पटना :दीपावली को लेकर बाजार में पटाखों के दुकान भर चुके हैं. वहीं लोग दिवाली के मौके पर जमकर आतिशबाजी करने के लिए तैयार हैं. ऐसे में आतिशबाजी के दौरान कुछ सावधानियां बरतनी बेहद जरूरी है. क्योंकि हर बार दीपावली के समय आतिशबाजी के कारण आंख, मुंह, नाक, कान, हाथ इत्यादि को लोग जख्मी कर लेते हैं. दीपावली के अगले रोज अस्पतालों में ऐसे मरीजों की भीड़ रहती है. ऐसे में चिकित्सक से जानिए कि दीपावली में आतिशबाजी करते समय किन बातों का विशेष ख्याल रखना बहुत जरूरी है.
'बड़ों की निगरानी में बच्चे पटाखा जलाएं' :पटना की प्रख्यात नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर निम्मी रानी ने बताया कि अक्सर दीपावली के बाद काफी संख्या में उनके पास ऐसे बच्चे पहुंचते हैं, जो पटाखे की आतिशबाजी में अपनी आंखों को क्षतिग्रस्त कर लेते हैं. रॉकेट से सबसे अधिक आंखों को चोट पहुंचती है. ऐसे में उनका परामर्श होगा कि बच्चे यदि आतिशबाजी कर रहे हैं, तो परिवार के वयस्क उनके साथ अवश्य खड़े रहे. अधिक आवाज वाले पटाखे को फोड़ने से बचे.
"दीपावली रोशनी का त्योहार है, तो रोशनी वाले पटाखे ही इस्तेमाल करें और फुलझड़ी इत्यादि जलाएं और दिवाली सेलिब्रेट करें. कई बार अधिक आवाज वाले पटाखे में बच्चे जैसे ही आग लगाते हैं वह फट जाता है और बच्चों को भगाने का समय नहीं मिलता. इस दौरान पटाखे की चिंगारी से बच्चों की आंखों में चोट लग जाती है और हाथ पैर भी जल जाते हैं." - डाॅ. निम्मी रानी, नेत्र रोग विशेषज्ञ
आंखों का रखें विशेष ध्यान : डॉ निम्मी रानी ने बताया कि आंख शरीर का बहुत सेंसिटिव अंग है इसलिए पटाखा छोड़ने के दौरान यह जरूर ध्यान रखें की उनका आंख सुरक्षित रहे और दूसरे के भी आंख को हानि ना हो. यह ध्यान रखा जाए की बिना अभिभावकों और व्यस्क लोगों की मौजूदगी में बच्चे पटाखे ना छोड़ें. यदि पटाखे की चिंगारी के वजह से किसी की आंख में चोट आई है तो यह ध्यान दें कि वह आंख को मले नहीं.
चोट लगने पर अविलंब ले डाॅक्टर की सलाह : डॉ निम्मी रानी ने बताया कि आंख को साफ पानी से धोएं. आंख में यदि अधिक जलन हो रही है तो बर्फ की सिकाई करें. कपड़े में बर्फ बांधकर आंखों को सेकें. आंखों में एंटीबायोटिक के लिए मॉक्सिफ्लाक्सासिन ग्रुप की ड्रॉप रखें और इसका इस्तेमाल करें. इसके बावजूद यदि प्रॉब्लम अधिक है तो नजदीकी नेत्र रोग विशेषज्ञ के पास जाकर परामर्श लें.
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