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GST के दायरे में आने से सस्ता हो सकता है पेट्रोल-डीजल, फिर भी सुशील मोदी नहीं चाहते ऐसा

बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी (BJP MP Sushil Kumar Modi) का कहना है कि यदि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में (Petrol-Diesel Under GST) लाया गया तो केन्द्र और राज्य सरकारों को 4.10 लाख करोड़ के राजस्व से वंचित होना पड़ेगा, लिहाजा बिहार सहित अन्य राज्यों को इसका विरोध करना चाहिए.

Sushil Modi opposed proposal to bring petrol and diesel under GST
Sushil Modi opposed proposal to bring petrol and diesel under GST
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Published : Sep 16, 2021, 10:26 PM IST

पटना: केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) पेट्रोल, डीजल, प्राकृतिक गैस और एटीएफ जैसे पेट्रोलियम पदार्थ को जीएसटी के दायरे में (Petrol-Diesel Under GST) लाने पर विचार कर रही है. अगर ऐसा हो जाता है तो इसकी कीमत बेहद कम हो सकती है, लेकिन इस बीच बिहार से बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी (BJP MP Sushil Kumar Modi) ने ऐसी कोशिशों का विरोध किया है.

ये भी पढ़ें: तेजस्वी बोले- 'महंगाई डायन नहीं, मोदी सरकार की महबूबा है..'

बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सुशील मोदी ने ट्वीट कर अपनी बात रखी है. उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, 'यदि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया गया, तो इन वस्तुओं पर कर 75 से घटाकर 28 फीसद करना पड़ेगा. इससे केन्द्र और राज्य सरकारों को 4.10 लाख करोड़ के राजस्व से वंचित होना पड़ेगा. इसमें डीजल से 1.10 लाख करोड़ और पेट्रोल से 3 लाख करोड़ की राजस्व हानि होगी.'

  • यदि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया गया, तो इन वस्तुओं पर कर 75 से घटाकर 28 फीसद करना पड़ेगा।
    इससे केन्द्र और राज्य सरकारों को 4.10 लाख करोड़ के राजस्व से वंचित होना पड़ेगा।
    इसमें डीजल से 1.10 लाख करोड़ और पेट्रोल से 3 लाख करोड़ की राजस्व हानि होगी।

    — Sushil Kumar Modi (@SushilModi) September 16, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

सुशील मोदी ने इसको लेकर एक और ट्वीट किया है. अपने दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'कोविड काल में सरकार इतनी बड़ी राशि की भरपाई नहीं कर पाएगी, जिससे विकास कार्य प्रभावित होंगे.'

  • कोविड काल में सरकार इतनी बड़ी राशि की भरपाई नहीं कर पाएगी, जिससे विकास कार्य प्रभावित होंगे।

    — Sushil Kumar Modi (@SushilModi) September 16, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

वहीं, अपने तीसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'बिहार सहित अन्य राज्यों को राजस्व की वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के विचार का विरोध करना चाहिए. जीएसटी परिषद जब इस मुद्दे पर केरल हाई कोर्ट के निर्देश पर विचार करने वाली है, तब राज्यों को अपनी बात मजबूती से रखनी चाहिए.'

  • बिहार सहित अन्य राज्यों को राजस्व की वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के विचार का विरोध करना चाहिए।
    जीएसटी परिषद जब इस मुद्दे पर केरल हाई कोर्ट के निर्देश पर विचार करने वाली है, तब राज्यों को अपनी बात मजबूती से रखनी चाहिए।

    — Sushil Kumar Modi (@SushilModi) September 16, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

दरअसल, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) की अध्यक्षता में वस्तु एवं सेवा कर परिषद की बैठक (GST Council Meeting) इस बार 17 सितंबर को लखनऊ में होने जा रही है. इस बार की बैठक में पेट्रोल और डीजल को भी जीएसटी (GST on Petrol diesel) के दायरे में लाने पर विचार हो सकता है. अगर पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया गया तो इसके दाम में अचानक भारी कमी आ सकती है. हालांकि इस मसले पर राज्यों में काफी मतभेद हैं, लेकिन केरल हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद कौंसिल को इस पर विचार करना पड़ रहा है.

ये भी पढ़ें: पेट्रोल-डीजल पर टैक्स नहीं घटाएगी सरकार, सदन में कांग्रेस नेता को मिला दो टूक जवाब

अभी इन पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क (central excise) सेस के अलावा राज्यों की तरफ से वैट भी लगाया जाता है. पेट्रोल और डीजल को राजस्व के हिसाब से राज्यों के लिए दुधारु गाय माना जाता है. जून में केरल हाईकोर्ट ने एक याचिका पर जीएसटी कौंसिल को यह आदेश दिया था कि पेट्रोल एवं डीजल को जीएसटी में लाने पर वह निर्णय ले.

आपको याद दिलाएं कि वित्त मंत्री ने इस साल मार्च में ही कहा था कि अगर जीएसटी कौंसिल में प्रस्ताव आया तो वह पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर चर्चा करने को तैयार हैं. कई जानकारों का कहना है कि अगर जीएसटी कौंसिल में इस पर चर्चा के बाद आम राय बनती है तो पेट्रोल एक झटके में घटकर 60 रुपये लीटर से नीचे आ सकता है.

पटना: केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) पेट्रोल, डीजल, प्राकृतिक गैस और एटीएफ जैसे पेट्रोलियम पदार्थ को जीएसटी के दायरे में (Petrol-Diesel Under GST) लाने पर विचार कर रही है. अगर ऐसा हो जाता है तो इसकी कीमत बेहद कम हो सकती है, लेकिन इस बीच बिहार से बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी (BJP MP Sushil Kumar Modi) ने ऐसी कोशिशों का विरोध किया है.

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बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सुशील मोदी ने ट्वीट कर अपनी बात रखी है. उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, 'यदि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया गया, तो इन वस्तुओं पर कर 75 से घटाकर 28 फीसद करना पड़ेगा. इससे केन्द्र और राज्य सरकारों को 4.10 लाख करोड़ के राजस्व से वंचित होना पड़ेगा. इसमें डीजल से 1.10 लाख करोड़ और पेट्रोल से 3 लाख करोड़ की राजस्व हानि होगी.'

  • यदि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया गया, तो इन वस्तुओं पर कर 75 से घटाकर 28 फीसद करना पड़ेगा।
    इससे केन्द्र और राज्य सरकारों को 4.10 लाख करोड़ के राजस्व से वंचित होना पड़ेगा।
    इसमें डीजल से 1.10 लाख करोड़ और पेट्रोल से 3 लाख करोड़ की राजस्व हानि होगी।

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सुशील मोदी ने इसको लेकर एक और ट्वीट किया है. अपने दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'कोविड काल में सरकार इतनी बड़ी राशि की भरपाई नहीं कर पाएगी, जिससे विकास कार्य प्रभावित होंगे.'

  • कोविड काल में सरकार इतनी बड़ी राशि की भरपाई नहीं कर पाएगी, जिससे विकास कार्य प्रभावित होंगे।

    — Sushil Kumar Modi (@SushilModi) September 16, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

वहीं, अपने तीसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'बिहार सहित अन्य राज्यों को राजस्व की वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के विचार का विरोध करना चाहिए. जीएसटी परिषद जब इस मुद्दे पर केरल हाई कोर्ट के निर्देश पर विचार करने वाली है, तब राज्यों को अपनी बात मजबूती से रखनी चाहिए.'

  • बिहार सहित अन्य राज्यों को राजस्व की वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के विचार का विरोध करना चाहिए।
    जीएसटी परिषद जब इस मुद्दे पर केरल हाई कोर्ट के निर्देश पर विचार करने वाली है, तब राज्यों को अपनी बात मजबूती से रखनी चाहिए।

    — Sushil Kumar Modi (@SushilModi) September 16, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

दरअसल, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) की अध्यक्षता में वस्तु एवं सेवा कर परिषद की बैठक (GST Council Meeting) इस बार 17 सितंबर को लखनऊ में होने जा रही है. इस बार की बैठक में पेट्रोल और डीजल को भी जीएसटी (GST on Petrol diesel) के दायरे में लाने पर विचार हो सकता है. अगर पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया गया तो इसके दाम में अचानक भारी कमी आ सकती है. हालांकि इस मसले पर राज्यों में काफी मतभेद हैं, लेकिन केरल हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद कौंसिल को इस पर विचार करना पड़ रहा है.

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अभी इन पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क (central excise) सेस के अलावा राज्यों की तरफ से वैट भी लगाया जाता है. पेट्रोल और डीजल को राजस्व के हिसाब से राज्यों के लिए दुधारु गाय माना जाता है. जून में केरल हाईकोर्ट ने एक याचिका पर जीएसटी कौंसिल को यह आदेश दिया था कि पेट्रोल एवं डीजल को जीएसटी में लाने पर वह निर्णय ले.

आपको याद दिलाएं कि वित्त मंत्री ने इस साल मार्च में ही कहा था कि अगर जीएसटी कौंसिल में प्रस्ताव आया तो वह पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर चर्चा करने को तैयार हैं. कई जानकारों का कहना है कि अगर जीएसटी कौंसिल में इस पर चर्चा के बाद आम राय बनती है तो पेट्रोल एक झटके में घटकर 60 रुपये लीटर से नीचे आ सकता है.

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