पटना: बिहार में शिक्षकों की भर्ती की मांग को लेकर लंबे समय से गतिरोध जारी है. शिक्षक नियोजन के लिए अभ्यर्थी सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. विपक्ष भी सरकार को घेर रही थी. इस बीच आज सोमवार को बिहार सरकार ने नियमावली को स्वीकृति दे दी. कैबिनेट ने शिक्षक भर्ती नियमावली पर मुहर भी लगा दी. सरकार के इस फैसले पर मिली जुली प्रतिक्रिया आ रही है. जहां सहयोगी दलों ने इसका स्वागत किया है, वहीं भाजपा शिक्षकों को ठगे जाने का आरोप लगाया है.
इसे भी पढ़ेंः Violence in Bihar: 'सरकार की विफलता का नतीजा है बिहार में हिंसा.. फेल कर गए नीतीश कुमार', सुशील मोदी का हमला
भाजपा के आरोपः शिक्षक भर्ती नियमावली में बदलाव किया है. स्थानीय निकाय के बजाय नई व्यवस्था में शिक्षकों की भर्ती होगी. नीतीश कैबिनेट ने नई नियमावली को स्वीकृति दे दी है. भाजपा ने नई नियमावली में कई खामियों की ओर इशारा किया है. बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सह राज्य सभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि शिक्षक अभ्यर्थियों को ठगा जा रहा है. उनका कहना था कि 2019 में टीईटी और एसटीईटी उत्तीर्ण छात्रों को एक और परीक्षा देनी पड़ेगी. नियोजित शिक्षकों को सरकारी कर्मी बनने के लिए भी फिर से परीक्षा देनी पड़ेगी.
तीन प्रकार के शिक्षकः सुशील मोदी ने इस बात पर भी आपत्ति जतायी कि अब हर विद्यालय में पुराने वेतनमान, नियोजित शिक्षक और नई नियमावली के तहत बहाल सरकारी शिक्षक यानि कुल 3 प्रकार के शिक्षक होंगे. बता दें कि महागठबंधन सरकार ने 10 लाख सरकारी नौकरी और 10 लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा किया था. इसको पूरा करने के लिए सरकार शिक्षा विभाग में ज्यादा से ज्यादा भर्ती करना चाहती है. सरकार की मंशा है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षकों की भर्ती हो.
"शिक्षक अभ्यर्थियों को फिर एक बार ठगा जा रहा है. 2019 में टीईटी और एसटीईटी उत्तीर्ण छात्रों को एक और परीक्षा देनी पड़ेगी. नियोजित शिक्षकों को सरकारी कर्मी बनने के लिए भी पुनः परीक्षा देनी पड़ेगी. इतना भद्दा मजाक शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ कृपया मत कीजिए"- सुशील मोदी, राज्यसभा सांसद