पटनाः सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर हम प्रमुख जीतन राम मांझी के राम पर बयानबाजी का कड़े शब्दों में जवाब दिया (Sushil Kumar Modi Tweeted Against Jitan Ram manjhi) है. उन्होंने इस बात की कड़ी निंदा करते हुए ट्वीट किया है. राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने एक नहीं बल्कि लगातार चार से पांच ट्वीट में मर्यादा पुरुषोत्तम राम के बारे में की जानेवाली बयानबाजी को गलत बताया है. उन्होंने लिखा है कि ऐसी बयानबाजी राजनीतिक हितों के लिए की गई है, जो गलत है.
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जो श्रीराम को काल्पनिक बताने का दुस्साहस कर रहे हैं, वे दरअसल आदि कवि वाल्मीकि, उनके आश्रम में पले सीतापुत्र लव-कुश, निषादराज केवट और भक्त शिरोमणि शबरी को भी नकारने की कोशिश कर रहे हैं।
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">जो श्रीराम को काल्पनिक बताने का दुस्साहस कर रहे हैं, वे दरअसल आदि कवि वाल्मीकि, उनके आश्रम में पले सीतापुत्र लव-कुश, निषादराज केवट और भक्त शिरोमणि शबरी को भी नकारने की कोशिश कर रहे हैं।
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) April 15, 2022जो श्रीराम को काल्पनिक बताने का दुस्साहस कर रहे हैं, वे दरअसल आदि कवि वाल्मीकि, उनके आश्रम में पले सीतापुत्र लव-कुश, निषादराज केवट और भक्त शिरोमणि शबरी को भी नकारने की कोशिश कर रहे हैं।
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सुशील मोदी ने अलग-अलग ट्वीट में निकाली भड़ासः उन्होंने पहले ट्वीट में लिखा, 'जो श्रीराम को काल्पनिक बताने का दुस्साहस कर रहे हैं, वे दरअसल आदि कवि वाल्मीकि, उनके आश्रम में पले सीतापुत्र लव-कुश, निषादराज केवट और भक्त शिरोमणि शबरी को भी नकारने की कोशिश कर रहे हैं'. इसके बाद उन्होंने लिखा, 'उनके समकालीन महर्षि वाल्मीकि ने रामायण के रूप में जिनका इतिहास लिखा और जिनके होने के अमिट प्रमाण अयोध्या से श्रीलंका के रामसेतु तक उपलब्ध हैं, उन पर अनर्गल बयान देकर किसी को भी करोड़ों हिंदुओं की भावनाएं आहत नहीं करनी चाहिए'. ट्वीट में आगे उन्होंने लिखा, 'जिन दलों या लोगों ने क्षुद्र राजनीतिक हितों के दबाव में ऐसे बयान दिये, वे राम-भक्त समाज के चित से ही उतर गए. मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम भारतीय इतिहास, संस्कृति और परंपरा के नायक ही नहीं, हमारे पुरखा हैं'.
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उनके समकालीन महर्षि वाल्मीकि ने रामायण के रूप में, जिनका इतिहास लिखा और जिनके होने के अमिट प्रमाण अयोध्या से श्रीलंका के रामसेतु तक उपलब्ध हैं, उन पर अनर्गल बयान देकर किसी को भी करोड़ों हिंदुओं की भावनाएँ आहत नहीं करनी चाहिए।
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">उनके समकालीन महर्षि वाल्मीकि ने रामायण के रूप में, जिनका इतिहास लिखा और जिनके होने के अमिट प्रमाण अयोध्या से श्रीलंका के रामसेतु तक उपलब्ध हैं, उन पर अनर्गल बयान देकर किसी को भी करोड़ों हिंदुओं की भावनाएँ आहत नहीं करनी चाहिए।
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) April 15, 2022उनके समकालीन महर्षि वाल्मीकि ने रामायण के रूप में, जिनका इतिहास लिखा और जिनके होने के अमिट प्रमाण अयोध्या से श्रीलंका के रामसेतु तक उपलब्ध हैं, उन पर अनर्गल बयान देकर किसी को भी करोड़ों हिंदुओं की भावनाएँ आहत नहीं करनी चाहिए।
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'राम तुलसीदास और वाल्मीकि के एक काव्य पात्र थे': दरअसल जीतनराम मांझी ने गुरुवार को बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जयंती और माता सवरी महोत्सव समारोह में कहा था कि वे गोस्वामी तुलसीदास और वाल्मीकि को मानते हैं, लेकिन राम को नहीं मानते, राम कोई भगवान नहीं थे. वह गोस्वामी तुलसीदास और वाल्मीकि के एक काव्य पात्र थे. उन्होंने कहा कि महाकाव्य में बहुत सी अच्छी बात है, उसको हम मानते हैं. अगर आप कहते हैं कि राम को मानते हैं, तो यह दोनों बात नहीं चलेगी. हम राम को भगवान नहीं मानते हैं.
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जिन दलों या लोगों ने क्षुद्र राजनीतिक हितों के दबाव में ऐसे बयान दिये, वे राम-भक्त समाज के चित से ही उतर गए।
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">जिन दलों या लोगों ने क्षुद्र राजनीतिक हितों के दबाव में ऐसे बयान दिये, वे राम-भक्त समाज के चित से ही उतर गए।
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) April 15, 2022जिन दलों या लोगों ने क्षुद्र राजनीतिक हितों के दबाव में ऐसे बयान दिये, वे राम-भक्त समाज के चित से ही उतर गए।
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पढ़ें- ब्राह्मणों पर टिप्पणी को लेकर पूर्व सीएम मांझी के खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज
ब्राह्मणों पर दिया था विवादित बयानः इससे पहले भी कई बार जीतन राम मांझी ने भगवान राम और ब्राह्मणों को लेकर विवादित बयान दे चुके है. जिससे उनकी काफी किरकरी हुई थी. मांझी ने कहा था कि ब्राह्मण मांस खाते हैं, शराब पीते हैं, झूठ बोलते हैं ऐसे ब्राह्मणों से पूजा-पाठ कराना पाप है. वहीं, भगवान राम को नकारते हुए कहा कि राम केवल गोस्वामी तुलसीदास और वाल्मीकि के एक काव्य पात्र थे. पूर्व सीएम ने सुर्खियां बटोरने के लिए एक बार फिर से ब्राह्मण और भगवान राम को लेकर विवादित बयान दिया है.
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मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम भारतीय इतिहास, संस्कृति और परम्परा के नायक ही नहीं, हमारे पुरखा हैं।
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">मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम भारतीय इतिहास, संस्कृति और परम्परा के नायक ही नहीं, हमारे पुरखा हैं।
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) April 15, 2022मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम भारतीय इतिहास, संस्कृति और परम्परा के नायक ही नहीं, हमारे पुरखा हैं।
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