पटना: राज्य सरकार ने सभी कर्मचारियों के लिए कंप्यूटर की दक्षता को पहले से ही अनिवार्य कर रखा है. लेकिन फिलहाल इन दिनों साइबर फ्रॉड की वारदात में हो रही वृद्धि को देखते हुए सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. मिल रही जानकारी के अनुसार बिहार सरकार के गृह विभाग इसे लेकर एक खास नियमावली बनाने को लेकर जुटी हुई है, जिसके तहत डीएसपी और दारोगा को दी जाने वाली ट्रेनिंग में ही अनिवार्य रूप से साइबर के बारे में पूरी जानकारी दी जाएगी.
भारत सरकार और बिहार सरकार के निर्णय के तहत अब तक ढाई हजार अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया है. अभी भी प्रशिक्षण चल रहा है जिस वजह से अधिक से अधिक संख्या में अनुसंधानकर्ता साइबर ट्रेनिंग का प्रशिक्षण ले सकेंगे. 74 साइबर क्राइम और सोशल मीडिया की यूनिट बनाई गई है, जिसके तहत अनुसंधानकर्ताओं को कुशल ट्रेनिंग दी जा रही है'- जितेंद्र सिंह गंगवार, एडीजी, आर्थिक अपराध इकाई
आर्थिक अपराध इकाई के एडीजे जितेंद्र सिंह गंगवार का कहना है कि साइबर फ्रॉड मामले में त्वरित एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं. जिसके लिए जरूरी है कि एफआईआर के बाद अनुसंधान त्वरित और निष्पक्ष हो. इस वजह से इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारियों को साइबर ट्रेनिंग देना अनिवार्य है. साइबर अनुसंधान के लिए साइबर का ज्ञान होना ज्यादा जरूरी है.
अकेडमी में दी जाएगी साइबर ट्रेनिंग
सरकार द्वारा निर्णय लिया गया है कि सब इंस्पेक्टर और डीएसपी रैंक के अधिकारी जैसे ही ज्वॉइन करेंगे. उन्हें अकेडमी में ही साइबर ट्रेनिंग दी जाएगी. फिलहाल चल रही एकेडमी ट्रेनिंग के दौरान भी उन्हें साइबर तकनीकों के बारे में जानकारी दी जा रही है. उन्होंने बताया कि आईटी एक्ट के तहत साइबर अनुसंधान इंस्पेक्टर रैंक के पदाधिकारी ही करते हैं, ऐसे में उन्हें ट्रेंड करना जरूरी है.
'वर्तमान में जिस तरह डिजिटल लेन देन में बढ़ोतरी हुई है, इसी प्रकार साइबर क्राइम में भी बढ़ोतरी हुई है. सरकार और पुलिस प्रशासन ने जो निर्णय लिया है, वह कहीं ना कहीं सराहनीय कदम है'- एसके भारद्वाज, पूर्व एडीजी
जांच प्रक्रिया में आएगी तेजी
मिल रही जानकारी के अनुसार पुलिस वालों को खासकर दारोगा स्तर के कर्मियों के लिए साइबर ट्रेनिंग अनिवार्य करने के पीछे मुख्य कारण रोजाना तकनीकी आधारित अनुसंधान के प्रयोग में तेजी लाने के साथ-साथ राज्य में नए आईटी एक्ट में दारोगा को ही जांच अधिकारी के तौर पर करना प्रमुख है. ट्रेनिंग के दौरान उन्हें साइबर अपराध से जुड़ी तमाम जानकारियां दी जाएगी. ताकि उन्हें अनुसंधान में अपनी भूमिका निभा सके और जल्द ही मामलों का निष्पादन भी कर सकें.
बिहार में इन दिनों लगता साइबर फ्रॉड की घटनाओं में इजाफा हो रहा है. आम इंसान की गाढ़ी कमाई को साइबर फ्रॉड इन दिनों नए-नए तरीके से इजात कर लूटने का काम कर रहे हैं.
आर्थिक अपराध इकाई के माध्यम से सतर्क रहें, जागरूक रहें, सुरक्षित रहें को लेकर लगातार कैंपेन चलाया जा रहा है. आर्थिक अपराध इकाई ने कई तरह के टिप्स आम लोगों को दिए हैं. जिससे साइबर फ्रॉड से बचा जा सकता है.
एसएसमस, व्हाटसएप या अन्य माध्यमों से लिंक भेजी जाती है. जिसके टच करते ही अकाउंट से पैसे गायब हो जाता है. इसके साथ ही साइबर फ्रॉड के माध्यम से भेजे गए लिंक को आगे फारवर्ड करने को कहा जाता है. वहीं लिंक फारवर्ड करने पर रुपयों को लालच भी दिया जाता है.
निजी जानकारी किसी के साथ भी शेयर न करें. इसके साथ ही किसी भी लिंक को जाने बगैर क्लिक न करें. इसके साथ ही साथ साइबर ठगी होने पर इसकी सूचना तत्काल पुलिस को दे या साइबर क्राइम हेल्प लाइन नंबर - 155260 पर संपर्क करे.
बता दें कि बिहार में साइबर क्राइम के मामले बढ़ते जा रहे हैं. सावधानी के जरिए ही इस तरह के क्राइम से बचा सकते है. बहुत सारे काम जो पहले फिजिकल तरीके से होते थे, वो अब डिजिटली होने लगे हैं. ऐसे में एहतियात रखना बहुत जरूरी है.