतजार रहता है. इसी बीच अचानक से सरकार निर्णय ले लेती है कि अब फिर से शिक्षक अभ्यर्थियों को शिक्षक बनने के लिए परीक्षा पास करनी होगी.
कम से कम छह माह तैयारी का दे समया: अभिषेक ने कहा कि यह भी तो जरूरी नहीं है कि बीपीएससी से जो एग्जाम ली जा रही है, सरकार इसे आखिरी परीक्षा माने और शिक्षकों को दोबारा परीक्षा नहीं देनी पड़े. सरकार ने 10 अप्रैल से शिक्षक अभ्यर्थियों को बेचैन कर दिया कि अब परीक्षा ली जाएगी, तो तब परीक्षा ली जाएगी. अभी जानकारी मिली है कि अगस्त में आयोग ने परीक्षा की संभावित तिथि जारी कर दी है. वह लोग आयोग के अध्यक्ष से अपील करेंगे कि शिक्षक भर्ती परीक्षा से डरते नहीं है, लेकिन परीक्षा लेने से पहले कम से कम अभ्यर्थियों को 6 माह की तैयारी करने का समय दें.
सरकार की मंशा शिक्षा बहाली की नहीं: अगर सरकार शिक्षक अभ्यर्थियों को 6 माह की तैयारी का समय नहीं देती है, तो साफ है कि सरकार की मंशा ही नहीं है कि स्कूलों में शिक्षक बहाल की जाए और सरकार चाहती है कि शिक्षक अभ्यर्थी फेल हो जाए और स्कूलों में शिक्षकों की कमी बरकरार रहे. ताकि दोबारा से फिर से रोजगार देने के नाम पर उसे भुना लिया जाए. लेकिन सरकार सचेत हो जाए. शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ इस प्रकार क्रूर मजाक सरकार के लिए भारी पड़ेगा और 2024 और 2025 के चुनाव में ज्यादा समय नहीं है और सरकार को शिक्षक अभ्यर्थियों की ताकत का अंदाजा भी लग जाएगा.
"सरकार की मंशा ही नहीं है कि स्कूलों में शिक्षक बहाल की जाए और सरकार चाहती है कि शिक्षक अभ्यर्थी फेल हो जाए और स्कूलों में शिक्षकों की कमी बरकरार रहे. ताकि दोबारा से फिर से रोजगार देने के नाम पर उसे भुना लिया जाए. लेकिन सरकार सचेत हो जाए. शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ इस प्रकार क्रूर मजाक सरकार के लिए भारी पड़ेगा" - अभिषेक कुमार झा, सचिव, एसटीइटी उत्तीर्ण शिक्षक अभ्यर्थी संघ