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'वार्ड और पंचायत स्तर पर जातीय सर्वे के आंकड़े जारी करे बिहार सरकार', सुशील मोदी की मांग

राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने बिहार सरकार से जातीय सर्वे रिपोर्ट को वार्ड और पंचायत स्तर पर जारी करने की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि इसे अतिशीघ्र किया जाए. पढ़ें पूरी खबर.

राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी
राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 3, 2024, 8:45 PM IST

  • · वार्ड-पंचायत स्तर पर जातीय सर्वे के विस्तृत आंकड़े जारी करे नीतीश सरकार
    · सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सभी जातियों के संदेह का निवारण सम्भव

    पटना। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए बिहार सरकार को पंचायत और वार्ड…

    — Sushil Kumar Modi (@SushilModi) January 3, 2024 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

पटनाः बिहार में जातीय सर्वे की रिपोर्ट को वार्ड और पंचायत स्तर पर जारी करने की मांग सुशील मोदी ने की है. पूर्व उपमुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए बिहार सरकार को पंचायत और वार्ड के अनुसार जातीय सर्वे के विस्तृत आंकड़े शीघ्र जारी करना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट का आदेशः सुशील मोदी ने अपने 'X' अकाउंट पर पोस्ट कर इसकी मांग की है. मोदी ने कहा कि भाजपा सरकार में रहते जातीय सर्वे कराने का निर्णय हुआ था. सर्वे की रिपोर्ट आने के बाद पार्टी ने पंचायत और वार्ड के आधार पर आंकड़े जारी करने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट का आदेश हमारी मांग के अनुकूल है.

'तथ्यों को छिपाने की कोशिश': उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने जातीय सर्वे के सिर्फ राज्य स्तरीय आंकड़े जारी कर कई तथ्यों को छिपाने की कोशिश की है. मोदी ने कहा कि अधिकतर जातियों ने अपनी आबादी कम दर्ज करने की शिकायत की. कुछ जातियों की गणना न करने के भी आरोप लगे, इसलिए पंचायत स्तर पर रिपोर्ट जारी होने से सबकुछ साफ हो जाएगा.

'17 बिंदुओं पर सर्वे और रिपोर्ट 8 बिंदु पर जारी': सुशील मोदी ने कहा कि पंचायत और वार्ड स्तर पर जातीय आंकड़े जारी होने से तथ्यों को भौतिक रूप से जांच कर संतुष्ट होना या उन्हें विधिवत चुनौती देना आसान होगा. सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक सहित 17 बिंदुओं पर सर्वे कराये गए थे. जबकि सरकार ने केवल 7-8 बिंदुओं पर रिपोर्ट जारी की है.

जातियों का संदेह दूर करे सरकारः सुशील मोदी ने आरोप लगाया है कि सर्वे रिपोर्ट से पता नहीं चलता कि कितनी जातियां भूमिहीन हैं. किसके पास कितनी जमीन है? जो लोग जातीय सर्वे कराने का श्रेय लूटने की कोशिश कर रहे हैं उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन कर विस्तृत रिपोर्ट जारी करनी चाहिए ताकि सभी जातियों का संदेह दूर हो सके.

यह भी पढ़ेंः 'ललन सिंह को हटाने की भविष्यवाणी हमने की थी, वो JDU के विधायकों को तोड़ने वाले थे इसलिए CM ने हटाया'- सुशील मोदी

  • · वार्ड-पंचायत स्तर पर जातीय सर्वे के विस्तृत आंकड़े जारी करे नीतीश सरकार
    · सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सभी जातियों के संदेह का निवारण सम्भव

    पटना। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए बिहार सरकार को पंचायत और वार्ड…

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पटनाः बिहार में जातीय सर्वे की रिपोर्ट को वार्ड और पंचायत स्तर पर जारी करने की मांग सुशील मोदी ने की है. पूर्व उपमुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए बिहार सरकार को पंचायत और वार्ड के अनुसार जातीय सर्वे के विस्तृत आंकड़े शीघ्र जारी करना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट का आदेशः सुशील मोदी ने अपने 'X' अकाउंट पर पोस्ट कर इसकी मांग की है. मोदी ने कहा कि भाजपा सरकार में रहते जातीय सर्वे कराने का निर्णय हुआ था. सर्वे की रिपोर्ट आने के बाद पार्टी ने पंचायत और वार्ड के आधार पर आंकड़े जारी करने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट का आदेश हमारी मांग के अनुकूल है.

'तथ्यों को छिपाने की कोशिश': उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने जातीय सर्वे के सिर्फ राज्य स्तरीय आंकड़े जारी कर कई तथ्यों को छिपाने की कोशिश की है. मोदी ने कहा कि अधिकतर जातियों ने अपनी आबादी कम दर्ज करने की शिकायत की. कुछ जातियों की गणना न करने के भी आरोप लगे, इसलिए पंचायत स्तर पर रिपोर्ट जारी होने से सबकुछ साफ हो जाएगा.

'17 बिंदुओं पर सर्वे और रिपोर्ट 8 बिंदु पर जारी': सुशील मोदी ने कहा कि पंचायत और वार्ड स्तर पर जातीय आंकड़े जारी होने से तथ्यों को भौतिक रूप से जांच कर संतुष्ट होना या उन्हें विधिवत चुनौती देना आसान होगा. सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक सहित 17 बिंदुओं पर सर्वे कराये गए थे. जबकि सरकार ने केवल 7-8 बिंदुओं पर रिपोर्ट जारी की है.

जातियों का संदेह दूर करे सरकारः सुशील मोदी ने आरोप लगाया है कि सर्वे रिपोर्ट से पता नहीं चलता कि कितनी जातियां भूमिहीन हैं. किसके पास कितनी जमीन है? जो लोग जातीय सर्वे कराने का श्रेय लूटने की कोशिश कर रहे हैं उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन कर विस्तृत रिपोर्ट जारी करनी चाहिए ताकि सभी जातियों का संदेह दूर हो सके.

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