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नीतीश मंत्रिमंडल के विस्तार पर सस्पेंस, 20 दिन में कैबिनेट की सिर्फ एक बैठक

नई सरकार के गठन के वक्त सीएम नीतीश कुमार सहित 15 नेताओं ने शपत ली थी. मेवालाल के इस्तीफा देने के बाद मंत्रिमंडल में 14 मंत्री शामिल हैं. कैबिनेट विस्तार को लेकर बीजेपी और जेडीयू अभी तक फैसला नहीं ले पाई है. वहीं, विधानमंडल का सत्र बुलाने के लिए हुई कैबिनेट की पहली बैठक के बाद दोबारा बैठक भी नहीं बुलाई गई है.

नीतीश कुमार
नीतीश कुमार
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Published : Dec 6, 2020, 4:17 PM IST

Updated : Dec 15, 2020, 5:09 PM IST

पटना: बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार बने हुए 15 दिन से भी अधिक हो चुके हैं. छोटा मंत्रिमंडल के साथ नई सरकार का गठन हुआ, लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सस्पेंस बना हुआ है. दिसंबर के पहले सप्ताह में ही कैबिनेट के विस्तार की बात कही जा रही थी लेकिन फिलहाल इस पर फैसला नहीं हुआ है. 2 सप्ताह से नीतीश कुमार ने कैबिनेट की बैठक भी नहीं की है. चर्चा तो यह है कि मंत्रिमंडल विस्तार के कारण ही कैबिनेट की बैठक लगातार टाला जा रहा है. 14 दिसंबर तक यदि मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हुआ तो फिर खरमास शुरू हो जाएगा और तब एक महीने तक विस्तार नहीं हो सकेगा.

मंत्रियों के बीच विभाग बंटवारे के बाद नहीं हुई कैबिनेट की बैठक
नई सरकार गठन के बाद विधानमंडल सत्र बुलाने के लिए कैबिनेट की बैठक हुई थी. उसके बाद से कैबिनेट की एक भी बैठक नहीं हुई है. पहले 29 नवंबर को कैबिनेट की बैठक होने की चर्चा थी, लेकिन सूत्रों की माने तो मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर ही कैबिनेट की बैठक को टाला जा रहा है. दिसंबर के पहले सप्ताह में ही मंत्रिमंडल विस्तार होने के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन अभी तक बीजेपी और जदयू के बीच इसे को लेकर अंतिम फैसला निर्णय नहीं लिया गया है. एनडीए के नेता भले ही कहते रहे हैं कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में सब कुछ सामान्य चल रहा है, लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि मंत्रियों की संख्या को लेकर बीजेपी और जदयू के बीच अभी भी ठनी हुई है. बीजेपी नीतीश मंत्रिमंडल में 20 से अधिक मंत्री चाह रही है. इसी बात को लेकर पेंच फंसा हुआ है. बीजेपी गृह विभाग भी चाह रही थी, लेकिन नीतीश कुमार उसके लिए तैयार नहीं हुए.

देखें वीडियो

फिलहाल नीतीश कुमार के साथ 14 मंत्री हैं. 15 मंत्रियों ने शपथ ली थी, जिसके बाद मेवालाल चौधरी को इस्तीफा देना पड़ा. अभी कई मंत्रियों के पास चार से पांच विभाग हैं.

  • तारकेश्वर प्रसाद के पास डिप्टी सीएम के साथ-साथ वित्त विभाग, वाणिज्य कर, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन, सूचना प्रौद्योगिकी, आपदा प्रबंधन और नगर विकास विभाग है.
  • रेणु देवी के पास डिप्टी सीएम के अलावे पंचायती राज, पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग कल्याण और उद्योग है.
  • मंगल पांडे के पास स्वास्थ्य, पथ निर्माण विभाग, कला संस्कृति एवं युवा विभाग है.
  • अमरेंद्र प्रताप सिंह के पास कृषि, सहकारिता और गन्ना उद्योग है.
  • विजय चौधरी के पास ग्रामीण कार्य, संसदीय कार्य, ग्रामीण विकास, जल संसाधन और पीआरडी भी है.
  • विजेंद्र यादव के पास ऊर्जा, मद्य निषेध एवं निबंधन, योजना एवं विकास और खाद्य आपूर्ति विभाग है.
  • अशोक चौधरी के पास भवन निर्माण, समाज कल्याण, शिक्षा विभाग, साइंस एवं टेक्नोलॉजी और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग है.
  • संतोष कुमार सुमन के पास लघु जल संसाधन और एससी-एसटी कल्याण विभाग की जिम्मेदारी है.
  • जीवेश कुमार के पास श्रम संसाधन, पर्यटन, खान एवं भूतत्व और रामसूरत कुमार के पास राजस्व एवं भूमि सुधार के साथ विधि विभाग भी है.

बता दें कि कुछ मंत्रियों को छोड़कर अधिकांश के पास एक से अधिक विभाग है.

अशोक चौधरी और मुकेश सहनी नहीं हैं किसी सदन के सदस्य
राज्यपाल कोटे से 12 एमएलसी सीटों को भी भरा जाना है. इस पर भी अभी तक अंतिम फैसला नहीं हुआ है. बिहार में दो मंत्री अभी किसी सदन के सदस्य नहीं है. इसमें अशोक चौधरी और मुकेश सहनी शामिल हैं. अशोक चौधरी पिछली सरकार में भी 6 महीने तक बिना किसी सदन के सदस्य रहे मंत्री रहे थे. उन्हें एक नई सरकार में एक बार फिर से मंत्रिमंडल में मौका दिया गया है. उनके पास 5 महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी है.

वहीं, मुकेश सहनी ने विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन सफलता नहीं मिली. चर्चा है कि उन्हें और अशोक चौधरी को राज्यपाल कोटे से एमएलसी बनाया जाएगा. वहीं, बीजेपी और जदयू के कई पुराने मंत्री मंत्रिमंडल विस्तार का इंतजार कर रहे हैं. शुरू में दोनों प्रमुख दल बीजेपी और जदयू के नेताओं की तरफ से कहा गया कि जल्द ही मंत्रिमंडल का विस्तार हो किया जाएगा, लेकिन अब कोई इसका जवाब देने की स्थिति में कोई नहीं है.

पटना: बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार बने हुए 15 दिन से भी अधिक हो चुके हैं. छोटा मंत्रिमंडल के साथ नई सरकार का गठन हुआ, लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सस्पेंस बना हुआ है. दिसंबर के पहले सप्ताह में ही कैबिनेट के विस्तार की बात कही जा रही थी लेकिन फिलहाल इस पर फैसला नहीं हुआ है. 2 सप्ताह से नीतीश कुमार ने कैबिनेट की बैठक भी नहीं की है. चर्चा तो यह है कि मंत्रिमंडल विस्तार के कारण ही कैबिनेट की बैठक लगातार टाला जा रहा है. 14 दिसंबर तक यदि मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हुआ तो फिर खरमास शुरू हो जाएगा और तब एक महीने तक विस्तार नहीं हो सकेगा.

मंत्रियों के बीच विभाग बंटवारे के बाद नहीं हुई कैबिनेट की बैठक
नई सरकार गठन के बाद विधानमंडल सत्र बुलाने के लिए कैबिनेट की बैठक हुई थी. उसके बाद से कैबिनेट की एक भी बैठक नहीं हुई है. पहले 29 नवंबर को कैबिनेट की बैठक होने की चर्चा थी, लेकिन सूत्रों की माने तो मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर ही कैबिनेट की बैठक को टाला जा रहा है. दिसंबर के पहले सप्ताह में ही मंत्रिमंडल विस्तार होने के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन अभी तक बीजेपी और जदयू के बीच इसे को लेकर अंतिम फैसला निर्णय नहीं लिया गया है. एनडीए के नेता भले ही कहते रहे हैं कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में सब कुछ सामान्य चल रहा है, लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि मंत्रियों की संख्या को लेकर बीजेपी और जदयू के बीच अभी भी ठनी हुई है. बीजेपी नीतीश मंत्रिमंडल में 20 से अधिक मंत्री चाह रही है. इसी बात को लेकर पेंच फंसा हुआ है. बीजेपी गृह विभाग भी चाह रही थी, लेकिन नीतीश कुमार उसके लिए तैयार नहीं हुए.

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फिलहाल नीतीश कुमार के साथ 14 मंत्री हैं. 15 मंत्रियों ने शपथ ली थी, जिसके बाद मेवालाल चौधरी को इस्तीफा देना पड़ा. अभी कई मंत्रियों के पास चार से पांच विभाग हैं.

  • तारकेश्वर प्रसाद के पास डिप्टी सीएम के साथ-साथ वित्त विभाग, वाणिज्य कर, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन, सूचना प्रौद्योगिकी, आपदा प्रबंधन और नगर विकास विभाग है.
  • रेणु देवी के पास डिप्टी सीएम के अलावे पंचायती राज, पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग कल्याण और उद्योग है.
  • मंगल पांडे के पास स्वास्थ्य, पथ निर्माण विभाग, कला संस्कृति एवं युवा विभाग है.
  • अमरेंद्र प्रताप सिंह के पास कृषि, सहकारिता और गन्ना उद्योग है.
  • विजय चौधरी के पास ग्रामीण कार्य, संसदीय कार्य, ग्रामीण विकास, जल संसाधन और पीआरडी भी है.
  • विजेंद्र यादव के पास ऊर्जा, मद्य निषेध एवं निबंधन, योजना एवं विकास और खाद्य आपूर्ति विभाग है.
  • अशोक चौधरी के पास भवन निर्माण, समाज कल्याण, शिक्षा विभाग, साइंस एवं टेक्नोलॉजी और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग है.
  • संतोष कुमार सुमन के पास लघु जल संसाधन और एससी-एसटी कल्याण विभाग की जिम्मेदारी है.
  • जीवेश कुमार के पास श्रम संसाधन, पर्यटन, खान एवं भूतत्व और रामसूरत कुमार के पास राजस्व एवं भूमि सुधार के साथ विधि विभाग भी है.

बता दें कि कुछ मंत्रियों को छोड़कर अधिकांश के पास एक से अधिक विभाग है.

अशोक चौधरी और मुकेश सहनी नहीं हैं किसी सदन के सदस्य
राज्यपाल कोटे से 12 एमएलसी सीटों को भी भरा जाना है. इस पर भी अभी तक अंतिम फैसला नहीं हुआ है. बिहार में दो मंत्री अभी किसी सदन के सदस्य नहीं है. इसमें अशोक चौधरी और मुकेश सहनी शामिल हैं. अशोक चौधरी पिछली सरकार में भी 6 महीने तक बिना किसी सदन के सदस्य रहे मंत्री रहे थे. उन्हें एक नई सरकार में एक बार फिर से मंत्रिमंडल में मौका दिया गया है. उनके पास 5 महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी है.

वहीं, मुकेश सहनी ने विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन सफलता नहीं मिली. चर्चा है कि उन्हें और अशोक चौधरी को राज्यपाल कोटे से एमएलसी बनाया जाएगा. वहीं, बीजेपी और जदयू के कई पुराने मंत्री मंत्रिमंडल विस्तार का इंतजार कर रहे हैं. शुरू में दोनों प्रमुख दल बीजेपी और जदयू के नेताओं की तरफ से कहा गया कि जल्द ही मंत्रिमंडल का विस्तार हो किया जाएगा, लेकिन अब कोई इसका जवाब देने की स्थिति में कोई नहीं है.

Last Updated : Dec 15, 2020, 5:09 PM IST
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