पटनाः केंद्र सरकार ने किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है. बिहार जैसे कृषि प्रधान राज्य में भी किसान बिहार सरकार की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं. राज्य में धान और गेहूं क्रय की नीति तो स्पष्ट है. लेकिन दाल और मक्के की खरीद की व्यवस्था सरकार अब तक नहीं कर सकी है.
2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य
देश के कुछ हिस्सों में किसान अपनी समस्याओं को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. बिहार की बड़ी आबादी कृषि पर निर्भर है. केंद्र सरकार ने भी 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है. लेकिन बिहार सरकार के तत्परता के बगैर शासन करना संभव नहीं होगा. राज्य में धान और गेहूं क्रय को लेकर सरकार की नीति स्पष्ट तो है लेकिन लाभ बिचौलिए ले जाते हैं.
'दाल और मक्के की खरीद पर नीति बनाए सरकार'
किसान प्रणय शंकर कांत का कहना है कि धान और गेहूं तो हम पैक्स के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेच लेते हैं. लेकिन दाल और मक्के को लेकर काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अगर धान और गेहूं जल्दबाजी में बेचना हो तो उसका फायदा भी बिचौलिए ले जाते हैं.
'सरकार को किसानों की चिंता नहीं है. मोकामा के टाल क्षेत्र में बड़े पैमाने पर दाल का उत्पादन होता है. लेकिन उन्हीं इलाकों के किसानों की चिंता सरकार को नहीं है और लाभ बिचौलिए ले जाते हैं'- मदन प्रसाद, राजद नेता
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'बिचौलियों को नहीं किसानों को मिलेगा लाभ'
इस बार कृषि मंत्री ने स्पष्ट किया है कि लाभ बिचौलियों को नहीं किसानों को मिलेगा. बिहार में दाल और मक्के की खेती भी बड़े पैमाने पर होती है. केंद्र सरकार ने मक्के और दाल की खरीद के लिए स्वीकृति दे दी है. अब बिहार सरकार की पहल से मक्का और दाल भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदे जा सकेंगे.
'इस बार हम 45 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद करेंगे और मार्च के बजाय 31 जनवरी तक ही लक्ष्य को पूरा कर लिया जाएगा. इस बार लाभ किसानों को मिलेगा बिचौलियों की भूमिका को सीमित किया जाएगा. 800 करोड़ रुपये हमने टैक्स को निर्गत किया है. मक्का और दाल की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर हो इसके लिए भी हम काम कर रहे हैं'-अमरेंद्र प्रताप सिंह, कृषि मंत्री
'नहीं मिलता दाल का सही समर्थन मूल्य'
बता दें कि बिहार में देश का 10% मक्का उत्पादन होता है. राज्य के अंदर 17 लाख मीट्रिक टन मक्के का उत्पादन होता है. दाल का कटोरा कहे जाने वाले बिहार के मोकामा टाल क्षेत्र में बड़े पैमाने पर दलहन की खेती होती है. मोकामा टाल क्षेत्र में कुल 1,O6,20O हेक्टेयर में दाल की खेती होती है. किसानों का कहना है कि दाल की खेती में जो लागत आती है, उससे काफी कम समर्थन मूल्य सरकार ने तय किए हैं.