पटना : मिशन 2024 के तहत बीजेपी के खिलाफ विपक्षी दलों की एकजुटता को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुहिम चला रहे हैं. वो 4 बार दिल्ली जा चुके हैं, तो वहीं कोलकाता, लखनऊ, ओडिशा, बेंगलुरू, रांची सहित कई स्थानों पर गए हैं. जहां पर उन्होंने विपक्षी नेताओं से मुलाकात की है. पिछले 3 दिनों से दिल्ली में नीतीश कुमार पहले अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की और फिर कांग्रेस के आला नेताओं राहुल गांधी और राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे से भी मिले. विपक्षी दलों की बैठक को लेकर चर्चा करने के बाद पटना लौट चुके हैं. मुख्यमंत्री के लौटने के बाद से विपक्षी दलों की बैठक को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेता और वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी का कहना है कि जल्द ही आप लोगों को इसकी सूचना दी जाएगी. विपक्षी एकजुटता की मुहिम सही दिशा में आगे बढ़ रही है.
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विपक्षी एकजुटता के लिए नीतीश की पहल कारगर? : बिहार में महागठबंधन की सरकार बनाने के बाद पिछले 8 से 9 महीने में मुख्यमंत्री चार बार दिल्ली की यात्रा कर चुके हैं. नीतीश एक बार कोलकाता गए हैं, उसके अलावा लखनऊ, रांची और ओडिशा भी जा चुके हैं. अभी हाल में कर्नाटक कांग्रेस सरकार की शपथ ग्रहण समारोह में गए थे और पिछले 3 दिनों से दिल्ली में ही डेरा डाले हुए थे. जहां एकजुटता की बैठक को लेकर चर्चा की है. उसके बाद पटना लौटे हैं.
''विपक्षी एकजुटता की मुहिम सही दिशा में चल रही है. बिहारियों के लिए यह गौरव की बात है कि हमारे नेता इस मुहिम को आगे बढ़ा रहे हैं. सभी विपक्षी दल के नेता उनको समर्थन दे रहे हैं. अब स्थिति यह है कि विपक्षी दल आपस में भी चर्चा करने लगे हैं. अरविंद केजरीवाल ममता बनर्जी से चर्चा कर रहे हैं और जल्द ही बैठक को लेकर सब की सहूलियत के हिसाब से तिथि और जगह तय कर ली जाएगी. उसके बाद विपक्षी दलों की बैठक की सूचना भी आप लोगों को दी जाएगी. हम लोगों को भी पूरे देश के लोगों को इसकी जानकारी देनी है.''- विजय कुमार चौधरी, मंत्री, बिहार
क्यों मुश्किल है विपक्ष का एकजुट होना? : राजनीतिक विशेषज्ञ अरुण पांडे का कहना है विपक्षी एकजुटता में कई मुश्किलें हैं, लेकिन इसके बावजूद यदि विपक्षी दलों की बैठक में अधिकांश सीटों पर विपक्ष बीजेपी के खिलाफ संयुक्त रूप से उम्मीदवार देने का फैसला लेता है तब तो बीजेपी की चुनौती बढ़ सकती है. नीतीश कुमार चाहते हैं कांग्रेस के साथ विपक्षी दलों की मजबूत गठबंधन बीजेपी के खिलाफ बनाया जाए और इसलिए कांग्रेस नेताओं को इसके लिए मनाने में लगे हैं. कांग्रेस के साथ जिन दलों को जाने में परेशानी है, उनके नेता को भी नीतीश कुमार मिलकर मनाने की कोशिश की है.
250 सीटों पर पकड़ बनाने के लिए रणनीति : पिछले डेढ़ महीने में नीतीश कुमार 6 राज्यों के मुख्यमंत्री या बड़े नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं. जहां बिहार सहित कुल ढाई सौ से अधिक सीटें लोकसभा की हैं. जहां कांग्रेस कमजोर है और विपक्षी दल मजबूत स्थिति में हैं. बीजेपी अभी डेढ़ सौ से भी अधिक सीटों पर कब्जा की हुई है. नीतीश कुमार चाहते हैं बीजेपी को इन राज्यों में झटका दिया जाए, जिससे केंद्र में सरकार बनाने के लिए बीजेपी को बहुमत नहीं मिले. लेकिन इसमें सबसे बड़ी समस्या सीट शेयरिंग को लेकर है. कांग्रेस के साथ विपक्षी दलों की सीट शेयरिंग की क्या रणनीति तैयार होती है और उस पर सहमति बनती है कि नहीं? यह देखना दिलचस्प है.
शीट शेयरिंग पर बनेगी बात? : शीट शेयरिंग पर सहमति तब होगी जब विपक्षी दलों की बैठक होगी और उसी बैठक को लेकर मुहिम चल रही है. पहले तो 18 मई को ही बैठक होने की चर्चा हो रही थी, लेकिन अब इस महीने कभी भी यह बैठक हो सकती है. सीट शेयरिंग के अलावा नेतृत्व को लेकर भी एक बड़ी समस्या है. उस पर भी सहमति बनाना एक बड़ी चुनौती है. ऐसे में बैठक में इस पर भी क्या रणनीति तैयार होती है वह भी देखना दिलचस्प होगा.