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बिहार के स्वास्थ्य व्यवस्था की खुली पोल, 40 वर्षों से पेड़ के नीचे चल रहा उप स्वास्थ्य केंद्र

बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था (Health System In Bihar) की पोल एक बार फिर से खुलकर सामने आई है. राजधानी पटना से सटे मसौढ़ी अनुमंडल क्षेत्र के धनरुआ प्रखंड में पेड़ के नीचे उप स्वास्थ्य केंद्र चल रहा है. अभी तक आपने ऐसी तस्वीरें स्कूलों की देखी थी लेकिन बुनियादी जरूरतों में से एक स्वास्थ्य सेवाओं के भी ग्राउंड रिपोर्ट को जान लीजिए. पढ़ें पूरी खबर..

पेड़ के नीचे अस्पताल
पेड़ के नीचे अस्पताल
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Published : Jul 31, 2022, 6:33 PM IST

पटना: बिहार सरकार एक तरफ प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर तरह-तरह की दावे करती है. वहीं, राजधानी पटना से सटे मसौढ़ी अनुमंडल क्षेत्र के धनरूआ से ऐसी तस्वीरें सामने आई है. जो स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल रही है. जिले के धनरूआ प्रखंड के मधुबन गांव में पेड़ के नीचे उप स्वास्थ्य केंद्र (Sub health center under tree in Madhuban village) चल रहा है. करीब 40 सालों से ऐसे ही पेड़ के नीचे ये अस्पताल चल रहा है.

ये भी पढ़ें-पटना: NMCH के स्वास्थ्य व्यवस्था की फिर खुली पोल, कोविड मरीज को वार्ड में देखने तक नहीं आते कर्मचारी

पेड़ के नीचे चल रहा अस्पताल: गर्मी हो या जाड़ा, या बरसात का मौसम हो, सभी मौसम में स्वास्थ्य कर्मचारी पेड़ के नीचे बैठकर मरीजों का इलाज करते हैं. बताया जाता है कि जमीन के अभाव के कारण अस्पताल नहीं बन पा रहा है. कभी निजी मकान में यह अस्पताल चला करता था, लेकिन वह मकान भी किसी कारण से छूट गया. अब ऐसे ही पेड़ के नीचे अस्पताल चल रहा है.

भवन बनाने का किया जाएगा प्रयास: पंचायत के नवनिर्वाचित मुखिया ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही अस्पताल के भवन बनाने के लिए प्रयास किया जाएगा. वहीं, इस गांव के वार्ड सदस्य ने भी कहा कि 40 वर्षों से अस्पताल ऐसे ही पेड़ के नीचे चल रहा है, काफी परेशानी होती है. स्वास्थ्य केंद्र पर इलाज कर रहे स्वास्थ्य कर्मचारियों ने कहा कि रोजाना वे लोग आते हैं और पेड़ के नीचे ही बैठकर लोगों का इलाज करते हैं.

अबतक नहीं हुआ जमीन मुहैया: पेड़ के नीचे स्वास्थ्य केंद्र चलाए जाने को लेकर धनरूआ प्रखंड के चिकित्सा पदाधिकारी ने बताया कि धनरूआ प्रखंड में 6 गांव है. जहां निजी मकान में स्वास्थ्य केंद्र चल रहे हैं. चिकित्सा पदाधिकारी ने बताया कि जमीन नहीं मिलने के कारण अस्पताल बनाने में परेशानी हो रही है, लेकिन प्रयास किया जा रहा है कि जल्द ही जमीन मुहैया कराया जाए और वहां पर स्वास्थ्य उप केंद्र बनाया जाए. ताकि, मरीजों को चिकित्सा सुविधा का लाभ मिल सके.

"धनरूआ प्रखंड में 6 गांव हैं, जहां निजी मकान में चल रहे हैं. जमीन नहीं मिलने के कारण अस्पताल बनाने में परेशानी हो रही है, लेकिन प्रयास किया जा रहा है कि जल्द ही जमीन मुहैया कराया जाए और वहां पर स्वास्थ्य उप केंद्र बनाया जाए ताकि, मरीजों को चिकित्सा सुविधा का लाभ मिल सके."- विनय कुमार, चिकित्सा पदाधिकारी, धनरुआ

नीति आयोग की रिपोर्ट में निचले पायदान पर बिहार: गौरतलब है कि नीति आयोग द्वारा जून में जारी एसडीजी इंडिया इंडेक्स 2020-21 में बिहार को निचले पायदान पर रखा गया था. बिहार को एसडीजी इंडिया इंडेक्स 2020-21 में 52 अंक मिला है. बिहार सबसे निचले पायदान पर है. बिहार से ऊपर अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, असम, उड़ीसा और झारखंड जैसे राज्य हैं. इसको लेकर विपक्ष ने सरकार पर हमला भी बोला था. तीन महीने बाद सरकार ने नीति आयोग की रिपोर्ट पर आपत्ति दर्ज की थी. वहीं, इस मामले को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर नीतीश कुमार पर निशाना साधा था.

ये भी पढ़ें-रियलिटी चेक: स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल, तीसरी लहर की दस्तक के बीच अस्पतालों में लटका मिला ताला

पटना: बिहार सरकार एक तरफ प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर तरह-तरह की दावे करती है. वहीं, राजधानी पटना से सटे मसौढ़ी अनुमंडल क्षेत्र के धनरूआ से ऐसी तस्वीरें सामने आई है. जो स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल रही है. जिले के धनरूआ प्रखंड के मधुबन गांव में पेड़ के नीचे उप स्वास्थ्य केंद्र (Sub health center under tree in Madhuban village) चल रहा है. करीब 40 सालों से ऐसे ही पेड़ के नीचे ये अस्पताल चल रहा है.

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पेड़ के नीचे चल रहा अस्पताल: गर्मी हो या जाड़ा, या बरसात का मौसम हो, सभी मौसम में स्वास्थ्य कर्मचारी पेड़ के नीचे बैठकर मरीजों का इलाज करते हैं. बताया जाता है कि जमीन के अभाव के कारण अस्पताल नहीं बन पा रहा है. कभी निजी मकान में यह अस्पताल चला करता था, लेकिन वह मकान भी किसी कारण से छूट गया. अब ऐसे ही पेड़ के नीचे अस्पताल चल रहा है.

भवन बनाने का किया जाएगा प्रयास: पंचायत के नवनिर्वाचित मुखिया ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही अस्पताल के भवन बनाने के लिए प्रयास किया जाएगा. वहीं, इस गांव के वार्ड सदस्य ने भी कहा कि 40 वर्षों से अस्पताल ऐसे ही पेड़ के नीचे चल रहा है, काफी परेशानी होती है. स्वास्थ्य केंद्र पर इलाज कर रहे स्वास्थ्य कर्मचारियों ने कहा कि रोजाना वे लोग आते हैं और पेड़ के नीचे ही बैठकर लोगों का इलाज करते हैं.

अबतक नहीं हुआ जमीन मुहैया: पेड़ के नीचे स्वास्थ्य केंद्र चलाए जाने को लेकर धनरूआ प्रखंड के चिकित्सा पदाधिकारी ने बताया कि धनरूआ प्रखंड में 6 गांव है. जहां निजी मकान में स्वास्थ्य केंद्र चल रहे हैं. चिकित्सा पदाधिकारी ने बताया कि जमीन नहीं मिलने के कारण अस्पताल बनाने में परेशानी हो रही है, लेकिन प्रयास किया जा रहा है कि जल्द ही जमीन मुहैया कराया जाए और वहां पर स्वास्थ्य उप केंद्र बनाया जाए. ताकि, मरीजों को चिकित्सा सुविधा का लाभ मिल सके.

"धनरूआ प्रखंड में 6 गांव हैं, जहां निजी मकान में चल रहे हैं. जमीन नहीं मिलने के कारण अस्पताल बनाने में परेशानी हो रही है, लेकिन प्रयास किया जा रहा है कि जल्द ही जमीन मुहैया कराया जाए और वहां पर स्वास्थ्य उप केंद्र बनाया जाए ताकि, मरीजों को चिकित्सा सुविधा का लाभ मिल सके."- विनय कुमार, चिकित्सा पदाधिकारी, धनरुआ

नीति आयोग की रिपोर्ट में निचले पायदान पर बिहार: गौरतलब है कि नीति आयोग द्वारा जून में जारी एसडीजी इंडिया इंडेक्स 2020-21 में बिहार को निचले पायदान पर रखा गया था. बिहार को एसडीजी इंडिया इंडेक्स 2020-21 में 52 अंक मिला है. बिहार सबसे निचले पायदान पर है. बिहार से ऊपर अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, असम, उड़ीसा और झारखंड जैसे राज्य हैं. इसको लेकर विपक्ष ने सरकार पर हमला भी बोला था. तीन महीने बाद सरकार ने नीति आयोग की रिपोर्ट पर आपत्ति दर्ज की थी. वहीं, इस मामले को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर नीतीश कुमार पर निशाना साधा था.

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