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Manish Kashyap Case : 'मैं भी बिहार का प्रवासी हूं', यूट्यूबर मनीष कश्यप केस की सुनवाई के दौरान जज कहा

बिहारी मजदूरों की कथित पिटाई का फर्जी वीडियो शेयर करने के मामले में यूट्यूबर मनीष कश्यप की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने तमिलनाडु पुलिस की कार्रवाई को रोकने से इनकार कर दिया है. अब इस मामले में 21 अप्रैल को अगली सुनवाई होगी.

मनीष कश्यप पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
मनीष कश्यप पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
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Published : Apr 11, 2023, 9:43 AM IST

Updated : Apr 11, 2023, 5:16 PM IST

पटना: तमिलनाडु हिंसा का फर्जी वीडियो शेयर करने के आरोप में जेल में बंद बिहार के यूट्यूबर मनीष कश्यप को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली. उसकी याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कार्रवाई रोकने के आदेश से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने केस को क्लब करने की मांग पर बिहार और तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किया है. मनीष के वकील ने जमानत के साथ-साथ सभी केसों को एक साथ क्लब करने की अपील की है.

ये भी पढ़ें: Bihar Politics: 'दोषी को सजा मिले लेकिन निर्दोष का बाल भी बांका नहीं होना चाहिए', मनीष कश्यप पर बोले चिराग

मनीष कश्यप को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत : मनीष कश्यप के वकील सिद्धार्थ दवे ने जस्टिस कृष्ण मुरारी और संजय करोल की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि उनके मुवक्किल को दो राज्यों में पांच मुकदमों का सामना करना पड़ रहा है. दवे ने पत्रकार अर्नब गोस्वामी के मामले का हवाला देते हुए कहा कि एक अपराध कई मामलों को जन्म नहीं दे सकता है और अदालत से अनुरोध किया कि बिहार में एफआईआर को लीड एफआईआर बनाने का निर्देश दिया जाए.

'मैं भी बिहार का प्रवासी हूं' : सुनवाई के दौरान जस्टिस करोल ने हल्के फुल्के अंदाज में कहा कि मैं भी बिहार का प्रवासी हूं. जस्टिस मुरारी ने कहा कि यह बयान अब बहुत कुछ कहता है. दवे ने इस बात पर जोर दिया कि उनके मुवक्किल को तमिलनाडु ले जाया जा रहा है, जहां वह भाषा नहीं समझते हैं.

21 अप्रैल तक टली राहत याचिका की सुनवाई : तमिलनाडु का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि यह कोई साधारण मामला नहीं है और कश्यप को पहले ही राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में लिया जा चुका है. सिब्बल ने मामले में जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा. दलीलें सुनने के बाद, पीठ ने केंद्र, तमिलनाडु और बिहार सरकारों को नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई 21 अप्रैल को निर्धारित की. शीर्ष अदालत ने कश्यप की याचिका पर उनसे एक सप्ताह के भीतर जवाब भी मांगा.

मनीष कश्यप की याचिका पर सुनवाई: मनीष कश्यप के वकील एपी सिंह की ओर से 5 अप्रैल को सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी. जिसमें उन्होंने मनीष को रेग्यूलर बेल देने के साथ ही कोर्ट से उसके खिलाफ दर्ज सभी एफआईआर को एक जगह मर्ज करने की अपील की थी. मनीष पर बिहार में आर्थिक अपराध इकाई की ओर से 4 और तमिलनाडु पुलिस की तरफ से 13 केस दर्ज हैं.

मनीष कश्यप पर एनएसए भी लगा: पिछले दिनों तमिलनाडु की मदुरई पुलिस ने मनीष कश्यप पर नेशनल सिक्योरिटी एक्ट यानी एनएसए भी लगा दिया है. जिस वजह से उसका फिलहाल जेल से बाहर आ पाना आसान नहीं होगा. उस पर सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने का गंभीर आरोप लगाया गया है.

29 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में मनीष: यूट्यूबर मनीष कश्यप 29 अप्रैल तक के लिए न्यायिक हिरासत में है. उसने एक पुराने मामले में कुर्की जब्ती की कार्रवाई से ठीक पहले 18 मार्च को बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के जगदीशपुर ओपी में आत्मसमर्पण किया था. जिसके बाद आर्थिक अपराध इकाई ने उसे हिरासत में लेकर कई दिनों तक पूछताछ की. वहीं 29 मार्च को आगे की पूछताछ के लिए मदुरई पुलिस अपने साथ तमिलनाडु लेकर आ गई.

पटना: तमिलनाडु हिंसा का फर्जी वीडियो शेयर करने के आरोप में जेल में बंद बिहार के यूट्यूबर मनीष कश्यप को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली. उसकी याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कार्रवाई रोकने के आदेश से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने केस को क्लब करने की मांग पर बिहार और तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किया है. मनीष के वकील ने जमानत के साथ-साथ सभी केसों को एक साथ क्लब करने की अपील की है.

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मनीष कश्यप को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत : मनीष कश्यप के वकील सिद्धार्थ दवे ने जस्टिस कृष्ण मुरारी और संजय करोल की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि उनके मुवक्किल को दो राज्यों में पांच मुकदमों का सामना करना पड़ रहा है. दवे ने पत्रकार अर्नब गोस्वामी के मामले का हवाला देते हुए कहा कि एक अपराध कई मामलों को जन्म नहीं दे सकता है और अदालत से अनुरोध किया कि बिहार में एफआईआर को लीड एफआईआर बनाने का निर्देश दिया जाए.

'मैं भी बिहार का प्रवासी हूं' : सुनवाई के दौरान जस्टिस करोल ने हल्के फुल्के अंदाज में कहा कि मैं भी बिहार का प्रवासी हूं. जस्टिस मुरारी ने कहा कि यह बयान अब बहुत कुछ कहता है. दवे ने इस बात पर जोर दिया कि उनके मुवक्किल को तमिलनाडु ले जाया जा रहा है, जहां वह भाषा नहीं समझते हैं.

21 अप्रैल तक टली राहत याचिका की सुनवाई : तमिलनाडु का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि यह कोई साधारण मामला नहीं है और कश्यप को पहले ही राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में लिया जा चुका है. सिब्बल ने मामले में जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा. दलीलें सुनने के बाद, पीठ ने केंद्र, तमिलनाडु और बिहार सरकारों को नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई 21 अप्रैल को निर्धारित की. शीर्ष अदालत ने कश्यप की याचिका पर उनसे एक सप्ताह के भीतर जवाब भी मांगा.

मनीष कश्यप की याचिका पर सुनवाई: मनीष कश्यप के वकील एपी सिंह की ओर से 5 अप्रैल को सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी. जिसमें उन्होंने मनीष को रेग्यूलर बेल देने के साथ ही कोर्ट से उसके खिलाफ दर्ज सभी एफआईआर को एक जगह मर्ज करने की अपील की थी. मनीष पर बिहार में आर्थिक अपराध इकाई की ओर से 4 और तमिलनाडु पुलिस की तरफ से 13 केस दर्ज हैं.

मनीष कश्यप पर एनएसए भी लगा: पिछले दिनों तमिलनाडु की मदुरई पुलिस ने मनीष कश्यप पर नेशनल सिक्योरिटी एक्ट यानी एनएसए भी लगा दिया है. जिस वजह से उसका फिलहाल जेल से बाहर आ पाना आसान नहीं होगा. उस पर सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने का गंभीर आरोप लगाया गया है.

29 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में मनीष: यूट्यूबर मनीष कश्यप 29 अप्रैल तक के लिए न्यायिक हिरासत में है. उसने एक पुराने मामले में कुर्की जब्ती की कार्रवाई से ठीक पहले 18 मार्च को बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के जगदीशपुर ओपी में आत्मसमर्पण किया था. जिसके बाद आर्थिक अपराध इकाई ने उसे हिरासत में लेकर कई दिनों तक पूछताछ की. वहीं 29 मार्च को आगे की पूछताछ के लिए मदुरई पुलिस अपने साथ तमिलनाडु लेकर आ गई.

Last Updated : Apr 11, 2023, 5:16 PM IST
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