पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर स्पष्ट कर दिया कि वह बिहार में जातीय सर्वे कराने के विरुद्ध नहीं है. उन्होंने ने कहा कि संवैधानिक दृष्टि से इस मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकार में कोई टकराव नहीं है, लेकिन राजद और जद-यू इस पर राजनीति कर रहे हैं.
इसे भी पढ़ेंः Bihar Politics: 'जातीय गणना रोकने की कोशिश कर रहा PMO'- राजद सांसद ने इन तर्कों के साथ लगाये आरोप
"बिहार सरकार ने भाजपा सहित सभी दलों की इच्छा के अनुरूप हाल में 17 सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर जो सर्वेक्षण कराया, वह राज्य सरकार का अधिकार है. केंद्र सरकार ने कभी इसका विरोध नहीं किया."- सुशील मोदी, राज्यसभा सदस्य, भाजपा
जनगणना केंद्र सरकार का विषयः सुशील मोदी ने कहा कि संविधान के सेंसस ऐक्ट की धारा-3 के अनुसार सेंसस कराने का अधिकार केवल केंद्र सरकार का है. मोदी ने कहा कि पटना हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने भी कहा कि वह सेंसस नहीं, सर्वेक्षण करा रही है. सेंसस और सर्वे मुद्दे पर केंद्र सरकार के हलफनामा दायर कर संवैधानिक स्थिति स्पष्ट कर देने के बाद किसी को अनर्गल आरोप नहीं लगाना चाहिए, लेकिन थेथरोलॉजी करने वालों को कौन रोक सकता है.
राजद ने लगाये थे आरोपः बता दें कि राजद के राज्यसभा सदस्य मनोज झा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री कार्यालय बिहार में हो रही जातीय गणना को रोकने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि जिस तरह कोर्ट में मुकुल रोहतगी ने बातें कहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता जातीय गणना को लेकर कोर्ट को कुछ कहने का निर्णय लिया है इससे स्पष्ट हो गया है कि प्रधानमंत्री कार्यालय कहीं ना कहीं इसको रोकने का प्रयास कर रहा है.