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एनएमसीएच के अधीक्षक ने डीएम को लिखा पत्र- कहा, बदहाल है एनएमसीएच, ध्यान दें

एनएमसीएच के अधीक्षक विनोद कुमार सिंह ने सरकार और अधिकारियों की व्यवस्था की पोल खोल दी है. अस्पताल के अधीक्षक ने कहा कि परिजनों का गुस्सा जायज है. अस्पताल में ऑक्सीजन के कमी के कारण परिजन हंगामा करते हैं. जिलाधिकारी को मैंने इस बाबत पत्र लिखा है.

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Published : Apr 26, 2021, 12:10 PM IST

कोविड मरीज को ले जाते स्वास्थ्यकर्मी
कोविड मरीज को ले जाते स्वास्थ्यकर्मी

पटना: नालन्दा मेडिकल कॉलेज अस्पताल को सरकार ने कोविड अस्पताल घोषित किया है. 500 बेडों वाले इस अस्पताल में अभी मरीजों की संख्या 404 है. इसी तरह कोविड के बढ़ते संक्रमण को देख सूबे के सभी अस्पतालों में मरीजों की संख्या दिनोंदिन बढ़ रही है. लेकिन संसाधनों का अभाव सभी अस्पतालों में साफ दिख रहा है. इसको लेकर एनएमसीएच के अधीक्षक विनोद कुमार सिंह ने डीएम को पत्र लिखकर कई बातों को उजागर किया है.

यह भी पढ़ें- कोरोना संकट: CM नीतीश का बड़ा आदेश, अहमदाबाद से विशेष विमान से लाया जायेगा 'रेमेडिसिविर' इंजेक्शन

संसाधन की है कमी
बता दें कि एनएमसीएच को पिछले साल कोरोना लहर के वक्त ही कोविड अस्पताल के रूप में घोषित कर दिया गया था. लेकिन आज यहां सिर्फ मौतें हो रही हैं. सरकार और अधिकारी कहते नहीं थकते कि कोविड मरीजों के लिये सरकार मुस्तैद है. उन्हें किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होगी.

लेकिन अधिकारी की बातों का खंडन खुद अस्पताल के अधीक्षक ही करते दिख रहे हैं. उन्होंने सरकार से अविलंब जवाब मांगा है. उन्होंने पूछा कि जब एनएमसीएच को कोविड अस्पताल घोषित किया गया तो यहां संसाधनों की कमी क्यों है. ऑक्सीजन की समस्या हमेशा बरकरार है. प्रतिदिन 1000 सिलेंडर की आपूर्ति चाहिए लेकिन आप हमें 100 सिलेंडर ही दे रहे हैं.

अधिकारियों से मिलते परिजन
अधिकारियों से मिलते परिजन

दूर किया जाए अभाव
ऑक्सीजन खत्म होते ही मरीजों की परेशानी बढ़ने लगती है. जिसके कारण परिजन हंगामा करते हैं. वहीं, इस अस्पताल की बदहाली की पोल मरीज के परिजन ही खोल रहे हैं. सूबे के सबसे बड़े कोविड अस्पताल नालन्दा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बदहाली का आलम है. मरीज और उनके परिजनों के साथ अस्पताल के अधीक्षक भी परेशान हैं. अधीक्षक ने सरकार से दो टूक में जवाब मांगा है. उन्होंने कहा कि अस्पताल में संसाधनों के अभाव को दूर किया जाए.

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पटना: नालन्दा मेडिकल कॉलेज अस्पताल को सरकार ने कोविड अस्पताल घोषित किया है. 500 बेडों वाले इस अस्पताल में अभी मरीजों की संख्या 404 है. इसी तरह कोविड के बढ़ते संक्रमण को देख सूबे के सभी अस्पतालों में मरीजों की संख्या दिनोंदिन बढ़ रही है. लेकिन संसाधनों का अभाव सभी अस्पतालों में साफ दिख रहा है. इसको लेकर एनएमसीएच के अधीक्षक विनोद कुमार सिंह ने डीएम को पत्र लिखकर कई बातों को उजागर किया है.

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संसाधन की है कमी
बता दें कि एनएमसीएच को पिछले साल कोरोना लहर के वक्त ही कोविड अस्पताल के रूप में घोषित कर दिया गया था. लेकिन आज यहां सिर्फ मौतें हो रही हैं. सरकार और अधिकारी कहते नहीं थकते कि कोविड मरीजों के लिये सरकार मुस्तैद है. उन्हें किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होगी.

लेकिन अधिकारी की बातों का खंडन खुद अस्पताल के अधीक्षक ही करते दिख रहे हैं. उन्होंने सरकार से अविलंब जवाब मांगा है. उन्होंने पूछा कि जब एनएमसीएच को कोविड अस्पताल घोषित किया गया तो यहां संसाधनों की कमी क्यों है. ऑक्सीजन की समस्या हमेशा बरकरार है. प्रतिदिन 1000 सिलेंडर की आपूर्ति चाहिए लेकिन आप हमें 100 सिलेंडर ही दे रहे हैं.

अधिकारियों से मिलते परिजन
अधिकारियों से मिलते परिजन

दूर किया जाए अभाव
ऑक्सीजन खत्म होते ही मरीजों की परेशानी बढ़ने लगती है. जिसके कारण परिजन हंगामा करते हैं. वहीं, इस अस्पताल की बदहाली की पोल मरीज के परिजन ही खोल रहे हैं. सूबे के सबसे बड़े कोविड अस्पताल नालन्दा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बदहाली का आलम है. मरीज और उनके परिजनों के साथ अस्पताल के अधीक्षक भी परेशान हैं. अधीक्षक ने सरकार से दो टूक में जवाब मांगा है. उन्होंने कहा कि अस्पताल में संसाधनों के अभाव को दूर किया जाए.

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