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बिहार के सभी 149 ITI को टाटा टेक्नोलॉजी बनाएगी सेंटर ऑफ एक्सिलेंस - मंत्री जिवेश कुमार

बिहार के सभी 149 आईटीआई में सेंटर ऑफ एक्सिलेंस बनाया जाएगा. प्रथम चरण में 60 आईटीआई को चयनित किया गया है. सेंटर ऑफ एक्सिलेंस बनाए जाने के साथ ही एडवांस टेक्नोलॉजी में मशीन लर्निंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (प्वज्), ग्राफिक डिजाईन, रोबोटिक मेंटेनेन्स, इलेक्ट्रिकल इत्यादि की तकनीकों में मशीनें लगाकर इंडस्ट्री के सहयोग से राज्य के आईटीआई को और उन्नत बनाया जाएगा.

Nitish kumar
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
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Published : Feb 18, 2021, 11:05 PM IST

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष एक अणे मार्ग स्थित संकल्प में श्रम संसाधन विभाग ने प्रस्तुतिकरण दिया, जिसमें राज्य के सभी 149 आईटीआई में सेंटर ऑफ एक्सिलेंस स्थापित करने संबंधी विस्तृत जानकारी दी गई.

यह भी पढ़ें- बिहार बजट 2021-22: पिछले साल खर्च हुए आधा, इस बार उम्मीदें ज्यादा

श्रम संसाधन विभाग के प्रधान सचिव मिहिर कुमार सिंह, टाटा टेक्नोलॉजी के उपाध्यक्ष सुशील कुमार और ग्लोबल एजुकेशन निदेशक पुष्करराज कॉलगुड ने प्रस्तुतीकरण में बताया कि बिहार के सभी 149 आईटीआई में सेंटर ऑफ एक्सिलेंस बनाया जाएगा. इसके प्रथम चरण में 60 आईटीआई को चयनित किया गया है. सेंटर ऑफ एक्सिलेंस बनाए जाने के साथ ही एडवांस टेक्नोलॉजी में मशीन लर्निंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (प्वज्), ग्राफिक डिजाईन, रोबोटिक मेंटेनेन्स, इलेक्ट्रिकल इत्यादि की तकनीकों में मशीनें लगाकर इंडस्ट्री के सहयोग से राज्य के आईटीआई को और उन्नत बनाया जाएगा.

बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी आईटीआई संस्थानों में ऑनलाइन ट्रेनिंग के साथ-साथ फिजिकल ट्रेनिंग भी कराएं. जिन आईटीआई भवनों का निर्माण अभी पूरा नहीं हुआ है उन्हें जल्द पूरा करें और उनमें संस्थान को शिफ्ट करें. जरूरत के मुताबिक ट्रेनरों की संख्या बढ़ाएं. नई टेक्नोलॉजी सीखने से छात्रों को बेहतर रोजगार मिल सकेगा साथ ही उद्योग क्षेत्र का भी विकास होगा.

60 आईटीआई पर 2,188 करोड़ खर्च करेगी सरकार
श्रम संसाधन विभाग के मंत्री जिवेश कुमार ने बताया कि सरकार इंडस्ट्री 4.0 के तहत प्रथम चरण में राज्य के 60 आईटीआई को उन्नत बनाने का काम मार्च 2022 तक पूरा कर लेगी. प्रत्येक वर्ष इसमें 15 हजार बच्चों को प्रशिक्षण दिया जा सकेगा. प्रदेश के युवा अपने कौशल का विकास कर अपने लिए रोजगार और स्वरोजगार, देश और विदेश में असानी से प्राप्त कर सकेंगे. इसे ध्यान में रखते हुए प्रदेश के युवाओं को विश्व स्तरीय सुविधा दिए जाने के लिए कौशल विकास केन्द्रों का आधुनिकीकरण किया जा रहा है.

श्रम संसाधन विभाग के प्रधान सचिव मिहिर कुमार सिंह ने बताया कि बिहार के आईटीआई को उद्योगों के बदलते परिवेश को देखते हुए नई तकनीकों से लैस किया जाएगा ताकि बिहार के युवा तकनीकी प्रशिक्षण के बाद सीधे उद्योगों की आवश्यकताओं को पूरा कर सकें. योजना के तहत प्रथम चरण में बिहार सरकार के 60 आईटीआई पर 2,188 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. इसमें से 88 प्रतिशत राशि टाटा टेक्नोलॉजी द्वारा जबकि बिहार सरकार द्वारा शेष 12 प्रतिशत राशि व्यय की जाएगी.

प्रत्येक आईटीआई में 1000 स्क्वायर फिट जगह भी उपलब्ध कराई जाएगी. प्रत्येक आईटीआई में 36.48 करोड़ रुपए के औसतन व्यय से उन्हें सेंटर ऑफ एक्सिलेंस बनाया जाएगा. इसे हब एंड स्पोक मॉडल के आधार पर स्थापित किया जाएगा. यहां इलेक्ट्रिक वाहन प्रशिक्षण, आईओटी और डिजिटल इंस्ट्रूमेंटेशन, मशीनिंग और विनिर्माण एडवाइजर, आर्क वेल्डिंग के साथ औद्योगिक रोबोटिक्स, आईटी और डिजाइन, सभी प्रकार की मरम्मत और रखरखाव और आधुनिक प्लम्बिंग में काम किया जाएगा.

प्राइमरी पाटर्नर के रूप में काम करेगी टाटा टेक
इस पूरे प्रोग्राम में टाटा टेक प्रथम चरण में 60 आईटीआई के साथ प्राइमरी पाटर्नर के रूप में भी काम करेगी, जिसको देश के बड़े उद्योगों सहित विश्व की नामचीन कंपनियों का सहयोग प्राप्त है. इसलिए प्रोजेक्ट में एक विश्वसनीयता और वृहद अनुभव का समावेश रहेगा. आईटीआई अपग्रेडेशन के तहत टाटा टेक सभी ग्लोबल औद्योगिक पाटर्नरों को एक साथ लाएगी. प्रोजेक्ट के लिए एक बेसलाईन अध्ययन तैयार करेगी और फिजिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं उपलब्ध औद्योगिक परिवेश के आलोक में प्रचलित उद्योग को मूल्यांकन की आवश्यकता के अनुरूप तैयार करेगी. अध्ययन पूर्ण होने के पश्चात् ले आउट ड्राईंग तैयार किया जाएगा.

टाटा टेक सभी आईटीआई में अपने पर्यवेक्षण में यह काम कराएगी और विभिन्न मशीनों का इन्स्टॉलेशन भी किया जाएगा. टाटा टेक सभी आईटीआई को ट्रेनर के साथ सहयोग करेगी और नये अपग्रेड टूल्स मशीनरी एवं पाठ्यक्रम बनाने में भी सहायता देगी. प्रथम चरण के लिए चयनित आईटीआई को टाटा टेक 120 ट्रेनर भी अपने एवं पाटर्नर इंडस्ट्री के साथ मिलकर उपलब्ध कराएगी. टाटा टेक नोडल सेन्टर पर 20 प्रशिक्षित प्रशिक्षकों को भी स्थापित करेगी. इनके द्वारा विषय आधारित इंडस्ट्री एक्सपर्ट के माध्यम से नियमित एवं समयबद्ध रूप से पर्यवेक्षण कराया जाएगा. जिन छात्रों को इस कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रशिक्षण दिया जाएगा, उन्हें रोजगार देने में चयनित पार्टनर इंडस्ट्री द्वारा प्राथमिकता दी जाएगी. योजना के प्रथम चरण को मार्च 2022 तक पूर्ण कर लिया जाएगा.

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष एक अणे मार्ग स्थित संकल्प में श्रम संसाधन विभाग ने प्रस्तुतिकरण दिया, जिसमें राज्य के सभी 149 आईटीआई में सेंटर ऑफ एक्सिलेंस स्थापित करने संबंधी विस्तृत जानकारी दी गई.

यह भी पढ़ें- बिहार बजट 2021-22: पिछले साल खर्च हुए आधा, इस बार उम्मीदें ज्यादा

श्रम संसाधन विभाग के प्रधान सचिव मिहिर कुमार सिंह, टाटा टेक्नोलॉजी के उपाध्यक्ष सुशील कुमार और ग्लोबल एजुकेशन निदेशक पुष्करराज कॉलगुड ने प्रस्तुतीकरण में बताया कि बिहार के सभी 149 आईटीआई में सेंटर ऑफ एक्सिलेंस बनाया जाएगा. इसके प्रथम चरण में 60 आईटीआई को चयनित किया गया है. सेंटर ऑफ एक्सिलेंस बनाए जाने के साथ ही एडवांस टेक्नोलॉजी में मशीन लर्निंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (प्वज्), ग्राफिक डिजाईन, रोबोटिक मेंटेनेन्स, इलेक्ट्रिकल इत्यादि की तकनीकों में मशीनें लगाकर इंडस्ट्री के सहयोग से राज्य के आईटीआई को और उन्नत बनाया जाएगा.

बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी आईटीआई संस्थानों में ऑनलाइन ट्रेनिंग के साथ-साथ फिजिकल ट्रेनिंग भी कराएं. जिन आईटीआई भवनों का निर्माण अभी पूरा नहीं हुआ है उन्हें जल्द पूरा करें और उनमें संस्थान को शिफ्ट करें. जरूरत के मुताबिक ट्रेनरों की संख्या बढ़ाएं. नई टेक्नोलॉजी सीखने से छात्रों को बेहतर रोजगार मिल सकेगा साथ ही उद्योग क्षेत्र का भी विकास होगा.

60 आईटीआई पर 2,188 करोड़ खर्च करेगी सरकार
श्रम संसाधन विभाग के मंत्री जिवेश कुमार ने बताया कि सरकार इंडस्ट्री 4.0 के तहत प्रथम चरण में राज्य के 60 आईटीआई को उन्नत बनाने का काम मार्च 2022 तक पूरा कर लेगी. प्रत्येक वर्ष इसमें 15 हजार बच्चों को प्रशिक्षण दिया जा सकेगा. प्रदेश के युवा अपने कौशल का विकास कर अपने लिए रोजगार और स्वरोजगार, देश और विदेश में असानी से प्राप्त कर सकेंगे. इसे ध्यान में रखते हुए प्रदेश के युवाओं को विश्व स्तरीय सुविधा दिए जाने के लिए कौशल विकास केन्द्रों का आधुनिकीकरण किया जा रहा है.

श्रम संसाधन विभाग के प्रधान सचिव मिहिर कुमार सिंह ने बताया कि बिहार के आईटीआई को उद्योगों के बदलते परिवेश को देखते हुए नई तकनीकों से लैस किया जाएगा ताकि बिहार के युवा तकनीकी प्रशिक्षण के बाद सीधे उद्योगों की आवश्यकताओं को पूरा कर सकें. योजना के तहत प्रथम चरण में बिहार सरकार के 60 आईटीआई पर 2,188 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. इसमें से 88 प्रतिशत राशि टाटा टेक्नोलॉजी द्वारा जबकि बिहार सरकार द्वारा शेष 12 प्रतिशत राशि व्यय की जाएगी.

प्रत्येक आईटीआई में 1000 स्क्वायर फिट जगह भी उपलब्ध कराई जाएगी. प्रत्येक आईटीआई में 36.48 करोड़ रुपए के औसतन व्यय से उन्हें सेंटर ऑफ एक्सिलेंस बनाया जाएगा. इसे हब एंड स्पोक मॉडल के आधार पर स्थापित किया जाएगा. यहां इलेक्ट्रिक वाहन प्रशिक्षण, आईओटी और डिजिटल इंस्ट्रूमेंटेशन, मशीनिंग और विनिर्माण एडवाइजर, आर्क वेल्डिंग के साथ औद्योगिक रोबोटिक्स, आईटी और डिजाइन, सभी प्रकार की मरम्मत और रखरखाव और आधुनिक प्लम्बिंग में काम किया जाएगा.

प्राइमरी पाटर्नर के रूप में काम करेगी टाटा टेक
इस पूरे प्रोग्राम में टाटा टेक प्रथम चरण में 60 आईटीआई के साथ प्राइमरी पाटर्नर के रूप में भी काम करेगी, जिसको देश के बड़े उद्योगों सहित विश्व की नामचीन कंपनियों का सहयोग प्राप्त है. इसलिए प्रोजेक्ट में एक विश्वसनीयता और वृहद अनुभव का समावेश रहेगा. आईटीआई अपग्रेडेशन के तहत टाटा टेक सभी ग्लोबल औद्योगिक पाटर्नरों को एक साथ लाएगी. प्रोजेक्ट के लिए एक बेसलाईन अध्ययन तैयार करेगी और फिजिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं उपलब्ध औद्योगिक परिवेश के आलोक में प्रचलित उद्योग को मूल्यांकन की आवश्यकता के अनुरूप तैयार करेगी. अध्ययन पूर्ण होने के पश्चात् ले आउट ड्राईंग तैयार किया जाएगा.

टाटा टेक सभी आईटीआई में अपने पर्यवेक्षण में यह काम कराएगी और विभिन्न मशीनों का इन्स्टॉलेशन भी किया जाएगा. टाटा टेक सभी आईटीआई को ट्रेनर के साथ सहयोग करेगी और नये अपग्रेड टूल्स मशीनरी एवं पाठ्यक्रम बनाने में भी सहायता देगी. प्रथम चरण के लिए चयनित आईटीआई को टाटा टेक 120 ट्रेनर भी अपने एवं पाटर्नर इंडस्ट्री के साथ मिलकर उपलब्ध कराएगी. टाटा टेक नोडल सेन्टर पर 20 प्रशिक्षित प्रशिक्षकों को भी स्थापित करेगी. इनके द्वारा विषय आधारित इंडस्ट्री एक्सपर्ट के माध्यम से नियमित एवं समयबद्ध रूप से पर्यवेक्षण कराया जाएगा. जिन छात्रों को इस कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रशिक्षण दिया जाएगा, उन्हें रोजगार देने में चयनित पार्टनर इंडस्ट्री द्वारा प्राथमिकता दी जाएगी. योजना के प्रथम चरण को मार्च 2022 तक पूर्ण कर लिया जाएगा.

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